दिल्ली

delhi

ETV Bharat / opinion

मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की भारत यात्रा क्यों महत्वपूर्ण है? - Anwar Ibrahim - ANWAR IBRAHIM

Malaysian Prime Minister Anwar Ibrahim: मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम 19 अगस्त को तीन दिवसीय दौरे पर भारत आएंगे. उनकी यात्रा से भारत-मलेशिया द्विपक्षीय संबंधों के और मजबूत होने की उम्मीद है. इब्राहिम की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे.

मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की भारत यात्रा
मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की भारत यात्रा (ANI)

By Aroonim Bhuyan

Published : Aug 20, 2024, 5:20 PM IST

Updated : Aug 20, 2024, 7:19 PM IST

नई दिल्ली: मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम जब भारत की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर सोमवार शाम को दिल्ली पहुंचेंगे, तो उनका ध्यान विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर होगा. साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका को बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जाएगा, क्योंकि मलेशिया 2025 में 10 देशों के एसोसिएशम ऑप साउथ ईस्ट नेशंस (ASEAN) का अध्यक्ष बनने वाला है.

2022 में पदभार संभालने के बाद प्रधानमंत्री के रूप में यह इब्राहिम की पहली भारत यात्रा होगी. इससे पहले उन्होंने 2019 में पीपुल्स जस्टिस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में भारत का दौरा किया था. उस समय उन्होंने रायसीना डायलॉग में भाग लिया था. रविवार को इब्राहिम की यात्रा की घोषणा करते हुए विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत और मलेशिया के बीच मजबूत ऐतिहासिक और सामाजिक-सांस्कृतिक संबंध हैं.

बयान में कहा गया है, "प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान 2015 में हमारे द्विपक्षीय संबंधों को इन्हांस स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप के स्तर तक बढ़ाया गया. चूंकि दोनों देश अगले साल इन्हांस स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप के दूसरे दशक में प्रवेश कर रहे हैं, इसलिए प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की यात्रा भविष्य के लिए बहु-क्षेत्रीय सहयोग एजेंडा तैयार करके भारत-मलेशिया द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने का मार्ग प्रशस्त करेगी."

पिछले हफ्ते यहां अपनी नियमित प्रेस वार्ता के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इब्राहिम की यह यात्रा दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में संबंधों की समीक्षा करने, उसे मजबूत बनाने और भारत-मलेशिया साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का अवसर प्रदान करेगी.

भारत और मलेशिया आसियान सहित विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर घनिष्ठ सहयोग करते हैं, जहां भारत एक रणनीतिक साझेदार है. दोनों देश क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक एकीकरण और सतत विकास की वकालत करते हैं. वे संयुक्त राष्ट्र, जी20 और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) जैसे वैश्विक मंचों पर भी सहयोग करते हैं, अक्सर जलवायु परिवर्तन, सतत विकास और आतंकवाद जैसे प्रमुख मुद्दों पर एक-दूसरे का समर्थन करते हैं.

द्विपक्षीय व्यापार और निवेश
आर्थिक और वाणिज्यिक जुड़ाव भारत-मलेशिया इन्हांस स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगातार बढ़ रहा है और वित्त वर्ष 2023-24 में यह लगभग 20 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा. मलेशिया भारत के लिए 16वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनकर उभरा है, जबकि भारत मलेशिया के 10 सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है. मलेशिया आसियान में भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार भी है.

मलेशिया 3.3 बिलियन डॉलर के साथ भारत में 31वां सबसे बड़ा निवेशक है. इसके अलावा उसने रिन्यूएबल एनर्जी, विशेष रूप से ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोनिया और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के क्षेत्र में विभिन्न कंपनियों द्वारा 5 बिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की है.

ज्वाइंट वेंचर्स सहित लगभग 70 मलेशियाई कंपनियों ने भारत में परिचालन स्थापित किया है, जो बुनियादी ढांचे, हेल्थ सर्विस, दूरसंचार, तेल और गैस, बिजली प्लांट, पर्यटन और मानव संसाधन जैसे विविध क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं. मलेशिया में 150 से ज्यादा भारतीय कंपनियां काम कर रही हैं, जिनमें 61 भारतीय ज्वाइंट वेंचर्स और तीन भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की फर्म शामिल हैं. भारतीय कंपनियों ने लगभग 250 मैन्युफैक्चरिंग परियोजनाओं में कुल 2.62 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है.

पिछले कुछ वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, खास तौर पर 2011 में भारत-मलेशिया व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) के कार्यान्वयन के बाद. इस समझौते में गुड्स, सर्विस और निवेश शामिल हैं और इसने दोनों देशों के बीच व्यापार की मात्रा को बढ़ाया है. इब्राहिम की यात्रा के दौरान इस समझौते की समीक्षा किए जाने की उम्मीद है.

रक्षा सहयोग
दोनों देशों के बीच सहयोग का एक और प्रमुख स्तंभ रक्षा है. 1993 में हस्ताक्षरित रक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों की आधारशिला है, जो मौजूदा द्विपक्षीय सहयोग के दायरे को संयुक्त उपक्रम, संयुक्त विकास परियोजनाओं, खरीद, रसद और रखरखाव सहायता और प्रशिक्षण को शामिल करने की अनुमति देता है. जुलाई 2023 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मलेशिया यात्रा के दौरान भी समझौता ज्ञापन में संशोधन पर हस्ताक्षर किए गए.

