हैदराबाद: सनातन धर्म में वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी या लक्ष्मीनारायण एकादशी कहा जाता है. Mohini Ekadashi का व्रत 19 मई को रविवार, पुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और बहुत सारे सुंदर संयोग में मनाया जाएगा. रविवार का शुभ संयोग मोहिनी एकादशी के महत्व को और बढ़ा रहा है. वज्र और मानस योग, विष्कुंभ, हस्त नक्षत्र और ववकरण, कन्या राशि के चंद्रमा के कारण Mohini Ekadashi का महत्व और भी बढ़ गया है.
मोहिनी एकादशी है अति विशिष्ट : ज्योतिषियों ने बताया कि रविवार और भगवान श्री हरि विष्णु का विशेष संबंध माना गया है. भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा रविवार के दिन करने से सभी मनोकामनाएं और इच्छाएं पूरी होती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार Mohini Ekadashi सभी एकादशियों में अति विशिष्ट एकादशी के रूप में जानी जाती है."द्रिक पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 18 मई को सुबह 11:22 पर होगी और समापन 19 मई को दोपहर 1:50 पर होगा. Mohini Ekadashi व्रत का पारण (व्रत तोड़ने का) समय सुबह 05:43 AM से सुबह 08:19 बजे तक है.
Mohini Ekadashi की पूजा में जरूर करें ये काम : ज्योतिषविद पं. विनीत शर्मा ने बताया कि " मोहिनी एकादशी या लक्ष्मीनारायण एकादशी के दिन स्नान, व्रत, उपवास और दान का विशेष महत्व माना जाता है. Mohini Ekadashi के दिन वचन का दान(वागदान) देना शुभ और अत्यंत कल्याणकारी माना जाता हैं. इस शुभ दिन स्नान करके मंत्रों के साथ भगवान Vishnu और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. Vishnu Ji को कमल के फूल, नीलकमल, दूब, सुगंधित फूलों की माला, लाल कमल और ब्रह्म कमल अर्पित करना चाहिए. भगवान श्री हरि विष्णु को सभी तरह के ऋतु फलों का भोग लगाना चाहिए."