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क्वाड फैक्टर: कैसे चार देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र का भविष्य सुरक्षित कर रहे हैंं - Joe Biden

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 15, 2024, 3:20 PM IST

Quad Summit: व्हाइट हाउस ने घोषणा की है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन 21 सितंबर को क्वाड शिखर-स्तरीय बैठक की मेजबानी करेंगे. इस दौरान चार देशों के बीच रणनीतिक अभिसरण को मजबूत करने, एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने पर चर्चा होगी.

क्वाड
क्वाड (@DrSJaishankar)

नई दिल्ली: व्हाइट हाउस ने घोषणा की है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन 21 सितंबर को विलमिंगटन, डेलावेयर में इस साल होने वाले क्वाड शिखर-स्तरीय बैठक की मेजबानी करेंगे. चल रहे भू-राजनीतिक मंथन के बीच विभिन्न सुरक्षा, आर्थिक और क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करते हुए एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत को बढ़ावा देना फिर से ध्यान का केंद्र बन गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बानी और उनके जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा चार देशों के समूह की शिखर-स्तरीय बैठक में भाग लेंगे, जिसकी मेजबानी निवर्तमान राष्ट्रपति बाइडेन अपने गृहनगर में करेंगे. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, यह पहली बार होगा जब बाइडेन राष्ट्रपति के रूप में विलमिंगटन में विदेशी नेताओं की मेजबानी करेंगे.

जीन-पियरे ने कहा, "बाइडेन-हैरिस प्रशासन ने 2021 में व्हाइट हाउस में पहली बार आयोजित क्वाड लीडर्स समिट से लेकर तब से वार्षिक शिखर सम्मेलनों तक क्वाड को ऊपर उठाने और संस्थागत बनाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है.हाल के वर्षों में, क्वाड विदेश मंत्रियों ने आठ बार मुलाकात की है, और क्वाड सरकारें सभी स्तरों पर मिलना और समन्वय करना जारी रखे हुए हैं." यह क्वाड की व्यक्तिगत रूप से चौथी शिखर-स्तरीय बैठक होगी, जबकि दो अन्य वर्चुअल प्रारूप में आयोजित की गई थीं.

क्वाड क्या है और इसका गठन कब और क्यों हुआ?
क्वाड ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के बीच एक रणनीतिक सुरक्षा वार्ता है. इसके तहत सदस्य देशों बातचीत सुरक्षा के पहलुओं पर बातचीत करते हैं. इस वार्ता की शुरुआत 2007 में तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जॉन हॉवर्ड और तत्कालीन अमेरिकी उपराष्ट्रपति डिक चेनी के समर्थन से की थी.

इस वार्ता के समानांतर अभूतपूर्व पैमाने पर संयुक्त सैन्य अभ्यास किया गया, जिसका नाम मालाबार अभ्यास था. कूटनीतिक और सैन्य व्यवस्था को व्यापक रूप से इंडो-पैसिफिक में बढ़ती चीनी आर्थिक और सैन्य शक्ति की प्रतिक्रिया के रूप में देखा गया, जो जापान के पूर्वी तट से अफ्रीका के पूर्वी तट तक फैला हुआ क्षेत्र है.

क्वाड को एशियाई लोकतंत्र आर्क की स्थापना करनी थी, जिसमें मध्य एशिया, मंगोलिया, कोरियाई प्रायद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य देश शामिल होने की परिकल्पना की गई थी. सिवाय चीन के. इस वजह से कुछ आलोचकों ने इस परियोजना को चीन विरोधी कदम कहा.

क्वाड की पहली आधिकारिक बैठक मई 2007 में मनीला में एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (ASEAN) क्षेत्रीय फोरम के दौरान हुई थी. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री हॉवर्ड ने चेनी के आग्रह पर क्वाड की उद्घाटन बैठक में अन्य सदस्यों के साथ भाग लिया, जो भारत, जापान और अमेरिका द्वारा टोक्यो के पास संयुक्त नौसैनिक अभ्यास के एक महीने बाद हुई थी. सितंबर 2007 में, ऑस्ट्रेलिया सहित बंगाल की खाड़ी में और नौसैनिक अभ्यास आयोजित किए गए.

इसके बाद अक्टूबर में जापान और भारत के बीच एक और सुरक्षा समझौता हुआ, जिसका अनुमोदन मनमोहन सिंह की टोक्यो यात्रा के दौरान किया गया, जिसका उद्देश्य समुद्री मार्ग सुरक्षा और रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना था. इससे पहले जापान ने ऐसा समझौता केवल ऑस्ट्रेलिया के साथ ही किया था.

