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शरद ने देश का फिर बढ़ाया मान, परिवार हुआ भावुक..पिता बोले- 'पोलियोग्रस्त होने के बाद भी..' - PARIS PARALYMPICS 2024

Paris Paralympics : एक पैर पोलियो से ग्रस्त हो तो 'ऊंची कूद' दूर की बात बिना सहारे के चलना भी मुश्किल होता है. लेकिन बिहार के 'ओलंपियन शरद कुमार' ने अपनी इस कमजोरी को ही 'हथियार' बना लिया. उनपर कभी भी दिव्यांगता हावी नहीं हुई. नतीजा ये रहा कि उन्होंने पेरिस पैरालंपिक 2024 में हाई जंप में सिल्वर मेडल झटक लिया. उनकी इस सफलता से पूरा परिवार भावुक है. पिता ने शरद के संघर्षों को बयां किया- पढ़ें पूरी खबर-

पैरालंपियन शरद कुमार
पैरालंपियन शरद कुमार (Etv Bharat)

By ETV Bharat Sports Team

Published : Sep 5, 2024, 5:42 PM IST

Updated : Sep 5, 2024, 6:47 PM IST

पटना: पेरिस पैरालंपिक में ऊंची कूद में सफलता की छलांग लगाने वाले शरद कुमारके घर में जश्न का माहौल है. शरद ने लगातार दो ओलंपिक में पदक हासिल कर कीर्तिमान बनाया है. बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले शरद का परिवार इन दिनों पटना में रह रहा है. शरद ने पेरिस पैरालंपिक में ऊंची कूद में सिल्वर मेडल हासिल किया है. शरद की उपलब्धि से न सिर्फ बिहार बल्कि पूरा भारत गौरवान्वित है. इससे पहले वह टोक्यो पैरालंपिक में ब्रॉन्ज मेडल हासिल कर अपने परिवार और देश का मस्तक गौरव से ऊंचा किये थे.

ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

बचपन से शरद कर रहा है संघर्ष: शरद के पिता सुरेंद्र कुमार ने बताया कि इस उपलब्धि के बाद से उन्हें बधाई देने के लिए शुभचिंतकों के लगातार फोन आ रहे हैं. उनके बेटे ने जो यह उपलब्धि हासिल की है, वह उसके संघर्ष की दास्तां है. बता दें कि पेरिस पैरालंपिक में शरद कुमार ने हाई जंप इवेन्ट में 1.88 मीटर की हाई जंप लगाकर सिल्वर मेडल अपने नाम किया. उनकी इस कामयाबी से देश में बधाईयों का दौर चल रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शरद कुमार (ETV Bharat)

''2 वर्ष की उम्र में बचपन में जब पोलियो हुआ तो उसकी जान पर बन आयी थी. काफी इलाज चल तो जान बची लेकिन शरीर विकलांग हो गया. इसके बाद शरद ने जब से होश संभाला, वह लगातार संघर्ष कर रहा है. विकलांगता के कारण बचपन में जो उसे दिक्कतें आई तो उसे खुद पर हावी नहीं होने दिया. पढ़ाई के साथ-साथ खेल में रुचि बनी और दार्जिलिंग में स्कूलिंग के दौरान ही शिक्षकों ने उसे खेल के लिए प्रोत्साहित किया और इसी में उसका मन रम गया.''- सुरेन्द्र कुमार, शरद के पिता

शरद कुमार की सफलता पर परिवार में जश्न (ETV Bharat)

पदक वाले मैच के दिन भी दर्द में थे शरद: शराब के पिता सुरेंद्र कुमार ने बताया कि इस बार के पैरालंपिक टूर्नामेंट में भी शरद काफी दर्द में था. घुटने में उसके दर्द थे और इसके लिए पट्टी घुटने पर लगाए रहता था. वह अपने बेटे को फोन पर यही कहते थे कि देश के लिए पदक जीतने का मौका हर किसी को नहीं मिलता इसलिए हारना नहीं है, जी जान लगाकर खेलो. उन्होंने कहा कि वह हमेशा शरद को समझाते हैं कि चींटी चढ़ती है उतरती है लेकिन वह हार नहीं मानती है और यही हमें जीवन में छोटे-मोटे हर को भूलकर आगे बढ़ाने की सीख देता है. अब शरद आराम से अपने घुटने के दर्द का इलाज करवाएंगे.

