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सिर्फ रोहित शर्मा और विराट कोहली पर नहीं बल्कि गौतम गंभीर पर भी लटकी तलवार, जल्द होगी टीम से छुट्टी? - INDIA HEAD COACH GAUTAM GAMBHIR

फरवरी-मार्च में होने वाली चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा तो टीम इंडिया में कुछ बड़े बदलाव देखने को मिलने वाले हैं.

Rohit Sharma, Virat Kohli and Gautam Gambhir
रोहित शर्मा, विराट कोहली और गौतम गंभीर (IANS Photo)

By ETV Bharat Sports Team

Published : Jan 1, 2025, 7:33 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज बल्लेबाज रोहित शर्मा और विराट कोहली के संन्यास की खबरें आ रही हैं, क्योंकि दोनों ही क्रिकेटर अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर हैं. उनके संन्यास की अटकलों के बीच भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने कहा कि अगर भारतीय क्रिकेट टीम चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में भी खराब प्रदर्शन करती है तो, भारत के मुख्य कोच गौतम गंभीर की नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है.

यह भी पता चला है कि गंभीर टीम के अधिकांश खिलाड़ियों के साथ एकमत नहीं हैं और संवाद उतना अच्छा नहीं है, जितना रवि शास्त्री और राहुल द्रविड़ के समय हुआ करता था. इसलिए ड्रेसिंग रूम में एक अच्छा टीम माहौल बनाए रखना कप्तान के लिए इतना आसान नहीं रहा है.

यह समझा जाता है कि रोहित शर्मा द्रविड़ के कोचिंग युग में चयन के मुद्दों पर खिलाड़ियों से व्यक्तिगत रूप से बात करते थे लेकिन गंभीर की नियुक्ति के बाद रोहित ने कुछ ऐसे खिलाड़ियों को स्पष्ट रूप से नहीं बताया जो इतने जूनियर नहीं हैं कि उन्हें कई बार क्यों नहीं चुना गया.

रोहित की खराब फॉर्म ने भी उनकी मदद नहीं की है. गंभीर, जो अपनी बात खुलकर रखने के लिए जाने जाते हैं, वह उन खिलाड़ियों के ग्रुप का आत्मविश्वास हासिल नहीं कर पाए हैं, जो हर्षित राणा या नितीश रेड्डी जैसे नए नहीं हैं. या कोहली या रोहित जितने अनुभवी नहीं हैं.

इसके अलावा, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया सीरीज में भारत के खराब प्रदर्शन ने गंभीर को पीछे धकेल दिया है. बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर पीटीआई को बताया कि, 'एक टेस्ट मैच खेला जाना है और फिर चैंपियंस ट्रॉफी है. अगर प्रदर्शन में सुधार नहीं हुआ, तो गौतम गंभीर की स्थिति भी सुरक्षित नहीं होगी'.

बीसीसीआई के अधिकारी ने कहा, 'वह कभी भी बीसीसीआई की पहली पसंद नहीं थे. उनकी पहली पसंद कोई और (वीवीएस लक्ष्मण) थे. कुछ जाने-माने विदेशी नाम तीनों प्रारूपों के कोच नहीं बनना चाहते थे, इसलिए उन्हें एक समझौता माना गया. जाहिर है कुछ अन्य मजबूरियां भी थीं'.

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