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सिर्फ उच्च AQI वाली हवा ही नहीं, वायु प्रदूषण के निम्न स्तर से भी पड़ सकता है दिल का दौरा - भारत में वायु प्रदूषण

Air Pollution in India, Heart Disease Cause Air Pollution, प्रदूषित हवा के लगातार संपर्क में रहने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) की गंभीरता कोई मायने नहीं रखती, क्योंकि प्रदूषण के लिए कोई सुरक्षित सीमा नहीं है. इस मुद्दे पर पढ़ें तौफीक रशीद की रिपोर्ट...

Air Pollution
वायु प्रदूषण

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 25, 2024, 3:50 PM IST

Updated : Feb 25, 2024, 4:29 PM IST

हैदराबाद:हर पतझड़/सर्दियों में कुछ हफ्तों के लिए, अधिकांश भारतीय शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीरता पर पहुंच जाता है और इसके साथ ही हमारी घबराहट का स्तर भी बढ़ जाता है. ढेर सारे लेख और घंटों का प्रसारण समय इस खराब हवा के दुष्प्रभावों को समर्पित है. हालांकि अब वैज्ञानिकों का कहना है कि यह घबराहट गलत है क्योंकि वायु प्रदूषण के लिए कोई सुरक्षित सीमा नहीं है.

इस सप्ताह ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन दोहराता है कि केवल वायु प्रदूषण के उच्च स्तर को ठीक करने से काम नहीं चलता. वायु प्रदूषण के निम्न या मध्यम स्तर के भी लगातार संपर्क में रहने से रक्त वाहिका क्षति होती है. वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) के संस्थापक डॉ. श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं कि 'वायु प्रदूषण और दिल के दौरे के खतरे के बीच एक सतत संबंध है.'

उन्होंने कहा कि 'वायु प्रदूषण के निम्न स्तर के लगातार संपर्क में रहने से रक्त वाहिकाओं को नुकसान हो सकता है और दिल के दौरे का खतरा बढ़ सकता है.' ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन में कहा गया है कि प्रदूषित हवा और हृदय स्वास्थ्य के बीच एक सतत संबंध है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि जोखिम कुछ दिनों के गंभीर प्रदूषण स्तर के संपर्क में है या कुछ समय के दौरान वायु प्रदूषण के निचले स्तर के लगातार संपर्क में है.

लाभ तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब हम वायु गुणवत्ता के लिए डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों का पालन करें. यह अध्ययन बारीक कणों के लगातार संपर्क और प्रमुख हृदय रोगों के लिए अस्पताल में भर्ती होने के जोखिमों के बीच एक्सपोजर-प्रतिक्रिया संबंध है: जनसंख्या आधारित समूह अध्ययन. निष्कर्षों से पता चला है कि बारीक आकार के पार्टिकुलेट मैटर पीएम 2.5 के लंबे समय तक संपर्क में रहने से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है और इसकी कोई सुरक्षित सीमा नहीं है.

कार्डियक अतालता और हृदय विफलता पीएम 2.5 के संपर्क में आने वाले रोगियों में पाई जाने वाली सबसे कमजोर स्थितियों में से एक है. कार्डिएक अतालता एक ऐसी स्थिति है, जहां हृदय अनियमित या असामान्य लय के साथ धड़कता है. शोधकर्ता आगे कहते हैं कि WHO के ≤5 µg/m3 के वायु गुणवत्ता मानकों का पालन करने से काफी लाभ मिल सकता है.

पीएम या एसपीएम 2.5 क्या है?:≤2.5 µm (PM2.5) के वायुगतिकीय व्यास वाला पार्टिकुलेट मैटर परिवेशी वायु प्रदूषण का एक प्रमुख घटक है, जिसे हम दशकों से जानते हैं. हम यह भी जानते हैं कि ये कण इतने छोटे होते हैं कि फेफड़ों में गहराई तक चले जाते हैं और वे रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे व्यवस्थित सूजन, वाहिकासंकीर्णन, हृदय संबंधी विद्युत परिवर्तन और रक्त के थक्कों का निर्माण जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.

ये सभी हृदय रोग (सीवीडी) के विकास में योगदान कर सकते हैं. इन कणों को वास्तव में हृदय रोगों के लिए प्रमुख पर्यावरणीय जोखिम कारक कहा गया है. इन दो अध्ययनों में पाया गया है कि PM2.5 के संपर्क में आने से प्रतिकूल हृदय संबंधी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं और हृदय संबंधी अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु दर का खतरा बढ़ सकता है.

