नई दिल्ली: धरती पर किसी भी जीव या फिर इंसान के लिए स्वस्थ रहना काफी महत्वपूर्ण है. जिसके लिए हमें स्कूली शिक्षा को आधार बनाना होगा. ताकि हम एक बेहतर और स्वस्थ समाज का निर्माण करें. अच्छा स्वास्थ्य ही जीवन की महत्वपूर्ण कूंजी है. इस संपत्ति को हासिल करने के लिए हमें अपनी जीवनशैली को समझना होगा. प्रकृति से हमें वह सबकुछ हासिल है, जिसे हम आसानी से बिना पैसे खर्च किए प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि, बिना ज्ञान के हमें इस जल्द हासिल नहीं कर सकते. सवाल है कि हम प्रकृति के इस वरदान को कैसे हासिल करें? इसका उत्तर है शिक्षा. अगर हम सही मायने में शिक्षित हो गए तो हमें अच्छाइयों, बुराइयों का आसानी से ज्ञान हो जाएगा. शिक्षा का अर्थ सिर्फ किताबी ज्ञान से नहीं है. शिक्षा की कई शाखाएं हैं, जैसे खेल कूद, शारिरिक और मानसिक विकास, कार्यक्षमता, कल्याण, भावनात्मक स्थिरता, आत्म देखभाल की क्षमता, परिवार और दोस्तों के साथ विकट परिस्थितियों में स्थिति को कैसे अनुकूल बनाए...वगैरह..वगैरह. व्यस्क जीवन में हमें यौन और प्रजनन से संबंधित विषयों का भी ज्ञान होना चाहिए. यौन संबंधी विषय स्वस्थ शरीर का वाद्य यंत्र माना जाता है. स्वस्थ शरीर को कैसे बरकरार रखे, इसका कोई पैमाना नहीं है. उसके लिए हमें अपनी परिस्थितियों को समझते हुए समय को अपने वश में करने का हुनर आना चाहिए. भविष्य के लिए स्वास्थ्य का आधार स्कूली शिक्षा पर केंद्रित है. आने वाले समय में एक छात्र कैसे अच्छी तालिम हासिल कर किसी बड़े सरकारी पद, या फिर किसी बिजनेस, या प्राइवेट नौकरी पा कर सफलता हासिल करेगा. जब वह यह सबकुछ हासिल कर लेगा उसके बाद वह परिवार का भी ख्याल रखेगा. उनके जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आएंगे. वह मानसिक और शारिरिक तौर पर मजबूत होगा. ऐसी कई बातें एक इंसान अपने आने वाले भविष्य के बारे में चिंतन करता रहता है. कुल मिलाकर वह एक स्वस्थ माहौल की आशा करता है. यह सब संभव सिर्फ और सिर्फ बेहतर स्कूली शिक्षा ही प्रदान कर सकता है.
भविष्य के लिए स्वास्थ्य काआधार स्कूली शिक्षा
हम सभी जानते हैं कि,अच्छा स्वास्थ्य सबसे कीमती संपत्ति है जो एक इंसान पूरे जीवन भर हासिल कर सकता है. कई बार ऐसा होता है कि मनुष्य के लिए जीवन उसके अनुकूल नहीं होता और प्रतिकूल परिस्थितियों मानसिक संतुलन बिगड़ने से स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव छोड़ता है. इन विकट परिस्थितियों से निपटने के लिए शिक्षा ही इंसान के काम आता है. वह फिर से अपनी जीवनशैली को पटरी पर लाने के लिए ज्ञान का सहारा लेता है. जिसके बाद वह फिर से तनावमुक्त होकर आगे की राह तलाशता है. ऐसे में वह फिर से अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना शुरू कर देता है. हमें यह समझने की जरूरत है कि, बिना शिक्षा को आधार बनाए हम एक सुंदर भविष्य और स्वस्थ्य शरीर की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. वर्तमान में समाज में सबसे बड़ी समस्या यह है कि, अधिकांश लोग यह सीखे बिना बड़े होते है कि, कौन से कारक जीवन भर स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते हैं. वह यह नहीं जानते या फिर उनमें अल्प ज्ञान होता है कि हम अपने स्वास्थ्य की कैसे रक्षा करें. एक अच्छे जीवन शैली को समझने के लिए कोई बड़ा रॉकेट साइंस को समझने की जरूरत नहीं है. बस हमें जीवन में होने वाले लाभ और हानि के बारे में समझने की जरूरत है. अगर हम ललित कलाओं, सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय और व्यवसायिक प्रभावों के बारे में ज्ञान रखते हैं तो हम परिस्थितियों को अपने वश में कर सकते हैं. अगर ऐसा नहीं है तो फिर हम संकट में हैं. मान लीजिए हमें सेक्स एजुकेशन का ज्ञान है तो हमारा दांपत्य जीवन भी काफी सरलता से आगे बढ़ता रहेगा. लेकिन अगर हम यौन शिक्षा के बारे में अनिभिज्ञ हैं तो हमें कदम-कदम पर परेशानियों का सामना करना पड़ सकत है. इसके लिए हमें स्कूली शिक्षा पर जोर देना होगा. तभी हम इस धरती के मजबूत प्राणी बनकर उभर सकते हैं.
