दिल्ली

delhi

ETV Bharat / opinion

भविष्य के लिए स्वास्थ्य का आधार स्कूली शिक्षा, छात्र ऐसे बनेंगे एक बेहतर समाज के एजेंट! - Schooling For Health and Future

Schooling For Health Foundation For The Future: भविष्य के लिए स्वास्थ्य आधार को मजबूत बनाने के लिए स्कूली शिक्षा कितना महत्वपूर्ण है. स्कूल में बच्चों को अगर सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान सही तरीके से मिले तो वे समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान निभा सकते हैं. इससे उनका भी उचित विकास होगा और समाज में सकारात्मक बदलाव होंगे. पब्लिक हेल्थ के एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर के. श्रीनाथ रेड्डी ने बेहतर स्वास्थ्य, सामाजिक विकास और स्कूली शिक्षा पर बेहतरीन ढंग से प्रकाश डाला है...

Etv Bharat
Etv Bharat

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 12, 2024, 4:38 PM IST

Updated : Apr 12, 2024, 4:58 PM IST

नई दिल्ली: धरती पर किसी भी जीव या फिर इंसान के लिए स्वस्थ रहना काफी महत्वपूर्ण है. जिसके लिए हमें स्कूली शिक्षा को आधार बनाना होगा. ताकि हम एक बेहतर और स्वस्थ समाज का निर्माण करें. अच्छा स्वास्थ्य ही जीवन की महत्वपूर्ण कूंजी है. इस संपत्ति को हासिल करने के लिए हमें अपनी जीवनशैली को समझना होगा. प्रकृति से हमें वह सबकुछ हासिल है, जिसे हम आसानी से बिना पैसे खर्च किए प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि, बिना ज्ञान के हमें इस जल्द हासिल नहीं कर सकते. सवाल है कि हम प्रकृति के इस वरदान को कैसे हासिल करें? इसका उत्तर है शिक्षा. अगर हम सही मायने में शिक्षित हो गए तो हमें अच्छाइयों, बुराइयों का आसानी से ज्ञान हो जाएगा. शिक्षा का अर्थ सिर्फ किताबी ज्ञान से नहीं है. शिक्षा की कई शाखाएं हैं, जैसे खेल कूद, शारिरिक और मानसिक विकास, कार्यक्षमता, कल्याण, भावनात्मक स्थिरता, आत्म देखभाल की क्षमता, परिवार और दोस्तों के साथ विकट परिस्थितियों में स्थिति को कैसे अनुकूल बनाए...वगैरह..वगैरह. व्यस्क जीवन में हमें यौन और प्रजनन से संबंधित विषयों का भी ज्ञान होना चाहिए. यौन संबंधी विषय स्वस्थ शरीर का वाद्य यंत्र माना जाता है. स्वस्थ शरीर को कैसे बरकरार रखे, इसका कोई पैमाना नहीं है. उसके लिए हमें अपनी परिस्थितियों को समझते हुए समय को अपने वश में करने का हुनर आना चाहिए. भविष्य के लिए स्वास्थ्य का आधार स्कूली शिक्षा पर केंद्रित है. आने वाले समय में एक छात्र कैसे अच्छी तालिम हासिल कर किसी बड़े सरकारी पद, या फिर किसी बिजनेस, या प्राइवेट नौकरी पा कर सफलता हासिल करेगा. जब वह यह सबकुछ हासिल कर लेगा उसके बाद वह परिवार का भी ख्याल रखेगा. उनके जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आएंगे. वह मानसिक और शारिरिक तौर पर मजबूत होगा. ऐसी कई बातें एक इंसान अपने आने वाले भविष्य के बारे में चिंतन करता रहता है. कुल मिलाकर वह एक स्वस्थ माहौल की आशा करता है. यह सब संभव सिर्फ और सिर्फ बेहतर स्कूली शिक्षा ही प्रदान कर सकता है.

