कोटा :निजी कोचिंग संस्थान एलन की तरफ से प्रतिभा खोज परीक्षा टैलेंटेक्स का आयोजन हर साल किया जाता है. इस परीक्षा के आयोजन के बाद इस साल सफल अभ्यर्थियों को 2.5 करोड़ के नकद पुरस्कार और 250 करोड़ की फीस में स्कॉलरशिप दी गई है. इसके लिए रविवार को जवाहर नगर स्थित समुन्नत कैंपस के समरस सभागार में अवार्ड सेरेमनी व सक्सेस पावर सेशन आयोजित किया गया. इसमें बतौर मोटिवेटर पद्मभूषण व बीजिंग ओलंपिक में शूटिंग के स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा शामिल हुए.
इस दौरान उन्होंने एक स्टूडेंट के सवाल 'ओलंपिक में कम पदक' आने के जवाब में कहा कि ओलंपिक में कम पदक आने का कारण भारत में खिलाड़ियों की कम संख्या है. भारत की पापुलेशन काफी बड़ी है और उसकी तुलना में यह पदक कम जरूर है, लेकिन भारत खेलने वाले खिलाड़ियों से जब इन पदकों की गणना की जाएगी, तो काफी बेहतर स्थिति में है. उन्होंने कहा कि पदक बढ़ाने के लिए खिलाड़ियों की संख्या भी बढ़ानी होगी और स्पोर्ट्स कल्चर बढ़ाने की जरूरत है.
ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट शूटर अभिनव बिंद्रा (ETV BHARAT KOTA) इसे भी पढ़ें -अभिनव बिंद्रा को मिला खास सम्मान, IOC सत्र में प्रतिष्ठित 'ओलंपिक ऑर्डर' से सम्मानित
कार्यक्रम में देशभर से स्टूडेंट्स व उनके पेरेंट्स शामिल हुए. निजी कोचिंग संस्थान के निदेशक डॉ. बृजेश माहेश्वरी ने कहा कि नेशनल व स्टेट रैंक के साथ 15 हजार 250 कैश प्राइज दिए गए. इस साल 5 से 7 कक्षा के टॉपर्स को 50 हजार और आठ से दसवीं क्लास के टॉपर को 1 लाख रुपए नकद दिए हैं. समारोह के दौरान कोचिंग के निदेशक राजेश माहेश्वरी व डॉ. बृजेश माहेश्वरी के अलावा अन्य अतिथियों ने टॉपर्स का सम्मान किया.
अपनी हार की एनालिसिस करने से मिली जीत : अभिनव बिंद्रा ने कहा कि असफल होने से ही सीख लेकर सफलता पाई जा सकती है. खिलाड़ी और स्टूडेंट का करियर लगभग एक जैसा होता है. मेहनत करना और फोकस रहना खिलाड़ी के लिए जरूरी है. यही स्टूडेंट के लिए भी इंपोर्टेंट है. मैं खुद ओलंपिक में पदक नहीं जीत पाया था. अपनी हार का एनालिसिस किया तो सामने आया कि जिस बेस पर मैं खड़ा था, वो हिल रहा था. इसलिए निशाने अच्छे नहीं लगे. उसके बाद 2008 में बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण जीता.
टॉपर्स को मिला सम्मान (ETV BHARAT KOTA) इसे भी पढ़ें -अखिल भारतीय सिविल सेवा लॉन टेनिस टूर्नामेंट का आगाज, 33 राज्यों के अधिकारी, कर्मचारी पहुंचे जयपुर - AICS LAWN TENNIS TOURNAMENT
पढ़ाई के साथ खेल भी जरूरी :उन्होंने कोचिंग स्टूडेंट्स को सलाह दी कि किसी भी करियर में जाएं, लेकिन कोई न कोई स्पोर्ट्स से जरूर जुड़े रहें, क्योंकि स्पोर्ट्स जो सीखाता है, वो शायद कहीं सीखने को नहीं मिलता. कुछ देर ही खेलें, लेकिन जरूर खेलें. मेंटल स्ट्रेस को स्वीकार करने से परिणाम की चिंता बहुत कम हो जाती है और परफॉर्मेंस बेहतर होता है.
ऐसे हासिल होगी सफलता :अभिनव बिंद्रा ने स्टूडेंट्स को मोटिवेट करते हुए कहा कि स्पोर्ट्स और स्टडी में एक चीज कॉमन है. दोनों में अपना बेस्ट देने की कोशिश करें. कंपटीशन को देखने की जगह बेहतर करें. आपको अपने हार्ड वर्क पर भी खुशी मिलेगी और यही राह सफलता तक ले जाएगी. बिंद्रा ने कहा कि खेल में कोच से संबंध आपकी सफलता पर निर्भर करता है. इसी तरह से पढ़ाई में आपके साथी स्टूडेंट और टीचर्स के साथ भी अच्छे संबंध होने चाहिए. इसके लिए अनुशासन काफी जरूरी है. दूसरी तरफ पढ़ाई और खेल के साथ-साथ माता-पिता व दोस्तों से बातें शेयर करेंगे, तो मस्त रहना सीखेंगे और तभी ध्यान लगाकर पढ़ाई भी कर पाएंगे.