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गुरु पूर्णिमा पर बन रहा है खास योग, गुरुओं को दक्षिणा देने के साथ जरूर करें यह काम - Guru Purnima 2024 - GURU PURNIMA 2024

Vyas Puja 2024: आज आषाढ़ महीने की पूर्णिमा है. जिस दिन को गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है. आज के दिन गुरुओं का सम्मान और उन्हें दक्षिणा देने काफी महत्व है. यहां जानें इसके पीछे की वजह.

Guru Purnima 2024
गुरु पूर्णिमा 2024 (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 21, 2024, 7:33 AM IST

पटना:आज रविवार आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि है, जिसे गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. हिंदू धर्म में गुरु का एक विशेष स्थान है. गुरु के ज्ञान के बिना मनुष्य का जीवन अंधकार है. गुरु और शिष्य की चर्चा महाभारत रामायण काल में भी है. गुरु पूर्णिमा को लेकर आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि शनिवार 20 जुलाई को शाम 6:20 से लेकर 21 जुलाई को 3:40 तक पूर्णिमा तिथि रहेगी.

सुबह उठकर करें ये काम: इस गुरु पूर्णिमा का बड़ा ही विशेष महत्व है. इस दिन भक्त सुबह उठकर, स्नान करके सूर्य को जल अर्पित करें. गुरु पूर्णिमा के दिन अन्न धन का विशेषता महत्व बताया गया है. अपने गुरु को प्रणाम कर आशीर्वाद प्राप्त करें और उनके बताए हुए मार्ग पर आगे बढ़े. उनको मिठाई खिलाए और हो सके तो अपने गुरु को दान दें.

क्या है गुरु की परिभाषा: गुरु पूर्णिमा के दिन घर में या मंदिर में पूजा पाठ करें. गरीबों को भोजन कारए, गौ माता को भी हरि घास खिलाएं और गरीबों के बीच वस्त्र दान करें. आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि दो अक्षरों से मिलकर बने गुरु शब्द का अर्थ है, प्रथम गु का अर्थ है अंधकार जबकि दूसरे अक्षर रू का अर्थ है उसको हटाने वाला अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को गुरु कहा जाता है. गुरु वह है जो अज्ञान का निराकरण करता है अथवा गुरु हुआ है जो धर्म का मार्ग दिखाता है.

आज के दिन इन लोगों का भी है खास महत्व: हर इंसान के माता-पिता का स्थान भगवान से भी ऊंचा होता है. माता-पिता हर बच्चे के लिए गुरु होते हैं, माता बच्चों को ज्ञान देती है, उस ज्ञान से वह अपने जीवन में आगे बढ़ता है. इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन अपने माता-पिता और साथ में बड़े बुजुर्ग का भी मान सम्मान देते हुए आशीर्वाद प्राप्त करें और अगर आप सक्षम है तो अपने माता-पिता और गुरु को दक्षिणा भी दें.

वेदव्यास से जुड़ी है कहानी: आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि गुरु पूर्णिमा की कथा जुड़ी हुई है. आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को महाभारत के रचयिता वेदव्यास जी का जन्म हुआ था. वेदव्यास जी बचपन में ही अपने माता-पिता से भगवान के दर्शन की इच्छा के लिए जिद कर रहे थे, जिस पर सत्यवती मना कर दिया. इस पर वेदव्यास जी अड़ गए. इस बात से नाराज उनकी माता ने जंगल जाने को कह दिया और कहा कि जब भी घर की याद आए तो लौट आना.

मनाई जाती है व्यास पूर्णिमा: इस बात को सुनकर वेदव्यास जी जंगल में जाकर तपस्या करने लगे. बहुत कठोर तपस्या के बाद वेदव्यास जी को संस्कृत भाषा का ज्ञान हो गया, फिर उन्होंने चारों वेद का विस्तार किया और महाभारत और 18 पुराण की रचना की. वेदव्यास जी को चारों वेद का ज्ञान था इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा की परंपरा चली आई.

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