डॉ. रेड्डी का कहना है कि 'हम अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुनते हैं कि AQI अधिक है तो यह स्वास्थ्य के लिए भयानक होगा. एक्यूआई का स्तर 400 से अधिक पहुंचने पर दहशत फैल जाती है. हम अक्सर मान लेते हैं कि AQI अक्सर 100 से 150 तक ठीक रहता है. लेकिन मामला वह नहीं है.' डॉ. रेड्डी बताते हैं कि 'इस अध्ययन से पता चलता है कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने का निम्न स्तर भी एक भड़काऊ प्रतिक्रिया पैदा करता है.'

रेड्डी ने बताया कि 'यह खुराक प्रतिक्रिया संबंध की तरह है. प्रदूषण के बढ़े हुए स्तर के संपर्क में आने से हृदय वाहिकाओं और हृदय को नुकसान बढ़ जाता है. लेकिन एक्सपोज़र की संचयी समयावधि भी मायने रखती है. यदि हमारे पास मध्यम या अपेक्षाकृत निम्न स्तर का एक्सपोज़र है, जो साल में छह या आठ महीने चल रहा है. इससे रक्त वाहिकाओं में लगातार जलन होने वाली है और दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है.'

उनका कहना है कि एक या दो दिनों के लिए 600 या 700 AQI के तीव्र संपर्क में आने से दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि अस्थिर प्लाक अस्थिर हो सकते हैं और व्यक्ति के खून में तीव्र थक्का बन सकता है और दिल का दौरा पड़ सकता है. लेकिन रक्त वाहिकाओं को लगातार नुकसान होने की अधिक संभावना होती है, अगर यह बहुत मामूली स्तर पर भी लंबे समय तक जारी रहता है, तो इसी तरह की प्रतिक्रिया को ट्रिगर करता है.'

उदाहरण के लिए उच्च रक्तचाप को 140/90 द्वारा परिभाषित किया गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि 130/85 में जोखिम नहीं है. 130/85 में अधिक जोखिम है. डॉ. रेड्डी कहते हैं कि अन्य स्थितियां भी मायने रखती हैं, जैसे कि आपको पहले से ही मधुमेह या उच्च रक्तचाप है, जहां आपकी रक्त वाहिकाएं पहले से ही क्षतिग्रस्त हो रही हैं, मध्यम स्तर का वायु प्रदूषण अधिक हानिकारक हो सकता है.

अध्ययन में और क्या शामिल है:वायु प्रदूषण और समग्र हृदय स्वास्थ्य के लिए कोई सुरक्षित सीमा मौजूद नहीं है और विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश के पालन के माध्यम से पर्याप्त लाभ प्राप्त किया जा सकता है. यहां विचार केवल वायु प्रदूषण के उच्च स्तर पर ही केंद्रित नहीं है, यहां तक कि वायु प्रदूषण के निम्न स्तर से भी रक्त क्षति हो सकती है और इसलिए दिल का दौरा पड़ सकता है.

एकमात्र चीज जो हम कर सकते हैं वह है वायु प्रदूषण के स्तर को यथासंभव कम करना. सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम2.5) एक प्रमुख वायु प्रदूषक है और इसे हृदय रोग (सीवीडी) के लिए प्राथमिक पर्यावरणीय जोखिम कारक के रूप में मान्यता प्राप्त है. एक वर्ष या उससे अधिक समय तक रहने वाला PM2.5 का दीर्घकालिक संपर्क, केवल कुछ दिनों के अल्पकालिक जोखिम की तुलना में हृदय स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक जोखिम पैदा करता है.

डॉ रेड्डी सुझाव देते हैं कि एक सामान्य नीति और सार्वजनिक प्रणाली की प्रतिक्रिया होनी चाहिए, जहां हमें हर किसी के लिए जोखिम के स्तर को कम करना होगा. एक व्यक्ति की प्रतिक्रिया भी है, जो प्रदूषित हवा के संपर्क में आने को सीमित करती है. केवल तभी बाहर निकलें जब मौसम थोड़ा साफ हो, जब हवा धुंआदार न हो.

जब आप बाहर निकल रहे हों तो मास्क का प्रयोग करें. अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों से बचने का प्रयास करें और अच्छी तरह हवादार क्षेत्रों में घूमने का प्रयास करें, जहां कण कण बादलों के रूप में चिपक न सकें. अच्छे हवादार स्थानों में हवा का प्रवाह अच्छा होता है.

Last Updated : Feb 25, 2024, 4:29 PM IST

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