नई दिल्ली: क्रिकेट इतिहास के सबसे पुराने फॉर्मेट में टेस्ट क्रिकेट सबसे ऊपर है. टेस्ट क्रिकेट को काफी लंबे समय तक रेड बॉल से खेला जाता था, लेकिन समय के अनुसार हुए बदलावों के चलते अब टेस्ट क्रिकेट को पिंक बॉल से भी खेला जाता है. आज हम आपको इस बारे में बताने वाले हैं कि टेस्ट फॉर्मेट में इस्तेमाल होने वाली रेड बॉल और पिंक बॉल में क्या अंतर है.
रेड बॉल और पिंक बॉल में क्या अंतर है
विजिबिलिटी -रेल बॉल दिन में काफी अच्छी दिखाई देती है, क्योंकि ग्रीन मैदान पर और वाइट ड्रेस में रेड बॉल बल्लेबाजों को दिन में खेलने के लिए आसान होती है. रेड बॉल रात में अंधेरे में खेलने के लिए ठीक नहीं मानी जाती है. वहीं पिंक बॉल रात में खिलाड़ियों को काफी अच्छी दिखाई देती है. पिंक बॉल को डे-नाइट मैच के लिए ही मुख्य रूप से बनाया गया है. पिंक बॉल रोशनी में खेल को अच्छे से खेलने में मदद ज्यादा करती है.
धागे का अंतर - रेड बॉल को सफेद रंग के धागे से सिला जाता है, जबकि पिंक बॉल में काले रंग के धागे से सिला जाता है. इससे पहले बैटर को गेंद के रोटेशन को देखने में परेशानी होती है.
स्विंग और सीम - पिंक बॉल रेड बॉल की तुलना में अधिक स्विंग करती है. पिंक बॉल खासकर रोशनी के दौरान अधिक स्विंग और सीम मूवमेंट प्राप्त करती है. पिंक बॉल से गेंदबाज को रोशनी में स्विंग मिलने के अलावा अतिरिक्त उछाल भी देती है.
पुरानी गेंद का फर्क - पिंक बॉल की चमक ज्यादा समय तक चलती है, वो जल्दी घिसती नहीं है. जबकि रेड बॉल पिंक बॉल की तुलना में जल्दी पुरानी हो जाती है. पिंक बॉल 45-50 ओवर तक सख्त रहती है, जबकि रेड बॉल 35-40 ओवर के बाद नरम हो जाती है. पिंक बॉल से गेंदबाजों को रिवर्स स्विंग मिलने की संभावना को कम रहती है.
स्पिन में मदद - पिंक बॉल रेड बॉल की तुलना में कम स्पिन होती है. पिंक बॉल से स्पिनर्स को कम मदद मिलती है. रेड बॉल की तुलना में पिंक बॉल ज्यादा सख्त होती है. इसके साथ ही पिंक बॉल से तेज गेंदबाजों का दबदबा ज्यादा रहता है.
रोशनी में बल्लेबाजों पर प्रभाव - पिंक बॉल को शाम के समय बल्लेबाजों के लिए खेलना आसान नहीं रहता है. रोशनी के कारण गेंद अधिक स्विंग करने लगती है, ऐसे में बल्लेबाजों के लिए रेड बॉल की तुलना में पिंक बॉल से खेलना कठिन हो जाता है.
क्या गुलाबी गेंद से खेला जाता है टेस्ट मैच क्रिकेट की शुरुआत से ही रेड बॉल से ये खेल खेला जाता था. लेकिन समय में बदलाव के साथ वाइट कपड़ों के अलावा रंगीन कपड़ों में मैच खेला जाने लगा और वाइट बॉल से रंगीन कपड़ों वाला गेम खेला जाने लागा. टेस्ट मैच डे में होता था और उसे रेड बॉल से खेला जाता था. जब टेस्ट मैच को डे नाइट खेलन पर विचार किया गया तो, पाया गया कि रेड बॉल रोशनी में रात के समय खिलाड़ियों को विजिबिलिटी की दिक्कत दे रही है. इससे बचने के लिए डे नाइट टेस्ट मैच पिंक बॉल से खेला जाने लगा.