जयपुर. पिंकसिटी के वो बाशिंदे जो शहर से बाहर निकल कर बाहरी दुनिया को नहीं देख पाते थे. उनके लिए यहां के राजा सवाई राम सिंह ने एक ही छत के नीचे देश विदेश की अनोखी वस्तुओं को प्रदर्शित करने वाले पहले म्यूजियम की नींव रखी. आज ये अल्बर्ट हॉल 139 साल का हो गया है. लेकिन इसकी विरासत, स्थापत्य कला और यहां प्रदर्शित की गई अनोखी वस्तुएं आज भी जयपुर आने वाले हर एक व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.
1887 में चार गैलरी से शुरू हुए अल्बर्ट हॉल में आज 18 गैलरी मौजूद हैं. यहां 322 ईसा पूर्व की इजिप्ट की ममी है, तो 1622 ईसा का पर्शियन कारपेट भी मौजूद है. अब इस म्यूजियम को संवारने और संजोने के लिए 25 करोड़ रुपए का बजट और अनाउंस किया गया है.
ऐतिहासिक अल्बर्ट हॉल : जयपुर में सवाई जयसिंह के समय विशेष और अलग दिखने वाली कलाकृतियों के लिए सिटी पैलेस में व्यवस्था की गई थी. जिसका सवाई राम सिंह ने आधुनिकीकरण किया. दरअसल, सवाई राम सिंह को पुरानी वस्तुओं के संग्रह में गहरी रुचि थी. वो पुरा सामग्रियों को बादल महल में रखा करते थे. फिर वर्ष 1866 के दौर में दीवान रहे पं. शिव दीन ने किशनपोल में खुद के लिए एक हवेली बनवाई. लेकिन पंडितों ने उसमें रहने से मना कर दिया.
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इसके बाद सवाई राम सिंह ने उस हवेली के एक भाग में मदरसा-ए-हुनरी और दूसरे भाग में बादल महल की पुरा सामग्रियों को शिफ्ट करते हुए पहला अजायबघर बनाया. लेकिन जब ये छोटा पड़ने लगा तब सवाई राम सिंह ने एक नया संग्रहालय बनाने का फैसला लिया. उसी समय फरवरी, 1876 में ब्रिटिश शासन के अगले किंग एडवर्ड सप्तम बनने से पहले प्रिंस अल्बर्ट का जयपुर आना हुआ. तब सफेद रंग के जयपुर को गुलाबी रंग में रंगा गया. और प्रिंस की उस यात्रा को यादगार बनाने के लिए 6 फरवरी 1876 को अल्बर्ट हॉल की नींव रखी. इस पर खुश होकर प्रिंस अल्बर्ट ने जयपुर से लिया जाने वाला टैक्स भी आधा कर दिया था.
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अल्बर्ट हॉल के 139 साल : हालांकि इस इमारत के निर्माण के दौरान ही महाराजा रामसिंह का निधन हो गया. उनके बाद महाराजा माधो सिंह ने चीफ इंजीनियर स्विंटन जैकब की अगुवाई में अल्बर्ट हॉल का काम पूरा कराया और फिर 21 फरवरी 1887 को एडवर्ड बेडफोर्ड ने अल्बर्ट हॉल का उद्घाटन किया. ये देश की एक मात्र ऐसी इमारत है, जिसमें कई देशों की स्थापत्य शैली का समावेश देखने को मिलता है. जयपुर के राज परिवार के चित्र, राजचिह्न, भारत और विदेशी कला के नमूनों की प्रति कृतियां और भित्ति चित्र यहां की गैलरी में पर्यटकों के लिए प्रदर्शित किए जाते हैं. वहीं सवाई मानसिंह के समय यहां कुछ सामग्री को और जोड़ा गया. ईरानी कालीन लाए गए.
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म्यूजियम में अब 2700 से अधिक वस्तुएं : अल्बर्ट हॉल एक ऐसा स्थान है मानो एक आदमी चारों तरफ से हाथ फैलाए सबकुछ अपने अंदर समेटने की कोशिश कर रहा है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में अल्बर्ट हॉल के अधीक्षक महेंद्र कुमार ने बताया कि अल्बर्ट हॉल में वर्तमान में सबसे प्रमुख ऑब्जेक्ट इजिप्ट की ममी है, जो 322 ईसा पूर्व की है. इसके अलावा 1622 ईसा का पर्शियन कारपेट, स्ट्रक्चर, कॉइंस, आर्म्स, ब्लू पॉटरी, मेटल ऑब्जेक्ट, पेंटिंग, टेक्सटाइल, वुडन आर्ट, ज्वेलरी जैसे कई सेक्शन में अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शनी लगाई गई है. लगभग 2700 ऑब्जेक्ट डिस्प्ले में लगा रखे हैं, बाकी रिजर्व कलेक्शन है.

उन्होंने बताया कि अल्बर्ट हॉल का डिजाइन रोमन कल्चर का है. अल्बर्ट हॉल का निर्माण तत्कालीन जयपुर शहर के बाहर किया गया था. ऐसे में अल्बर्ट हॉल को देखना लोगों के लिए मेले जैसा हुआ करता था. 1887 में अल्बर्ट हॉल को आमजन के लिए शुरू कर दिया गया था, तभी से अल्बर्ट हॉल ज्ञान का केंद्र बन गया. जिसमें कलाकारों को अपने ज्ञान को विकसित करने की प्रेरणा मिली यहां पारंपरिक भारतीय कला का संरक्षण हुआ. स्थापत्य की दृष्टि से ये भारत के अव्वल भवनों में से एक है. यही वजह है कि देशी- विदेशी पर्यटकों का यहां जमावड़ा लगा रहता है.
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1887 में थी सिर्फ चार गैलरी :-
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25 करोड़ रुपये का बजट आवंटित : वहीं ढाई हजार साल पुरानी इजिप्ट की ममी को रखने के लिए करीब एक दशक पहले बेसमेंट एरिया डवलप किया गया था. जहां पैनोपोलिस से खुदाई के दौरान मिली ममी और दूसरी कलाकृतियों को रखा गया. अल्बर्ट हॉल की इन्हीं कलाकृतियों और नमूनों पर 14 अगस्त 2020 को पानी फिरता दिखा. जयपुर में आए जल सैलाब से अल्बर्ट हॉल पानी-पानी हो गया था. हालांकि समय रहते ममी को सुरक्षित प्रथम तल पर लाया गया. तब से ममी को यही प्रदर्शित किया जा रहा है. लेकिन अल्बर्ट हॉल के बेसमेंट में रखें 100 साल से पुराने 19 हजार से ज्यादा ऑब्जेक्ट्स और कलाकृतियां इसकी भेंट चढ़ गई थी. बहरहाल, समय के साथ-साथ यहां डिस्प्ले में बदलाव होता रहता है. 2007-08 में संग्रहालय के जीर्णोद्धार और संरक्षण पर भी करीब 7 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. साथ ही यहां प्रदर्शित पुरा वस्तुओं का दायरा भी बढ़ाया गया था और अब राज्य सरकार ने जयपुर की विरासत को संजोने के लिए 25 करोड़ रुपए का बजट और अनाउंस किया है.
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