भविष्य के लिए स्वास्थ्य काआधार स्कूली शिक्षा
हम सभी जानते हैं कि,अच्छा स्वास्थ्य सबसे कीमती संपत्ति है जो एक इंसान पूरे जीवन भर हासिल कर सकता है. कई बार ऐसा होता है कि मनुष्य के लिए जीवन उसके अनुकूल नहीं होता और प्रतिकूल परिस्थितियों मानसिक संतुलन बिगड़ने से स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव छोड़ता है. इन विकट परिस्थितियों से निपटने के लिए शिक्षा ही इंसान के काम आता है. वह फिर से अपनी जीवनशैली को पटरी पर लाने के लिए ज्ञान का सहारा लेता है. जिसके बाद वह फिर से तनावमुक्त होकर आगे की राह तलाशता है. ऐसे में वह फिर से अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना शुरू कर देता है. हमें यह समझने की जरूरत है कि, बिना शिक्षा को आधार बनाए हम एक सुंदर भविष्य और स्वस्थ्य शरीर की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. वर्तमान में समाज में सबसे बड़ी समस्या यह है कि, अधिकांश लोग यह सीखे बिना बड़े होते है कि, कौन से कारक जीवन भर स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते हैं. वह यह नहीं जानते या फिर उनमें अल्प ज्ञान होता है कि हम अपने स्वास्थ्य की कैसे रक्षा करें. एक अच्छे जीवन शैली को समझने के लिए कोई बड़ा रॉकेट साइंस को समझने की जरूरत नहीं है. बस हमें जीवन में होने वाले लाभ और हानि के बारे में समझने की जरूरत है. अगर हम ललित कलाओं, सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय और व्यवसायिक प्रभावों के बारे में ज्ञान रखते हैं तो हम परिस्थितियों को अपने वश में कर सकते हैं. अगर ऐसा नहीं है तो फिर हम संकट में हैं. मान लीजिए हमें सेक्स एजुकेशन का ज्ञान है तो हमारा दांपत्य जीवन भी काफी सरलता से आगे बढ़ता रहेगा. लेकिन अगर हम यौन शिक्षा के बारे में अनिभिज्ञ हैं तो हमें कदम-कदम पर परेशानियों का सामना करना पड़ सकत है. इसके लिए हमें स्कूली शिक्षा पर जोर देना होगा. तभी हम इस धरती के मजबूत प्राणी बनकर उभर सकते हैं.

शिक्षा और स्वस्थ्य समाज
धरती पर जीतने भी जीव-जंतु हैं उनका जुड़ाव सीधे-सीधे प्रकृति के साथ है. अगर हम प्रकृति के से दोस्ती कर लेते हैं तो हम किसी भी बीमारी, विकट परिस्थितियों से लड़ सकते हैं. उसके लिए हमें शुरूआत से ही स्कूली शिक्षा पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करना होगा. यह सौ फीसदी सत्य है कि शिक्षा पूरी आबादी के स्वास्थ्य में सुधार करती है. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) इस बात की पुष्टि करता है कि, शिक्षा अपने आप में विकास और स्वास्थ्य हस्तक्षेप के लिए एक उत्प्रेरक है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर 2015 की घोषणा में कहा गया है कि, शिक्षा, कौशल, मूल्य और दृष्टिकोण प्रदान करती है जो नागरिकों को स्वस्थ और पूर्ण जीवन जीने और निर्णय लेने में सक्षम बनाती है. अच्छा स्वास्थ्य को शिक्षा से सहायता मिलती है और खराब स्वास्थ्य एक छात्र को शिक्षा तक पहुंचने या उसका पूरा लाभ उठाने से रोकता है. इसलिए, हमें शिक्षा और स्वास्थ्य के बीच एक अच्छे द्वि-दिशात्मक संबंध को बढ़ावा देने का जरूरत है. स्कूल एक ऐसा स्थान है जहां शिक्षा का बच्चे पर सबसे प्रभावशाली रचनात्मक प्रभाव पड़ता है. जिसकी छाप जीवन भर बनी रहती है. वे ज्ञान को बढ़ाने, जीवन कौशल प्रदान करने, मूल्यों को अपनाने, बाद के रोजगार के लिए तैयार करने और विद्यार्थियों को जिम्मेदार नागरिक के रूप में विकसित करने में मदद करने के लिए कई क्षेत्रों में निर्देश प्रदान करते हैं. जो समाज को आकार दे सकते हैं, चला सकते हैं और सुरक्षित रख सकते हैं. ये सभी अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और उसकी सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं.

स्कूली बच्चों को कैसी शिक्षा मिले?
स्कूली बच्चों को व्यक्तिगत स्वच्छता, अच्छी स्वच्छता, स्वस्थ आहार, पर्याप्त शारीरिक गतिविधि, नशे की लत वाले पदार्थों से परहेज, तनाव से निपटने की तकनीक, सुखद समाजीकरण और संघर्ष समाधान के लाभों से परिचित कराने के लिए एक शुरूआती राह प्रदान करती है. यातायात सुरक्षा और प्राथमिक चिकित्सा के पाठ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होंगे. जबकि बदमाशी, शारीरिक हिंसा, भेदभाव और लिंग पूर्वाग्रह से होने वाले नुकसान की चर्चा अच्छे व्यवहार पैटर्न को आकार देगी. स्कूल स्वच्छ और हरित परिवेश, अच्छे हवादार और उचित रोशनी वाले क्लास रूम, खेल के मैदानों का प्रावधान, विकलांगता अनुकूल बुनियादी ढांचे, स्वस्थ कैफेटेरिया भोजन और तंबाकू उत्पादों, शराब और नशीली दवाओं को बाहर रखने के लिए सख्त नीतियों को लागू करके स्वास्थ्य संवर्धन के लिए बात कर सकते हैं. वे मानसिक स्वास्थ्य परामर्श प्रदान कर सकते हैं, योग और ध्यान तकनीक सिखा सकते हैं. अगर कहीं कोई बाधा उत्पन्न हो रही है तो समय से विषय का पूरा ज्ञान एक बच्चे को देकर उसे सही राह पर लाया जा सकता है.

स्कूली ज्ञान से समाज का विकास संभव
छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से उबरने या शारीरिक अक्षमताओं से उत्पन्न बाधाओं को दूर करने में एक-दूसरे की मदद करने में सक्षम बनाने के लिए सहकर्मी से सहकर्मी सहायता समूह स्थापित किए जा सकते हैं. उस प्रक्रिया में वे सहानुभूति को बढ़ावा दे सकते हैं. जब वे संघर्ष की दुनिया में कदम रखेंगे तो उन्हें स्कूली ज्ञान काम देगा. वहीं, प्रशिक्षित नर्सों द्वारा चलाए जाने वाले स्कूल स्वास्थ्य क्लीनिक कई स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने में बहुत मददगार हो सकते हैं, जिनमें सामान्य बुखार या मासिक धर्म की शिकायतों से लेकर मिर्गी के दौरे जैसी विशेष समस्याएं या किशोर मधुमेह वाले बच्चों में निम्न रक्त शर्करा के कारण हाइपोग्लाइकेमिक एपिसोड का उपचार शामिल ह.। जहां स्कूलों में ऐसे क्लीनिक नहीं हैं, वहां शिक्षकों को कौशल और संवेदनशीलता के साथ सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं और स्वास्थ्य आपात स्थितियों पर सक्षम और सही से प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए.

स्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देने में छात्रों की भूमिका
छात्र अपने परिवार के सदस्यों में स्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी परिवर्तन एजेंट हो सकते हैं और स्वस्थ नीतियों के चैंपियन बन सकते हैं. एक बच्चे को जब अच्छे बूरे का ज्ञान होता है तो वह अपने माता-पिता और पड़ोसियों, दोस्तों को भी हानिकारक चीजों से बचने की सलाह दे सकते हैं. जैसे कोई व्यक्ति तंबाकू का सेवन करता है तो एक छात्र उसे समय से चेतावनी देकर सही मार्ग पर ला सकता है. स्कूली शिक्षा के कई वर्षों के दौरान, प्राथमिक स्तर से शुरू करके हाई स्कूल तक प्रगति करते हुए, छात्रों के ज्ञान को उत्तरोत्तर बढ़ाया जा सकता है और जीवन कौशल को क्रमिक रूप से प्रदान किया जा सकता है. संरचित पाठ्यचर्या संबंधी शिक्षा के अलावा, संगठित पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियां और समूह परियोजनाएं सीखने में प्रभावी सहायक हो सकती हैं. वे स्व-निर्देशित शिक्षा को भी प्रोत्साहित करेंगे. युवा व्यक्ति स्वास्थ्य संबंधी संदेशों को तब तक प्रभावी ढंग से आत्मसात या लागू नहीं करते जब तक कि वे इसके पीछे के तर्क को भी नहीं समझ लेते. उन्हें न केवल यह सुनना होगा कि 'क्या करना है' बल्कि यह भी सीखना है कि 'ऐसा क्यों करना है. ऐसी शिक्षा प्रदान करने के लिए स्कूल सबसे अच्छी जगह हैं. यहा एक शिक्षक छात्र को वह सबकुछ बता सकते हैं जो कि उन्हें वह ज्ञान घर पर प्राप्त नहीं हो सकता है. यहां तक कि छात्र को यौन शिक्षा जैसे संवेदनशील विषयों को भी लैंगिक समानता और लैंगिक सम्मान पर जोर देते हुए 'स्वस्थ लैंगिक संबंध' के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए.

