मुंबई : हरफनमौला हार्दिक पांड्या ने पिछले साल विश्व कप के मैचों के लिए फिटनेस हासिल करने की बेताबी में कई इंजेक्शन लेने और अपने टखने से खून के थक्के हटाने जैसे मुश्किल उपायों का सहारा लिया लेकिन इससे चोट और बढ़ गयी और इस भारतीय खिलाड़ी को वनडे विश्व कप से बाहर बैठना पड़ा. विश्व कप के दौरान भारत के चौथे मैच में बांग्लादेश के खिलाफ गेंदबाजी के दौरान अपने पहले ओवर के बाद पंड्या लंगडाते हुए मैदान से बाहर गये थे. वह इसके बाद टीम में वापसी नहीं कर सके.
उन्होंने स्टार स्पोर्ट्स से कहा, 'मैंने अपनी एड़ी पर तीन अलग-अलग जगहों पर इंजेक्शन लगवाए और सूजन के कारण मुझे अपने टखने से खून निकलवाना पड़ा. मैं (विश्व कप के शेष मैच खेलने पर) हार नहीं मानना चाहता था. टीम के लिए मैं हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहता हूं. अगर एक प्रतिशत भी टीम में वापसी की संभावना हो तो मैं अपनी ओर से पूरा प्रयास करता हूं'.
पांड्या ने कहा कि उन्हें पता था कि कड़ी मेहनत करने से विपरीत परिणाम मिल सकते हैं. उन्होंने घरेलू सरजमीं पर खेले गये विश्व कप के दौरान टीम में वापसी के लिए यह जोखिम उठाया. उन्होंने कहा, 'मुझे पता था कि (अगर) मैं खुद को चोट से उबरने के लिए ज्यादा प्रयास करूंगा तो मैं लंबे समय तक के लिए चोटिल हो सकता हूं'.
पांड्या ने कहा, 'जब मैं अपनी ओर से पुरजोर कोशिश कर रहा था तो यह चोट फिर से उबर गयी और यह ऐसी चोट में तब्दील हो गयी जिससे उबरने में तीन महीने का समय लगता। मैं चलने में सक्षम नहीं था लेकिन मैं उस समय दौड़ने की कोशिश कर रहा था'.