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भारतीय खेल जगत में फैली शोक की लहर, दिग्गज कोच का हुआ निधन - BHARATI GHOSH DIES

देश के खेल समुदाय के लिए एक अपूरणीय क्षति. दिग्गज टेबल टेनिस कोच का 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया है.

Bharati Ghosh
भारती घोष (ETV Bharat)

By ETV Bharat Sports Team

Published : Feb 24, 2025, 3:37 PM IST

सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) : दिवंगत बंगाली टेबल टेनिस 'खेल गुरु' भारती घोष का निधन हो गया है. वह 83 वर्ष की थी. वह पिछले कुछ महीनों से उम्र से संबंधित बीमारियों से पीड़ित थी. सोमवार सुबह उन्होंने एक नर्सिंग होम में अंतिम सांस ली. खेल और राजनीतिक हस्तियां उनके इलाज में मदद के लिए आगे आईं, लेकिन आखिरी फैसला नहीं लिया गया. फिर 20 फरवरी को उनकी बीमारी की खबर सुनकर सिलीगुड़ी के मेयर गौतम देब ने उनके इलाज की सारी व्यवस्था की. उनके हस्तक्षेप से ही भारती घोष को माटीगाड़ा नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया. भारती घोष के निधन से खेल समुदाय में शोक की लहर है.

भारती घोष को 2019 में राज्य सरकार द्वारा 'बंग रत्न' पुरस्कार और 2021 में खेल विभाग द्वारा 'क्रीडा गुरु' पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. कोचिंग की डिग्री न होने के बावजूद भारती घोष ने न केवल उत्तर में बल्कि राज्य में भी सर्वश्रेष्ठ टेबल टेनिस कोच के रूप में अपनी छाप छोड़ी.

अपने भाई के दोस्त की मदद से उन्हें सिलीगुड़ी के प्रसिद्ध सहगल इंस्टीट्यूट में दाखिला मिला था. फिर उन्होंने कुछ लड़कियों के साथ टेबल टेनिस खेलना शुरू किया. उनकी कोचिंग बिना कोच के साथ शुरू हुई. उन्होंने पहले सीनियर खिलाड़ियों को खेलते हुए देखकर सीखा और बाद में महावीरस्थान में एक कोचिंग शिविर में दाखिला लिया. भारती घोष ने बहुत ही कम समय में इस खेल में महारत हासिल कर ली.

इस महान कोच ने दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी में बच्चों को टेबल टेनिस भी सिखाया. उन्होंने उन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को मुफ्त कोचिंग देने में कोई संकोच नहीं किया जो अपनी फीस देने में असमर्थ थे. दिव्यांग खिलाड़ियों को भी उनसे निःशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है. उन्होंने 5 दशक इसी तरह बिताए. उन्होंने शादी भी नहीं की ताकि उनके खेलने और कोचिंग में कोई बाधा न आए. यद्यपि उन्हें 30 वर्ष की आयु में रेलवे में नौकरी मिल गई, फिर भी उन्होंने कोचिंग देना जारी रखा. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपना सारा समय अपने बच्चों को प्रशिक्षित करने में बिताया. दूसरे शब्दों में कहें तो उन्होंने अपना अधिकांश जीवन टेबल टेनिस खेलने में बिताया है. 'अर्जुन' मंटू घोष और ओलंपियन सौम्यजीत घोष जैसे सितारे उन्होंने ही बनाए थे.

भारती घोष देशबंधु पाड़ा में एक छोटे से घर में रहती थीं. वह स्वयं खाना पकाती थी. उन्हें कोचिंग के लिए समय पर पहुंचने में कोई परेशानी नहीं होती थी, वे सारा काम अकेले ही संभाल लेती थी. भारती घोष द्वारा कम से कम तीन हजार पैडलरों को कोचिंग दी गई. उनके कई छात्रों ने राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया है.

भारती घोष के निधन पर मंटू घोष ने कहा, 'भारती दी का निधन खेल जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उनके प्रशिक्षण में कई स्टार टेबल टेनिस खिलाड़ी उभरे हैं'. वहीं, मेयर गौतम देब ने कहा, 'हमने उन्हें स्वस्थ करने की कोशिश की. लेकिन बुढ़ापे के कारण उन्हें कई समस्याएं थीं. उन्हें खेल गुरु और बंगरत्न से सम्मानित किया गया. मुझे बहुत बुरा लग रहा है'.

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