आबे के बाद जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री तारो एसो ने क्वाड के निर्माण के बाद हस्ताक्षरित जापान-भारत समझौते में चीन के महत्व को कम करके आंका. तत्कालीन भारतीय विदेश सचिव शिव शंकर मेनन ने भी इसी तरह तर्क दिया कि जापान के साथ भारतीय माल व्यापार के कारण रक्षा समझौते में बहुत देरी हुई और इसमें विशेष रूप से चीन को लक्षित नहीं किया गया.

जनवरी 2008 में चीन की यात्रा और तत्कालीन प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ और तत्कालीन राष्ट्रपति हू जिंताओ के साथ बैठकों के दौरान, क्वाड के बारे में पूछे जाने पर मनमोहन सिंह ने घोषणा की कि भारत किसी भी तथाकथित चीन को नियंत्रित करने के प्रयास का हिस्सा नहीं है. हालांकि, ऑस्ट्रेलिया के कारण क्वाड प्रक्रिया में बाधा आई.

लगभग एक दशक तक क्वाड प्रक्रिया क्यों बंद रही?
2008 में नए प्रधानमंत्री केविन रुड के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया ने चीन की प्रतिक्रिया पर चिंताओं और बीजिंग के साथ अपने आर्थिक संबंधों को प्राथमिकता देने के कारण क्वाड से खुद को अलग कर लिया. कुछ अमेरिकी रणनीतिक विचारकों ने क्वाड छोड़ने के रुड के फैसले की आलोचना की. अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पूर्व एशिया निदेशक माइक ग्रीन ने कहा कि चीन को खुश करने के प्रयास में रुड ने खुद को अलग कर लिया, जिसने उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त कूटनीतिक प्रयास किए थे.

दिसंबर 2008 में अमेरिकी राजदूत रॉबर्ट मैक्कलम द्वारा लिखित एक लीक राजनयिक केबल से पता चलता है कि रुड ने क्वाड छोड़ने से पहले अमेरिका से परामर्श नहीं किया था. ऑस्ट्रेलिया के इस कदम ने क्वाड को लगभग एक दशक तक रोक कर रखा.

क्वाड को कब पुनर्जीवित किया गया?
2017 तक दक्षिण चीन सागर में चीन की मुखरता, बढ़ते सैन्यीकरण और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पसंदीदा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के बढ़ते प्रभाव के बारे में बढ़ती चिंताओं के साथ इंडो-पैसिफिक में रणनीतिक माहौल काफी विकसित हो चुका था.

नवंबर 2016 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रंप और आबे मिले और जापान द्वारा 'फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक' रणनीति को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए, जो मूल रूप से पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन द्वारा विकसित एक अवधारणा थी. इस समझौते को चीन के BRI के जवाब के रूप में देखा गया.

2017 से 2019 के बीच क्वाड की पांच बार बैठक हुई. 2018 में नई दिल्ली में रायसीना डायलॉग के दौरान जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत के नौसेना प्रमुख एक साथ आए, जो क्वाड के सुरक्षा ढांचे के पुनरुद्धार के पहले संकेतों में से एक था. 2019 में, चार मंत्रियों ने क्वाड में सुधार पर चर्चा करने के लिए न्यूयॉर्क में और फिर बैंकॉक में मुलाकात की. अगली गर्मियों में, भारत, जापान और अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया को मालाबार में समन्वित नौसेना अभ्यास के लिए आमंत्रित किया.

इससे पहले क्वाड शिखर सम्मेलन कब आयोजित किए गए थे और उनके क्या परिणाम रहे?
पहली क्वाड शिखर बैठक 12 मार्च, 2021 को वर्चुअल मोड में आयोजित की गई थी.इस शिखर सम्मेलन में मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन, तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा और तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने भाग लिया था. क्वाड ने 2022 के अंत तक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक बिलियन कोविड-19 वैक्सीन खुराक देने की एक बड़ी पहल की घोषणा की.

उसी साल 24 सितंबर को बाइडेन ने वाशिंगटन में क्वाड के पहले व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन की मेजबानी की. पहले वर्चुअल शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले अन्य तीन नेता वाशिंगटन बैठक में शामिल हुए. सेमीकंडक्टर और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में सप्लाई चेन में लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए एक नई पहल शुरू की गई, जो इस क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व पर चिंताओं को दर्शाती है. क्वाड देशों ने अपनी साइबर सुरक्षा स्थिति में सुधार करने और रैनसमवेयर हमलों और अन्य डिजिटल खतरों के खिलाफ बेहतर सुरक्षा बनाने पर सहमति व्यक्त की.

3 मार्च 2022 को क्वाड की बैठक फिर से वर्चुअल मोड में आयोजित की गई. इसमें भाग लेने वाले अन्य तीन नेताओं के अलावा जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा नए चेहरे थे. इसमें समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने और बलपूर्वक यथास्थिति को बदलने के किसी भी प्रयास की निंदा करने के अलावा, क्षेत्र में चीन की कार्रवाइयों का एक सूक्ष्म संदर्भ देते हुए, क्वाड ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) के लिए एक नए तंत्र का आह्वान किया गया.

चौथा क्वाड शिखर सम्मेलन 24 मई 2022 को टोक्यो में जापान के प्रधानमंत्री किशिदा द्वारा आयोजित किया गया था. इस दौरान नेताओं ने एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता को दोहराने के अलावा, ग्रीन शिपिंग, ग्रीन हाइड्रोजन सहित स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे की दिशा में प्रयासों को मजबूत करने के लिए एक क्वाड क्लाइमेट चेंज एक्शन एंड मिटिगेशन पैकेज (Q-CHAMP) की घोषणा की.

पांचवां क्वाड शिखर सम्मेलन 20 मई, 2023 को वाशिंगटन में बाइडेन द्वारा आयोजित किया गया था. इसमें मोदी, किशिदा और अल्बानीज उपस्थित थे. क्वाड के नेताओं ने इंडो-पैसिफिक के लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए क्षेत्र के विकास, स्थिरता और समृद्धि का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्धता जताई.

आगामी शिखर सम्मेलन से क्या उम्मीद की जा सकती है?
जीन-पियरे के अनुसार, विलमिंगटन में क्वाड नेताओं का शिखर सम्मेलन चार देशों के बीच रणनीतिक अभिसरण को मजबूत करने, एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने और प्रमुख क्षेत्रों में इंडो-पैसिफिक में भागीदारों के लिए ठोस लाभ प्रदान करने पर केंद्रित होगा.

उन्होंने कहा, "इनमें स्वास्थ्य सुरक्षा, प्राकृतिक आपदा प्रतिक्रिया, समुद्री सुरक्षा, उच्च गुणवत्ता वाला बुनियादी ढांचा, महत्वपूर्ण और उभरती हुई तकनीक, जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा और साइबर सुरक्षा शामिल हैं." जीन-पियरे ने यह भी कहा कि अगला क्वाड शिखर सम्मेलन भारत द्वारा आयोजित किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- फिलीपींस के साथ भारत के रक्षा और सुरक्षा सहयोग को क्या चीज प्रेरित करती है?

नई दिल्ली: व्हाइट हाउस ने घोषणा की है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन 21 सितंबर को विलमिंगटन, डेलावेयर में इस साल होने वाले क्वाड शिखर-स्तरीय बैठक की मेजबानी करेंगे. चल रहे भू-राजनीतिक मंथन के बीच विभिन्न सुरक्षा, आर्थिक और क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करते हुए एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत को बढ़ावा देना फिर से ध्यान का केंद्र बन गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बानी और उनके जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा चार देशों के समूह की शिखर-स्तरीय बैठक में भाग लेंगे, जिसकी मेजबानी निवर्तमान राष्ट्रपति बाइडेन अपने गृहनगर में करेंगे. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, यह पहली बार होगा जब बाइडेन राष्ट्रपति के रूप में विलमिंगटन में विदेशी नेताओं की मेजबानी करेंगे.

जीन-पियरे ने कहा, "बाइडेन-हैरिस प्रशासन ने 2021 में व्हाइट हाउस में पहली बार आयोजित क्वाड लीडर्स समिट से लेकर तब से वार्षिक शिखर सम्मेलनों तक क्वाड को ऊपर उठाने और संस्थागत बनाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है.हाल के वर्षों में, क्वाड विदेश मंत्रियों ने आठ बार मुलाकात की है, और क्वाड सरकारें सभी स्तरों पर मिलना और समन्वय करना जारी रखे हुए हैं." यह क्वाड की व्यक्तिगत रूप से चौथी शिखर-स्तरीय बैठक होगी, जबकि दो अन्य वर्चुअल प्रारूप में आयोजित की गई थीं.

क्वाड क्या है और इसका गठन कब और क्यों हुआ?
क्वाड ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के बीच एक रणनीतिक सुरक्षा वार्ता है. इसके तहत सदस्य देशों बातचीत सुरक्षा के पहलुओं पर बातचीत करते हैं. इस वार्ता की शुरुआत 2007 में तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जॉन हॉवर्ड और तत्कालीन अमेरिकी उपराष्ट्रपति डिक चेनी के समर्थन से की थी.

