हैदराबाद : एक ऐसी दुनिया में जहां सबसे आसान मूविमेंट भी हड्डियों के टूटने का जोखिम उठाते हैं और शरीर में कमजोरी है. वहां साहस, दृढ़ता और दृढ़ निश्चय की कहानी उभरती है. मिलिए 14 साल की एक लड़की, गंगापट्टनम विजया दीपिका से, जिसका हौसला विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए सबसे ज्यादा चमकता है.
ऑस्टियोजेनेसिस इम्परफेक्टा के साथ पैदा हुई, एक आनुवंशिक स्थिति जो हड्डियों को आटे की तरह कमजोर बना देती है, विजया दीपिका की यात्रा शुरू से ही चुनौतियों भरी रही है. 14 साल की उम्र में 45 फ्रैक्चर झेलने के बावजूद, वह अपनी स्थिति के कारण आने वाली सीमाओं के आगे झुकने से इनकार कर देती है. छोटी उम्र से ही, विजया दीपिका के मन में आसमान जितनी बड़ी महत्वाकांक्षाएं थीं, जो खेलों के प्रति उनके जुनून से प्रेरित थीं, जिसकी कोई सीमा नहीं थी.
एथलेटिक कौशल में डूबे परिवार के साथ - उनके पिता, गंगापटनम विजया भास्कर राजू, रक्षा विभाग में एक लेखा पर्यवेक्षक, और उनकी मां, अरुणा, एक पूर्व टेनिस खिलाड़ी रही हैं, जिस कारण खेल भावना दीपिका के खून में है.
इसी खेल के माहौल में विजया दीपिका को अपना लक्ष्य मिला, उनका दिल टेबल टेनिस की गेंद की लयबद्ध थपथपाहट की ओर खिंचा चला गया. फ्रैक्चर के लगातार खतरे के बावजूद, उन्होंने अपने कौशल को दृढ़ निश्चय के साथ निखारा, अपनी स्थिति को उत्कृष्टता की खोज में बाधा बनने नहीं दिया.
फरवरी 2024 में, इंदौर में राष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप में, विजया दीपिका की दृढ़ता ने फल दिया, क्योंकि उन्होंने 2 रजत पदक और 1 कांस्य पदक जीता, जिससे पैरा टेबल टेनिस की दुनिया में एक उभरते सितारे के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई.