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बांग्लादेश में वायुसेना के जवानों और नागरिकों के बीच झड़प... क्षेत्रीय सुरक्षा को भी खतरा - COXS BAZAR INCIDENT

बांग्लादेश के कॉक्स बाजार जिले में वायुसेना के जवानों और स्थानीय लोगों के बीच हुई झड़प देश में अराजकता को उजागर करती है.

The clash between Bangladesh Air Force personnel and civilians in Cox’s Bazar should be seen from a larger regional perspective
बांग्लादेश की सेना के जवान (File Photo - AFP)

By Aroonim Bhuyan

Published : Feb 24, 2025, 10:56 PM IST

नई दिल्ली:बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में सोमवार को वायुसेना के जवानों और स्थानीय जनता के बीच हुई झड़प में एक नागरिक की मौत हो गई. यह घटना उस अराजकता को उजागर करती है, जो बांग्लादेश में पिछले साल अगस्त में मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद पैदा हुई है.

बांग्लादेश की मीडिया में आई खबरों के अनुसार, भूमि अधिग्रहण के लिए स्थानीय लोगों के पुनर्वास पर चर्चा करने के लिए बांग्लादेश की वायुसेना के अधिकारियों और स्थानीय प्रतिनिधियों के बीच सोमवार दोपहर को जिला प्रशासन कार्यालय में बैठक होनी थी. दोपहर के समय, मोहम्मद जाहिद नाम के निवासी और कुछ अन्य लोग बाइक से जिला प्रशासन कार्यालय जा रहे थे, तभी उन्हें डायबिटिक प्वाइंट के पास वायुसेना चेकपोस्ट पर रोक लिया गया.

वायुसेना के जवानों ने जाहिद को जबरन गाड़ी से उतार दिया, जिससे बहस छिड़ गई. जब उन्होंने जाहिद को हिरासत में लेने की कोशिश की तो स्थानीय लोग तुरंत मौके पर जमा हो गए और बीच-बचाव करने लगे, जिससे टकराव की स्थिति पैदा हो गई. झड़प के दौरान, वायुसेना के जवानों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए ब्लैंक शॉट (blank shots) फायर किए, जिसमें 10 से 15 लोग घायल हो गए. कुछ घायलों को कॉक्स बाजार जिला सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां एक व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया गया.

हालांकि इस घटना को अलग रूप में देखा जा सकता है, लेकिन यह उस अराजकता को दर्शाती है, जो बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विद्रोह के बाद पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल होने और यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद पैदा हुई है.

इस बदलाव का उद्देश्य स्थिरता और लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहाल करना है, लेकिन इसके साथ ही काफी चुनौतियां और अशांति भी है. बदलाव का मुख्य स्रोत छात्रों के नेतृत्व वाला आंदोलन था, जो सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण का विरोध कर रहा था, क्योंकि छात्र इसे भेदभावपूर्ण मानते थे.

छात्रों के खिलाफ भेदभाव (एसएडी) के रूप में जाना जाने वाले इस आंदोलन को तेजी से देशव्यापी समर्थन मिल गया था, जो सरकारी सुधार के लिए व्यापक आह्वान के रूप में विकसित हुआ. जुलाई 2024 में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए, जिसके बाद हिंसक झड़पें हुईं और 1,000 से अधिक मौतें हुईं. बढ़ते दबाव का सामना कर रहीं तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 5 अगस्त, 2024 को इस्तीफा दे दिया और भारत में शरण मांगी.

बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार में छात्र आंदोलन से जुड़े प्रमुख लोगों जैसे नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद को शामिल किया गया, जो प्रदर्शनकारियों की मांगों को पूरा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इस अंतरिम सरकार का प्रमुख कार्य नया, समावेशी संविधान तैयार करना और लोकतांत्रिक शासन को बहाल करने के लिए आम चुनाव कराना था.