स्वास्थ्य कैसे प्रभावित होता है
चूंकि स्वास्थ्य अन्य क्षेत्रों के कार्यक्रमों की नीतियों से भी काफी प्रभावित होता है, इसलिए छात्र नीति निर्माताओं के साथ ऐसे उपायों की वकालत कर सकते हैं जो वर्तमान में उनके स्वास्थ्य की रक्षा करेंगे और भविष्य में भी इसे सुरक्षित रखेंगे. भारत में स्कूली छात्रों ने तंबाकू नियंत्रण, वायु प्रदूषण में कमी और प्लास्टिक बैग के उन्मूलन के लिए अभियान चलाया है. उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि स्कूलों ने 'तंबाकू मुक्त' नीतियां अपनाई हैं, जिससे स्कूल कर्मियों का कोई भी सदस्य परिसर में तंबाकू का सेवन नहीं करेगा. उन्होंने किचन गार्डन और हरा-भरा वातावरण विकसित किया है जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए अनुकूल है. स्कूलों को अपने छात्रों को उनके स्वास्थ्य की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और प्रेरणा प्रदान करनी चाहिए, ताकि वे दैनिक जीवन में जो कुछ भी करते हैं उसे बुद्धिमानी से चुन सकें और सार्वजनिक नीतियों और सामाजिक मानदंडों को सक्रिय रूप से प्रभावित कर सकें, जो उनके स्वास्थ्य और कल्याण पर प्रभाव डालते हैं. जलवायु परिवर्तन एक ऐसी चुनौती है जो एक बड़ा ख़तरा पैदा करती है जो अब और उनके जीवन के भविष्य के दशकों में उनके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालेगी. हवा, पानी और मिट्टी का प्रदूषण उनके शरीर पर लगातार तेजी से हमला कर रहा है. ध्रुवीकरण वाले संघर्ष और हिंसा सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ रहे हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य को भारी नुकसान हो रहा है और यहां तक कि शारीरिक नुकसान भी हो रहा है. युवाओं को सीखना चाहिए कि इन बाहरी प्रभावों से कैसे बचा जाए और उन्हें कैसे कम किया जाए जो उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं. स्कूल उन्हें व्यक्तिगत और संगठित सामूहिक दोनों के रूप में नागरिकता की भूमिका निभाने के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं.

बेहतर स्कूली शिक्षा से छात्र और समाज का विकास संभव
स्कूलों को तथ्यात्मक रूप से सही और अवधारणात्मक रूप से स्पष्ट ज्ञान प्रदान करना चाहिए कि मानव शरीर कई शारीरिक प्रणालियों के अच्छी तरह से समन्वित तालमेल के माध्यम से कुशलतापूर्वक कैसे काम करता है और कई कारकों (आहार की आदतों से लेकर पर्यावरणीय खतरों तक) के बारे में जागरूकता बढ़ाना चाहिए जो उस सद्भाव को नुकसान पहुंचाते हैं. तभी छात्र सही व्यक्तिगत विकल्प चुन सकते हैं और समाज में प्रभावी परिवर्तन के माध्यम भी बन सकते हैं.पब्लिक हेल्थ एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर के. श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं, 'मेरी हालिया पुस्तक 'पल्स टू प्लैनेट: द लॉन्ग लाइफलाइन ऑफ ह्यूमन हेल्थ' युवाओं को वह समग्र दृष्टिकोण प्रदान करने की एक पेशकश है. स्कूल निश्चित रूप से बेहतर कर सकते हैं'!

ये भी पढ़ें: सेमीकंडक्टर का 'महाशक्ति' बनेगा भारत! चीन के साथ होगी कड़ी 'टक्कर

Last Updated : Apr 12, 2024, 4:58 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details