शिक्षा और स्वस्थ्य समाज
धरती पर जीतने भी जीव-जंतु हैं उनका जुड़ाव सीधे-सीधे प्रकृति के साथ है. अगर हम प्रकृति के से दोस्ती कर लेते हैं तो हम किसी भी बीमारी, विकट परिस्थितियों से लड़ सकते हैं. उसके लिए हमें शुरूआत से ही स्कूली शिक्षा पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करना होगा. यह सौ फीसदी सत्य है कि शिक्षा पूरी आबादी के स्वास्थ्य में सुधार करती है. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) इस बात की पुष्टि करता है कि, शिक्षा अपने आप में विकास और स्वास्थ्य हस्तक्षेप के लिए एक उत्प्रेरक है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर 2015 की घोषणा में कहा गया है कि, शिक्षा, कौशल, मूल्य और दृष्टिकोण प्रदान करती है जो नागरिकों को स्वस्थ और पूर्ण जीवन जीने और निर्णय लेने में सक्षम बनाती है. अच्छा स्वास्थ्य को शिक्षा से सहायता मिलती है और खराब स्वास्थ्य एक छात्र को शिक्षा तक पहुंचने या उसका पूरा लाभ उठाने से रोकता है. इसलिए, हमें शिक्षा और स्वास्थ्य के बीच एक अच्छे द्वि-दिशात्मक संबंध को बढ़ावा देने का जरूरत है. स्कूल एक ऐसा स्थान है जहां शिक्षा का बच्चे पर सबसे प्रभावशाली रचनात्मक प्रभाव पड़ता है. जिसकी छाप जीवन भर बनी रहती है. वे ज्ञान को बढ़ाने, जीवन कौशल प्रदान करने, मूल्यों को अपनाने, बाद के रोजगार के लिए तैयार करने और विद्यार्थियों को जिम्मेदार नागरिक के रूप में विकसित करने में मदद करने के लिए कई क्षेत्रों में निर्देश प्रदान करते हैं. जो समाज को आकार दे सकते हैं, चला सकते हैं और सुरक्षित रख सकते हैं. ये सभी अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और उसकी सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं.
स्कूली बच्चों को कैसी शिक्षा मिले?
स्कूली बच्चों को व्यक्तिगत स्वच्छता, अच्छी स्वच्छता, स्वस्थ आहार, पर्याप्त शारीरिक गतिविधि, नशे की लत वाले पदार्थों से परहेज, तनाव से निपटने की तकनीक, सुखद समाजीकरण और संघर्ष समाधान के लाभों से परिचित कराने के लिए एक शुरूआती राह प्रदान करती है. यातायात सुरक्षा और प्राथमिक चिकित्सा के पाठ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होंगे. जबकि बदमाशी, शारीरिक हिंसा, भेदभाव और लिंग पूर्वाग्रह से होने वाले नुकसान की चर्चा अच्छे व्यवहार पैटर्न को आकार देगी. स्कूल स्वच्छ और हरित परिवेश, अच्छे हवादार और उचित रोशनी वाले क्लास रूम, खेल के मैदानों का प्रावधान, विकलांगता अनुकूल बुनियादी ढांचे, स्वस्थ कैफेटेरिया भोजन और तंबाकू उत्पादों, शराब और नशीली दवाओं को बाहर रखने के लिए सख्त नीतियों को लागू करके स्वास्थ्य संवर्धन के लिए बात कर सकते हैं. वे मानसिक स्वास्थ्य परामर्श प्रदान कर सकते हैं, योग और ध्यान तकनीक सिखा सकते हैं. अगर कहीं कोई बाधा उत्पन्न हो रही है तो समय से विषय का पूरा ज्ञान एक बच्चे को देकर उसे सही राह पर लाया जा सकता है.