कानून-व्यवस्था में गिरावट
हालांकि, अंतरिम सरकार के प्रयासों के बावजूद, बांग्लादेश में लगातार उथल-पुथल जारी है. विद्रोह के तुरंत बाद कानून-व्यवस्था में गिरावट देखी गई, जिसके कारण ढाका में बड़े पैमाने पर चोरी और डकैती हुई. निवासियों ने अपने समुदायों की रक्षा के लिए निगरानी समूह बनाए और देश भर के पुलिस थानों से कई हथियार लूटे गए. सितंबर 2024 तक, अधिकारियों ने इनमें से बड़ी संख्या में हथियार बरामद कर लिए थे, लेकिन अभी भी सुरक्षा गंभीर मुद्दा बना हुआ है.

नागरिकों और सैन्य कर्मियों के बीच हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं, और सोमवार को कॉक्स बाजार स्थित वायुसेना बेस पर हुई झड़प इसका ताजा उदाहरण है.

अंतरिम सरकार ने स्थायी समाधान की जरूरत को समझते हुए कई पहल की हैं. नए संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए संवैधानिक सुधार आयोग की स्थापना की गई, जो जनता की आकांक्षाओं को दर्शाता है और शासन और मानवाधिकारों के दीर्घकालिक मुद्दों को संबोधित करता है. यूनुस ने संकेत दिया है कि चल रहे सुधारों पर राजनीतिक सहमति बनने पर दिसंबर 2025 तक आम चुनाव कराए जा सकते हैं.

अंतरिम सरकार ने विद्रोह के दौरान हुई हिंसा की जांच करने और देश में स्थिर शासन स्थापित करने में सहायता के लिए संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी सहायता मांगी है.

हालांकि, अंतरिम सरकार की स्थापना के बाद से बांग्लादेश की यात्रा चुनौतियों से भरी रही है, जिसमें सुरक्षा मुद्दे, राजनीतिक अशांति और सरकारी संस्थानों के पुनर्निर्माण का विशाल कार्य शामिल है. ढाका स्थित पत्रकार सैफुर रहमान तपन ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया, "कॉक्स बाजार में जिस जमीन का मुद्दा है, पूर्व प्रधानमंत्री हसीना के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने एयर बेस के निर्माण के लिए उसका अधिग्रहण किया था. वर्तमान अंतरिम सरकार केवल प्रक्रिया का पालन कर रही है."

हसीना सरकार की तरह ही व्यवहार कर रही अंतरिम सरकार

हालांकि, तपन ने कहा कि कॉक्स बाजार की घटना अलग घटना लग सकती है, लेकिन यह अभी भी इस बात का संकेत है कि बांग्लादेश में स्थिति कितनी तेजी से बिगड़ रही है. उन्होंने कहा, "विभिन्न तबकों ने पिछली सरकार द्वारा जन-आंदोलनों को दबाने के लिए अपनाए गए दमनकारी उपायों पर सवाल उठाए थे. वर्तमान सरकार ने जन-आंदोलनों से लोकतांत्रिक तरीके से निपटने का वादा किया था. हालांकि, अब यह पिछली सरकार की तरह ही व्यवहार कर रही है."

इस संबंध में तपन ने पिछले साल नवंबर में वेतन वृद्धि की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे रेडीमेड गारमेंट फैक्ट्री के कर्मचारियों पर पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी का जिक्र किया. पुलिस की गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई. उन्होंने कहा, "हमारे पास एक कमजोर सरकार है जिसे आम लोग स्वीकार नहीं करते हैं."

हालांकि, सच्चाई यह है कि राजनीतिक खालीपन और कमजोर कानून-व्यवस्था चरमपंथी समूहों के लिए अस्थिरता का फायदा उठाने के अवसर पैदा कर सकता है, जिससे न केवल बांग्लादेश बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है. पड़ोसी देशों, खासकर भारत और म्यांमार को, अगर क्षेत्र में उग्रवाद फिर से पनपता है तो सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की रिसर्च फेलो और दक्षिण एशिया मामलों की विशेषज्ञ स्मृति पटनायक ने ईटीवी भारत से कहा, "जब कोई देश अस्थिर होता है, तो इसका असर उस क्षेत्र पर पड़ता है. व्यापक संदर्भ में, सुरक्षा के लिहाज से पड़ोसी देशों पर इसका असर पड़ेगा."

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