नई दिल्ली:एलेफ बुक कंपनी द्वारा प्रकाशित अपनी लेटेस्ट किताब, 'मैंगिफेरा इंडिका' में लेखक और रिसर्चर सोपान जोशी ने दस साल से अधिक के शोध से प्राप्त एक समृद्ध ताना-बाना प्रस्तुत किया है. जोशी ने हाल ही में ईटीवी भारत के साथ बातचीत में आमों के स्वाद और एक्सपोलरेशन दोनों के लिए अपने अनुभव और जुनून को साझा किया. जोशी की किताब आमों से जुड़े लोगों के जीवन में उतरती है- चाहे वे आम उगाते हों, बेचते हों, खाते हों, शोध करते हों या बस उन पर चर्चा करते हों. यह इस फल के साथ हमारे गहरे संबंध को प्रकट करता है, जिसने हमें सदियों से मोहित किया है.
उष्णकटिबंधीय वातावरण, जहां अधिकांश फल जल्दी खराब हो जाते हैं, इस बंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. नारियल और अनानास जैसे अधिक टिकाऊ फलों के विपरीत, आम-विशेष रूप से लंबे समय तक शैल्फ लाइफ के लिए उगाए जाने वाले आम-अक्सर अपना अनूठा स्वाद और सुगंध खो देते हैं. जोशी ने कहा, "भारत में, जहां आम अविश्वसनीय रूप से विविध और विशेष हैं. यहां कई किस्में लंबे समय तक नहीं चलती हैं. ऐसे में भारत के आमों का सही मायने में अनुभव करने के लिए, आपको यात्रा करनी होगी और उन्हें उनके चरम पर चखना होगा."
उत्पत्ति का प्रमाण
हरियाणा के फरमाना में एक साइट पर खुदाई, जो लगभग 2600-2200 ईसा पूर्व की है, इसके सबूत प्रकट करती है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व भी आम था. शोधकर्ताओं को 2010 में प्राचीन रसोई के औजारों पर बैंगन, अदरक, हल्दी और आम से बनी करी के अवशेष मिले थेय यह सोचना आश्चर्यजनक है कि इतने समय पहले आम का आनंद लिया जा रहा था!
सोपान जोशी के अनुसार, वैज्ञानिकों ने आम के पत्ते की छाप के साथ काले रंग की एक परत की खोज की है जो लगभग 25 मिलियन साल पुरानी है. यह खोज बताती है कि आम का इतिहास हमारी कल्पना से भी कहीं अधिक पुराना है.
दक्षिणी बनाम उत्तरी आम
जोशी की किताब इस बात पर प्रकाश डालती है कि आम के स्वाद के लिए कोई सार्वभौमिक उत्तर नहीं है. प्रत्येक किस्म का स्पेसिफिक स्वाद उसके मूल क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु से गहराई से प्रभावित होता है. शुगर और एसिडिटी के अपने बैलेंस के साथ दक्षिणी आम लंबे समय तक चल सकते हैं. इसके विपरीत, उत्तरी आम, जो अधिक मीठे होते हैं, बहुत जल्दी पक जाते हैं और लंबे समय तक नहीं टिकते. यही कारण है कि उत्तर भारत में लोग अक्सर दक्षिणी आम पसंद करते हैं. इसके अतिरिक्त, दक्षिण भारत में व्यवस्थित बागवानी प्रथाएं आमों को बेहतर स्थिति में रखने में मदद करती हैं, जबकि उत्तर में खराब तरीके से संभाले जाने से उनकी उपस्थिति प्रभावित हो सकती है. इसमें मौसम भी खास फैक्टर होता है.
हम आम कैसे उगाते हैं
जोशी बताते हैं कि आम को दो मुख्य तरीकों से उगाया जा सकता है. पहला बीज से और दूसरा मूल पेड़ की क्लोनिंग करके. आम के बीज बोने से अप्रत्याशित परिणाम मिल सकते हैं क्योंकि आम हमेशा एक समान रूप से नहीं उगते. इसलिए, अगर आप अपने पसंदीदा आम का बीज लगाते हैं, तो आश्चर्यचकित न हों अगर नया पेड़ अलग स्वाद वाला फल देता है.