Inspirational Ratan Tata : दिग्गज उद्योगपति और टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार देर रात मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. स्वर्गीय नवल टाटा के बेटे रतन टाटा 86 वर्ष के थे. परोपकार और समाज के प्रति समर्पित रतन टाटा ने लाखों लोगों के जीवन को छुआ है. शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक, उनकी पहल ने देश और समाज पर गहरी छाप छोड़ी है जिसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को भी मिलेगा.
रतन टाटा का जीवन किसी के लिए भी प्रेरणादायी हो सकता है. उनका जीवन कई उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है और जिस प्रकार उन्होंने जीवन की परिस्थितियों का सामना किया वह काबिले तारीफ है. दिग्गज उद्योगपति होने के साथ ही रतन टाटा ने सार्वजनिक और व्यक्तिगत जीवन में हमेशा गरिमा और विनम्रता को बनाए रखा, चाहे परिस्थितियां कैसी भी रही हों, जिसकी प्रेरणा उन्हें अपनी दादी से विरासत में मिली.
दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन (ETV Bharat GFX)
इसकी झलक हमें तब देखने को मिली जब रतन टाटा को इंस्टाग्राम पर उस युवती का बचाव किया जिसने उन्हें 'छोटू' कहा था, सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करना पड़ा था. हुआ कुछ यूं था कि टाटा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर 1 मिलियन फॉलोअर्स तक पहुंचने के बाद एक पोस्ट साझा की.
पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए एक महिला ने लिखा, "बधाई हो छोटू" जिस पर सोशल मीडिया यूजर्स ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे "अपमानजनक" और "शर्मनाक" कहा था. तब युवा महिला के बचाव में आगे आते हुए टाटा ने लिखा, "हममें से हर एक में एक बच्चा है. कृपया इस युवा महिला के साथ सम्मान से पेश आएं."
दादी की सीख :रतन टाटा ने अपने निजी जीवन के बारे में बोलते हुए खुद एक बार बताया था कि- कैसे उनकी दादी नवाजबाई आर टाटा ने सिखाया की हम गरिमा पूर्ण तरीके से भी अपनी बात को साहस और दृढ़ता के साथ रख सकते हैं. उन्होंने आगे बताया की उनकी दादी ने यह भी सिखाया की हमें हर कीमत पर सम्मान बनाए रखना चाहिए. जब उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली और उनके साथ पढ़ने वाले स्टूडेंट्स ने उनके बारे में तरह-तरह की बातें आक्रामक तरीके से करना शुरू कर दिया, तब उनकी दादी ने ही उन्हें यह सिखाया कि हर कीमत पर सभी का सम्मान बनाए रखना चाहिए और उनकी यह सीख हमेशा मेरा मार्गदर्शन करती है और उनकी सिखाई हुई यह बात आज तक मैं मानता हूं.
रतन टाटा और उनकी दादी नवाजबाई आर टाटा (Officialhumansofbombay)
दिग्गज उद्योगपति ने बताया था कि "मुझे अभी भी याद है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, मेरी दादी मुझे और मेरे भाई को गर्मी की छुट्टियों में लंदन ले गई थीं. वह हमसे कहती थीं, 'उस बारे में चुप रहो' या 'ऐसा मत कहो' और यहीं से 'सम्मान को हर चीज से ऊपर रखना' की बात मेरे दिमाग में बैठ गई."
उदार व परोपकारी जीवन
मुंबई में कैंसर अस्पतालों की स्थापना, स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल, रतन टाटा की करुणा व दयालुता का परिणाम है, टाटा ट्रस्ट्सपहले से ही जरूरतमंद असंख्य जानवरों की मदद कर रहा है.
अमेरिकी परोपकारी इरा ड्रुकियर ने कहा- रतन टाटा के जीवन पर नजर डालने पर उनके द्वारा दिए गए योगदान और उपलब्धियों के प्रति कृतज्ञ हूं. मैं उनकी उदारता, दयालुता और शाश्वत आशावाद का भी गहरा सम्मान करती हूं, जिसने भारत और दुनिया भर में लोगों के जीवन को बेहतर बनाया है.
कॉर्नेल विश्वविद्यालय ने रतन टाटा के निधन के बाद जारी एक बयान में कहा कि कॉर्नेल विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र रतन टाटा कॉर्नेल विश्वविद्यालय के पूर्व ट्रस्टी और विश्वविद्यालय के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय दानकर्ता बन गए. Cornell University Ithaca, न्यूयॉर्क के अंतरिम अध्यक्ष माइकल आई. कोटलिकॉफ ने एक बयान में कहा कि रतन टाटा ने भारत, दुनिया भर में और Cornell University में एक असाधारण विरासत छोड़ी है, जिसकी उन्हें बहुत परवाह थी.