पैरालंपियन शरद कुमार (sharadjumper Instagram)

'पढ़ाई में भी अव्वल है शरद' : शरद के पिता सुरेंद्र कुमार बताते हैं कि उन्हें अपने बेटे पर बहुत गर्व है. खेलकूद के साथ-साथ वह पढ़ाई में भी काफी अच्छा है. 10वीं और 12वीं में अच्छे अंक लाने पर डीयू के किरोड़ीमल कॉलेज में ग्रेजुएशन के लिए एडमिशन हुआ और फिर जेएनयू से इसने एम.ए किया है. पैरा खेलों में लगातार भाग लेते रहा है. खेल में कई बार इंजरी हुई, बावजूद इसके पढ़ाई पर ना असर पड़ने दिया ना ही अपने खेल के परफॉर्मेंस पर. ऊंची कूद में कई बार चोट लगने पर कई दिनों तक बिस्तर पर रहना पड़ जाता था. लेकिन शरद ने अपने हौसले को कभी कमजोर नहीं होने दिया बल्कि इससे उसका और बेहतर करने का हौसला मजबूत हुआ.

सुपरस्टार शाहरुख खान के साथ शरद कुमार (sharadjumper Instagram)

मेडल मिलने पर भावुक हुआ परिवार : सुरेंद्र कुमार ने बताया कि मेडल जीतने के बाद रात में उसने फोन किया था और उनकी बातचीत हुई थी. गोल्ड मेडल नहीं जीतने का मलाल था, लेकिन देश के लिए सिल्वर जीतने की खुशी भी थी. इस बार गोल्ड जीतने के लक्ष्य से चूक गए लेकिन ओलंपिक में गोल्ड जीतने का लक्ष्य है. परिवार में सभी का हाल-चाल जाना और पदक जीतने पर खुशी के आंसू आंखों में थे. उन लोगों ने भी उसे बधाई देते हुए कहा कि देश के लिए पदक जीते हो तो अपने साथियों के बीच जश्न मनाओ. देश के लिए पदक जीतने का सौभाग्य हर किसी को नहीं मिलता है. इस पल को इंजॉय करो.

50 लाख का पुरस्कार देते तेजस्वी यादव (पूर्व डिप्टी सीएम) (ETV Bharat)

''अपने गांव में खेती-बाड़ी करते रहें और अपने छोटे-मोटे व्यवसाय में लगे रहे. लेकिन शरद ने आज जो कुछ भी उपलब्धि हासिल किया है इसके पीछे उसकी मां कुमकुम कुमारी का पूरा योगदान है. उनके तीन बच्चों में एक बेटी बिहार में अधिकारी है बड़ा बेटा सुप्रीम कोर्ट में वकील है और शरद को सभी जानते ही हैं. शरद की मां ने अपने तीनों बच्चों को पढ़ने में और उन्हें जीवन में आगे बढ़ने का फैसला देने का काम किया है.''- सुरेन्द्र कुमार, शरद के पिता

शरद के पिता मिठाई खिलाकर को बधाई देते लोग (ETV Bharat)

दो साल से नहीं हुई कोच से मुलाकात : एक इंटरव्यू के दौरान शरद ने कहा कि वो अपने कोच, जो यूक्रेन से हैं, उनसे दो सालों से नहीं मिल पाए हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से वे उनसे ऑनलाइन ट्रेनिंग लेते हैं. लेकिन जब कोच येवहेन को उनके मेडले जीतने की खबर मिली तो वे खुशी फूले नहीं समाए. शरद कुमार ने कहा कि, ''मेडल जीतने के बाद मैंने कोच से फोन पर बात की. वे काफी खुश हैं. उन्होंने मुझे एक ऑडियो संदश भी भेजा है, जिसमें उनकी खुशी झलकती हैं''

शरद कुमार द्वारा जीती गई ट्रॉफी (ETV Bharat)

यूक्रेन में कोच को दी सिल्वर मेडल की जानकारी: बता दें कि शरद के कोच येवहेन यूक्रेन के सबसे दूसरे बड़े शहर खार्कीव में रहते हैं. जो यूक्रेन की राजधानी कीव से करीब 500 किलोमीटर दूर स्थित है. 2022 रूस यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से वे शरद को ऑनलाइन कोचिंग देते हैं. शरद कुमार की माने तो वे अपने कोच के संपर्क में रहते हैं. येवहेन इससे पहले भारतीय खेल प्राधिकरण के साथ कोच के रूप में काम कर चुके हैं. साल 2017 और 2021 यानी टोक्यो पैरालिंपिक में कांस्य मेडल जीतने से पहले शरद कुमार ने खार्कीव में येवहेन से ट्रेनिंग ली थी.

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Last Updated : Sep 5, 2024, 6:47 PM IST

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