हैदराबाद: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ही महत्व है. एकादशी का व्रत प्रत्येक महीने में दो बार आता है. एकादशी शब्द क्रमशः शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के प्रत्येक पखवाड़े में ग्यारहवां चंद्र दिन या तिथि (हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक चंद्र दिवस) है. फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन का महीना फरवरी-मार्च के महीने में आता है. इस बार Amalaki ekadashi 20 मार्च 2024 को है.
जैसा की नाम से ही स्पष्ट है इस दिन आंवले के प्रयोग का विशेष महत्व होता है. इस दिन जल में आंवला मिलाकर भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए तथा भगवान विष्णु की पूजा में भी आंवले का प्रयोग करना चाहिए. Amalaki ekadashi के दिन सुबह-सुबह भगवान विष्णु की पूजा-आराधना और दर्शन करें. भगवान विष्णु को अपनी समर्थ और शक्ति के अनुसार भोग अर्पित करें, भोग में आंवला-तुलसी दल अवश्य रखें. Aamalaki ekadashi के दिन चावल और लहसुन, प्याज आदि तामसिक चीजों का सेवन न करें और ज्यादा से ज्यादा भगवान विष्णु का ध्यान और उनका भजन कीर्तन आदि करें. भगवान विष्णु के साथ-साथ ही माता लक्ष्मी जी का का पूजन आदि अवश्य करें.
Rangbhari Ekadashi Importance , Amalaki ekadashi remedies
आमलकी एकादशी के दिन आंवले का विशेष प्रयोग होता है. आंवले का दान और आंवले के वृक्ष का रोपण करने से भी अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है. Amalaki ekadashi का व्रत नियम पूर्वक करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु के चरणों में स्थान मिलता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी के महत्व के बारे में बताते हुए कहा है कि जरूरतमंदों को दान, अश्वमेध यज्ञ के दान से भी बढ़कर है और भगवान विष्णु के दर्शन के समान पुण्य मिलता है.