नई दिल्ली: पेरिस ओलंपिक शुरू होने में बस 5 दिन बचे हैं. हर संस्करण की तरह इस बार भी ओलंपिक में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले खेलों में से एक एथलेटिक्स पर सभी की नजरें टिकी होंगी. इस खेल का इतिहास बहुत पुराना है. आज हम आपको पेरिस खेलों से पहले हम इस खेल के सफर और खेल के कुछ महान खिलाड़ियों के साथ-साथ एथलेटिक्स में भाग लेने वाले भारतीय खिलाड़ियों और भारत के ट्रैक रिकॉर्ड पर एक नज़र डालते हैं.
ओलंपिक में एथलेटिक्स का इतिहास
1896 में आधुनिक ओलंपिक की शुरुआत के बाद से एथलेटिक्स हर संस्करण में खेला जाता रहा है. आधुनिक ओलंपिक कार्यक्रम में स्प्रिंट, बाधा दौड़, रिले, मध्यम और लंबी दूरी की दौड़, रेस वॉक, मैराथन, जंप, थ्रो और संयुक्त इवेंट शामिल हैं. 1900 से 1920 तक एथलेटिक्स में भाग लेने वाले इवेंट बहुत अलग-अलग थे लेकिन शॉर्ट रेसवॉक को शामिल करने के बाद 1952 के संस्करण से एक स्थिर रोस्टर बना हुआ है. 1976 के संस्करण को छोड़कर रोस्टर में तब से कोई बदलाव नहीं किया गया है, जब लॉन्ग रेसवॉक को हटा दिया गया था. महिलाओं के इवेंट 1928 के संस्करण में शुरू हुए, जबकि मिश्रित इवेंट को 2020 में ओलंपिक चार्टर में जोड़ा गया था.
इस खेल के महान खिलाड़ी
- पावो नूरमी: पावो नूरमी ने ओलंपिक में ट्रैक एंड फील्ड में भाग लेते समय सनसनी मचा दी थी. मध्यम दूरी के धावक ने ओलंपिक के इतिहास में 12 पदक जीते, जिसमें 9 स्वर्ण पदक शामिल हैं. ‘फ्लाइंग फिन’ के नाम से मशहूर इस एथलीट ने एंटवर्प 1920 में तीन स्वर्ण और एक रजत पदक जीता और उसके चार साल बाद पांच स्वर्ण पदक जीते थे. नूरमी ने एम्स्टर्डम में भी एक स्वर्ण और दो रजत पदक जीते और एथलेटिक्स में एक विरासत बनाई.
- कार्ल लुईस: यूएसए के कार्ल लुईस ओलंपिक के इतिहास में एक और बेहतरीन एथलीट थे. इस प्रमुख धावक और लंबी कूद खिलाड़ी ने खेलों के कार्निवल में कुल 10 पदक जीते हैं. लुईस ने 1984 के लॉस एंजिल्स में 4 स्वर्ण पदक जीते और फिर चार साल बाद सियोल में 2 स्वर्ण और एक रजत पदक जीता. उन्होंने अगले कुछ संस्करणों में 3 और स्वर्ण पदक जीते थे. इस अमेरिकी खिलाड़ी ने अपने ओलंपिक करियर का अंत दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ एथलीटों में से एक के रूप में किया.
- एलिसन फेलिक्स: यूएसए की एलिसन फेलिक्स एथलेटिक्स में दोहरे अंकों में पदक जीतने वाली एकमात्र महिला एथलीट हैं. ओलंपिक में उनका दबदबा 2004 से 2020 तक रहा, जब उन्होंने 7 स्वर्ण पदक सहित कुल 11 पदक जीते. फेलिक्स ने 2004 एथेंस में एक रजत जीता और फिर अगले संस्करण में एक रजत और एक स्वर्ण जीता था. 2012 उनका चरम संस्करण था, जब उन्होंने तीन स्वर्ण पदक जीते थे. अगले दो संस्करणों में पांच और पोडियम फिनिश ने ओलंपिक के इतिहास में उनका नाम अमर कर दिया.
- उसैन बोल्ट: उसैन बोल्ट का नाम भी ओलंपिक के बेहतरीन एथलीटों में भी शामिल है, क्योंकि जमैका के इस खिलाड़ी ने स्प्रिंट में ऐसा दबदबा बनाया जैसा किसी और ने नहीं बनाया. उन्होंने ओलंपिक के इतिहास में 8 पदक जीते और सभी में प्रथम स्थान प्राप्त किया है.
एथलेटिक्स में भारत का कैसा रहा है इतिहास
भारत ने 1900 ओलंपिक के लिए नॉर्मन प्रिचर्ड के रूप में एक ही सदस्य भेजा था. उन्होंने पुरुषों की 200 मीटर और पुरुषों की 200 मीटर बाधा दौड़ में 2 रजत पदक जीते थे. हालांकि 2005 में विश्व एथलेटिक्स (WA) ने ऐतिहासिक डेटा प्रकाशित किया, जिससे संकेत मिलता है कि प्रिचर्ड ने ग्रेट ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व किया था. हालांकि अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने माना कि उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था. इस प्रकार प्रिचर्ड की राष्ट्रीयता के बारे में बहस अभी भी बनी हुई है.
भारत ने 1920 के एंटवर्प खेलों में भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के तहत अपना पहला ओलंपिक दल भेजा. एथलेटिक्स में चार खिलाड़ी भाग ले रहे थे लेकिन किसी ने भी अपने प्रदर्शन पर कोई प्रभाव नहीं छोड़ा. 1924 में दलीप सिंह ने 6.635 की छलांग के साथ लंबी कूद में सेमीफाइनल में जगह बनाई, लेकिन प्रतियोगिता के फाइनल में प्रवेश नहीं कर पाए. 24 साल बाद गुरनाम सिंह ने पुरुषों की ऊंची कूद के फाइनल में जगह बनाकर प्रभावशाली प्रदर्शन किया.