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आदिवासियों से सीखें उत्सव का असली मतलब, भगोरिया के रंगों में देखें जीवन का उल्लास - Bhagoriya festival 2024

गायत्री परिहार बीते 25 सालों से भगोरिया पर्व की गवाह रही हैं. इस बार ईटीवी भारत के लिए उन्होंने अलीराजपुर में भगोरिया मेले के हर पल को अपने कैमरे में कैद किया है.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 23, 2024, 6:21 PM IST

भगोरिया का मतलब भागना नहीं..पल पल को जीना है, भगोरिया का अर्थ नहीं संदेश समझिए. (फोटो क्रेडिट - गायत्री परिहार)
भगोरिया भागना नहीं जीवन के हर पल को पूरे उमंग और उल्लास के साथ जीना है, ये रंगों का सत्कार है.
भगोरिया बताता है कि हम रोजी रोजगार के लिए चाहे कितनी दूर निकल आएं सुकून की तलाश में फिर हमें लौट आना.
भगोरिया बताता है कि आधुनिकता के छींटे भी इन आदिवासियो को उनकी जड़ो से दूर नहीं कर पाते.
उत्सव की कोई उम्र नहीं होती, आदिवासी समाज से ये बात भी सीखने लायक है.
यहां जितना उल्लास नौजवानों में नजर आता है, उससे कहीं ज्यादा बुजुर्गों में दिखता है.
भगोरिया का मेला सिखाता है कि स्वाद, संगीत, सुर, ताल और फागुन की धूप में मदमस्त चाल.
भगोरिया में आदिवासी समाज ये आजादी देता है कि मेले में मन का मीत मिल जाए तो ढूंढ लिया जाए.
इसलिए भगोरिया प्रेम का उत्सव भी है.

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