पिछले साल सितंबर में नई दिल्ली में मिडकॉम का 12वां एडीशन आयोजित किया गया था. भारतीय नौसेना के जहाज नियमित रूप से मलेशिया के बंदरगाहों का दौरा करते हैं, जिससे दोनों नौसेनाओं को एक-दूसरे के साथ बातचीत करने और जुड़ने का अवसर मिलता है. दक्षिण चीन सागर में चीन के क्षेत्रीय दावों को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है. मलेशिया दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में से एक है जिसका दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद है.

शैक्षिक संबंध
भारत और मलेशिया ने उच्च शिक्षा में द्विपक्षीय सहयोग के लिए 2010 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. लगभग 4,400 भारतीय छात्र मलेशिया में सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं, अनुमानित 3,000 मलेशियाई छात्र भारत में अध्ययन कर रहे हैं.

सांस्कृतिक संबंध
मलेशिया में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भारतीय प्रवासी समुदाय है. मलशिया में भारतीय मूल के व्यक्तियों की संख्या लगभग 2.75 मिलियन (मलेशिया की आबादी का लगभग 6.8 प्रतिशत) है, जबकि 90 प्रतिशत पीआईओ तमिल बोलते हैं, बाकी तेलुगु, मलयालम, पंजाबी, बंगाली, गुजराती और मराठी आदि बोलते हैं.

भारत और मलेशिया के ट्रेन शिक्षकों द्वारा कर्नाटक गायन, कथक नृत्य, योग और हिंदी भाषा की कक्षाएं प्रदान करने के लिए फरवरी 2010 में कुआलालंपुर में आईसीसीआर के तहत एक भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की गई थी.

द्विपक्षीय संबंधों में चुनौतियां
अवैध आव्रजन, वर्कप्लेस पर शोषण, भारतीय नाविकों का शोषण, मजदूरों का प्रत्यावर्तन और भारत से मलेशिया में मानव तस्करी दोनों सरकारों के लिए चिंता के प्रमुख कारण हैं. मजबूत संबंधों के बावजूद, द्विपक्षीय संबंधों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, खासकर व्यापार असंतुलन और क्षेत्रीय सुरक्षा गतिशीलता पर अलग-अलग विचारों जैसे मुद्दों पर.

दोनों देशों में राजनीतिक परिवर्तनों ने कभी-कभी फोकस और प्राथमिकताओं में बदलाव किए हैं. मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महाथिर ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू करने के लिए भारत की आलोचना की थी. भारत ने मलेशिया से पाम ऑयल के आयात पर प्रतिबंध लगाकर जवाब दिया था.

मलेशिया को अपना घर बनाने वाले विवादास्पद मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाइक का मुद्दा भारत-मलेशिया संबंधों में एक और बड़ा कांटा है. नाइक पर भारत में उकसावे और धन शोधन के आरोप हैं. भारत ने मलेशिया से उसके प्रत्यर्पण की मांग की है. हालांकि, दोनों देशों ने इन मुद्दों को सुलझाने और अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए लगातार कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से काम किया है.

इब्राहिम की यात्रा से उम्मीदें
इब्राहिम की यात्रा की पूर्व संध्या पर नई दिल्ली में मलेशियाई पत्रकारों को संबोधित करते हुए भारत में मलेशियाई उच्चायुक्त मुजफ्फर शाह मुस्तफा ने कहा कि मलेशिया और भारत के बीच डिजिटल, पर्यटन, स्वास्थ्य, फार्मास्यूटिकल्स, आयुर्वेदिक दवा और विदेशी श्रमिकों के क्षेत्र में सहयोग से जुड़े सात समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.

बरनामा समाचार एजेंसी ने मुस्तफा के हवाले से कहा, "इस यात्रा से रिन्यूएबल एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के क्षेत्र में सहयोग के अवसर खुलने की भी उम्मीद है, जहां भारत को लाभ है. इसके अलावा, भारत को मलेशिया के साथ सेमीकंडक्टर उद्योग में सहयोग मजबूत करने की उम्मीद है."

उन्होंने कहा कि चर्चा का एक अन्य क्षेत्र ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन) ब्लॉक में मलेशिया की भागीदारी होगी, क्योंकि भारत वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को मजबूत करने के लिए प्रयास कर रहा है. मोदी और अनवर के बीच चर्चा भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका और एक्ट ईस्ट नीति के हिस्से के रूप में आसियान क्षेत्र में नई दिल्ली की बढ़ती पहुंच पर भी केंद्रित होगी.

मुस्तफा ने कहा कि मलेशिया में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) का परिसर खोलने की भारत की इच्छा पर भी चर्चा होने की उम्मीद है. इन सब बातों को देखते हुए प्रधानमंत्री के रूप में मुस्तफा की पहली भारत यात्रा काफी महत्वपूर्ण है.

यह भी पढ़ें- बांग्लादेश संकट: मुक्ति संग्राम के दौरान भारत ने जो योगदान दिया था, उन यादों पर साधा जा रहा निशाना, खतरे में स्मारक

Last Updated : Aug 20, 2024, 7:19 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details