इस वार्ता के समानांतर अभूतपूर्व पैमाने पर संयुक्त सैन्य अभ्यास किया गया, जिसका नाम मालाबार अभ्यास था. कूटनीतिक और सैन्य व्यवस्था को व्यापक रूप से इंडो-पैसिफिक में बढ़ती चीनी आर्थिक और सैन्य शक्ति की प्रतिक्रिया के रूप में देखा गया, जो जापान के पूर्वी तट से अफ्रीका के पूर्वी तट तक फैला हुआ क्षेत्र है.

क्वाड को एशियाई लोकतंत्र आर्क की स्थापना करनी थी, जिसमें मध्य एशिया, मंगोलिया, कोरियाई प्रायद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य देश शामिल होने की परिकल्पना की गई थी. सिवाय चीन के. इस वजह से कुछ आलोचकों ने इस परियोजना को चीन विरोधी कदम कहा.

क्वाड की पहली आधिकारिक बैठक मई 2007 में मनीला में एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (ASEAN) क्षेत्रीय फोरम के दौरान हुई थी. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री हॉवर्ड ने चेनी के आग्रह पर क्वाड की उद्घाटन बैठक में अन्य सदस्यों के साथ भाग लिया, जो भारत, जापान और अमेरिका द्वारा टोक्यो के पास संयुक्त नौसैनिक अभ्यास के एक महीने बाद हुई थी. सितंबर 2007 में, ऑस्ट्रेलिया सहित बंगाल की खाड़ी में और नौसैनिक अभ्यास आयोजित किए गए.

इसके बाद अक्टूबर में जापान और भारत के बीच एक और सुरक्षा समझौता हुआ, जिसका अनुमोदन मनमोहन सिंह की टोक्यो यात्रा के दौरान किया गया, जिसका उद्देश्य समुद्री मार्ग सुरक्षा और रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना था. इससे पहले जापान ने ऐसा समझौता केवल ऑस्ट्रेलिया के साथ ही किया था.

आबे के बाद जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री तारो एसो ने क्वाड के निर्माण के बाद हस्ताक्षरित जापान-भारत समझौते में चीन के महत्व को कम करके आंका. तत्कालीन भारतीय विदेश सचिव शिव शंकर मेनन ने भी इसी तरह तर्क दिया कि जापान के साथ भारतीय माल व्यापार के कारण रक्षा समझौते में बहुत देरी हुई और इसमें विशेष रूप से चीन को लक्षित नहीं किया गया.

जनवरी 2008 में चीन की यात्रा और तत्कालीन प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ और तत्कालीन राष्ट्रपति हू जिंताओ के साथ बैठकों के दौरान, क्वाड के बारे में पूछे जाने पर मनमोहन सिंह ने घोषणा की कि भारत किसी भी तथाकथित चीन को नियंत्रित करने के प्रयास का हिस्सा नहीं है. हालांकि, ऑस्ट्रेलिया के कारण क्वाड प्रक्रिया में बाधा आई.

लगभग एक दशक तक क्वाड प्रक्रिया क्यों बंद रही?
2008 में नए प्रधानमंत्री केविन रुड के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया ने चीन की प्रतिक्रिया पर चिंताओं और बीजिंग के साथ अपने आर्थिक संबंधों को प्राथमिकता देने के कारण क्वाड से खुद को अलग कर लिया. कुछ अमेरिकी रणनीतिक विचारकों ने क्वाड छोड़ने के रुड के फैसले की आलोचना की. अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पूर्व एशिया निदेशक माइक ग्रीन ने कहा कि चीन को खुश करने के प्रयास में रुड ने खुद को अलग कर लिया, जिसने उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त कूटनीतिक प्रयास किए थे.

दिसंबर 2008 में अमेरिकी राजदूत रॉबर्ट मैक्कलम द्वारा लिखित एक लीक राजनयिक केबल से पता चलता है कि रुड ने क्वाड छोड़ने से पहले अमेरिका से परामर्श नहीं किया था. ऑस्ट्रेलिया के इस कदम ने क्वाड को लगभग एक दशक तक रोक कर रखा.

क्वाड को कब पुनर्जीवित किया गया?
2017 तक दक्षिण चीन सागर में चीन की मुखरता, बढ़ते सैन्यीकरण और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पसंदीदा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के बढ़ते प्रभाव के बारे में बढ़ती चिंताओं के साथ इंडो-पैसिफिक में रणनीतिक माहौल काफी विकसित हो चुका था.

