हैदराबाद:अपने देश के लिए क्रिकेट खेलना हर किसी का सपना होता है और जब यह सपना किसी अनोखे रिकॉर्ड के साथ पूरा हो तो फिर यह एक यादगार सपना बन जाता है. दरअसल जब किसी क्रिकेटर का किसी भी फॉर्मेट में डेब्यू होता है तो वो दिन उस क्रिकेटर के लिए खास होता है. क्योंकि मैच से पहले उस खिलाड़ी का नाम प्लेइंग इलेवन में लिखा जाता है और फिर ग्राउंड पर एक छोटा सा इवेंट आयोजित किया जाता है जिसमें डेब्यू करने वाले क्रिकेटर को किसी सीनियर क्रिकेटर का हाथों डेब्यू कैप दिलाई जाती है. जिस पर देश के लिए अब तक डेब्यू करने वाले का नंबर होता है.
दिलचस्प बात यह है कि जब इस इवेंट और प्लेइंग इलेवन में नाम न होने के बावजूद कोई खिलाड़ी इंटरनेशनल क्रिकेट में पदार्पण करता है तो यह उस खिलाड़ी के लिए थोड़ा सा कम उत्साह वाला दिन होता है लेकिन उसका देश के लिए खेलने का जज्बा और उत्साह कम नहीं होता.
ऐसे खिलाड़ियों की तादाद ज्यादा नहीं है जिन्हें प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया गया फिर उन खिलाड़ियों ने आईसीसी के कन्कशन सब्स्टीट्यूट रूल के तहत इंटरनेशनल क्रिकेट में पदार्पण किया और देश के लिए मैच खेला. इन खिलाड़ियों में भारत के हर्षित राणा के अलावा पाकिस्तान, इंग्लैंड, अफगानिस्तान, आयरलैंड और जिम्बाब्वे के खिलाड़ी शामिल हैं.
ICC का कन्कशन सब्स्टीट्यूट नियम क्या है?
सिर या गर्दन की चोटों से पीड़ित खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए कन्कशन सब्स्टीट्यूट नियम शुरू किया गया, ताकि खेल को समान विकल्प के साथ जारी रखा जा सके. ICC ने 1 अगस्त, 2019 को सभी अंतर्राष्ट्रीय प्रारूपों में कन्कशन सब्स्टीट्यूट नियम की शुरुआत की.
कन्कशन सब्स्टीट्यूट नियम कुछ शर्तों के साथ लागू होता है. पहली शर्त यह है कि चोट मैदान पर ही लगनी चाहिए और रिप्लेसमेंट का अनुरोध करने का निर्णय टीम के चिकित्सा प्रतिनिधि द्वारा औपचारिक इलाज के बाद आधारित होता है.
टीम के मेडिकल स्टाफ या मैनेजर को तब ICC मैच रेफरी को कन्कशन रिप्लेसमेंट अनुरोध प्रस्तुत करना होता है, जिसमें घटना, चिकित्सा मूल्यांकन और लाइक-फॉर-लाइक रिप्लेसमेंट का विवरण दिया गया हो.
मैच रेफरी के पास रिप्लेसमेंट पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार है, एक बार जब कोई खिलाड़ी बाहर हो जाता है, तो उसे वापस आने की अनुमति नहीं होती है, भले ही वह मैच के दौरान ठीक हो जाए.
कन्कशन सब्स्टीट्यूट नियम के तहत इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू करने वाले खिलाड़ी