नवंबर 2016 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रंप और आबे मिले और जापान द्वारा 'फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक' रणनीति को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए, जो मूल रूप से पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन द्वारा विकसित एक अवधारणा थी. इस समझौते को चीन के BRI के जवाब के रूप में देखा गया.

2017 से 2019 के बीच क्वाड की पांच बार बैठक हुई. 2018 में नई दिल्ली में रायसीना डायलॉग के दौरान जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत के नौसेना प्रमुख एक साथ आए, जो क्वाड के सुरक्षा ढांचे के पुनरुद्धार के पहले संकेतों में से एक था. 2019 में, चार मंत्रियों ने क्वाड में सुधार पर चर्चा करने के लिए न्यूयॉर्क में और फिर बैंकॉक में मुलाकात की. अगली गर्मियों में, भारत, जापान और अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया को मालाबार में समन्वित नौसेना अभ्यास के लिए आमंत्रित किया.

इससे पहले क्वाड शिखर सम्मेलन कब आयोजित किए गए थे और उनके क्या परिणाम रहे?
पहली क्वाड शिखर बैठक 12 मार्च, 2021 को वर्चुअल मोड में आयोजित की गई थी.इस शिखर सम्मेलन में मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन, तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा और तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने भाग लिया था. क्वाड ने 2022 के अंत तक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक बिलियन कोविड-19 वैक्सीन खुराक देने की एक बड़ी पहल की घोषणा की.

उसी साल 24 सितंबर को बाइडेन ने वाशिंगटन में क्वाड के पहले व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन की मेजबानी की. पहले वर्चुअल शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले अन्य तीन नेता वाशिंगटन बैठक में शामिल हुए. सेमीकंडक्टर और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में सप्लाई चेन में लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए एक नई पहल शुरू की गई, जो इस क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व पर चिंताओं को दर्शाती है. क्वाड देशों ने अपनी साइबर सुरक्षा स्थिति में सुधार करने और रैनसमवेयर हमलों और अन्य डिजिटल खतरों के खिलाफ बेहतर सुरक्षा बनाने पर सहमति व्यक्त की.

3 मार्च 2022 को क्वाड की बैठक फिर से वर्चुअल मोड में आयोजित की गई. इसमें भाग लेने वाले अन्य तीन नेताओं के अलावा जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा नए चेहरे थे. इसमें समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने और बलपूर्वक यथास्थिति को बदलने के किसी भी प्रयास की निंदा करने के अलावा, क्षेत्र में चीन की कार्रवाइयों का एक सूक्ष्म संदर्भ देते हुए, क्वाड ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) के लिए एक नए तंत्र का आह्वान किया गया.

चौथा क्वाड शिखर सम्मेलन 24 मई 2022 को टोक्यो में जापान के प्रधानमंत्री किशिदा द्वारा आयोजित किया गया था. इस दौरान नेताओं ने एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता को दोहराने के अलावा, ग्रीन शिपिंग, ग्रीन हाइड्रोजन सहित स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे की दिशा में प्रयासों को मजबूत करने के लिए एक क्वाड क्लाइमेट चेंज एक्शन एंड मिटिगेशन पैकेज (Q-CHAMP) की घोषणा की.

पांचवां क्वाड शिखर सम्मेलन 20 मई, 2023 को वाशिंगटन में बाइडेन द्वारा आयोजित किया गया था. इसमें मोदी, किशिदा और अल्बानीज उपस्थित थे. क्वाड के नेताओं ने इंडो-पैसिफिक के लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए क्षेत्र के विकास, स्थिरता और समृद्धि का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्धता जताई.

आगामी शिखर सम्मेलन से क्या उम्मीद की जा सकती है?
जीन-पियरे के अनुसार, विलमिंगटन में क्वाड नेताओं का शिखर सम्मेलन चार देशों के बीच रणनीतिक अभिसरण को मजबूत करने, एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने और प्रमुख क्षेत्रों में इंडो-पैसिफिक में भागीदारों के लिए ठोस लाभ प्रदान करने पर केंद्रित होगा.

उन्होंने कहा, "इनमें स्वास्थ्य सुरक्षा, प्राकृतिक आपदा प्रतिक्रिया, समुद्री सुरक्षा, उच्च गुणवत्ता वाला बुनियादी ढांचा, महत्वपूर्ण और उभरती हुई तकनीक, जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा और साइबर सुरक्षा शामिल हैं." जीन-पियरे ने यह भी कहा कि अगला क्वाड शिखर सम्मेलन भारत द्वारा आयोजित किया जाएगा.

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