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जस्टिन ट्रूडो का शिक्षक से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक का सफर - JUSTIN TRUDEAU

ट्रूडो जब कुछ ही महीने के बच्चे थे, तब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने भविष्यवाणी की थी कि ट्रूडो अपने पिता के नक्शेकदम पर चलेंगे.

JUSTIN TRUDEAU
जस्टिन ट्रूडो (AFP)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 7, 2025, 4:01 PM IST

हैदराबाद: कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. जस्टिन ट्रूडो करीब नौ साल तक कनाडा के प्रधानमंत्री के पद पर रहे.इस दौरान उन्होंने अफसोस जताया कि उन्हें चुनाव से पहले की पद छोड़ना पड़ा. उन्होंने भारी मन से कहा कि उन्हें इस बात का भी अफसोस है कि वह चुनाव प्रक्रिया में बदलाव नहीं ला सके. वह चाहते थे कि चुनाव के तरीके बदले जाए. वह चाहते थे कि एक बैलट पेपर पर लोगों को दो से तीन विकल्पों को चुनने का मौका मिले. इतना ही नहीं उन्होंने पार्टी के भीतर की लड़ाई को भी उजागर किया.

अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने ट्रूडो के लिए भविष्यवाणी
जस्टिन ट्रूडो का जन्म 25 दिसंबर 1971 को ओटावा में हुआ था. उनके मां का नाम मार्गरेट सिंक्लेयर और पिता का नाम पियरे इलियट ट्रूडो था, जो उस समय कनाडा के 15वें प्रधानमंत्री थे. जब वे सिर्फ कुछ ही महीने के बच्चे थे, तब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने भविष्यवाणी की थी कि जस्टिन एक दिन अपने पिता के नक्शेकदम पर चलेंगे.

शिक्षक से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर
उन्होंने 1994 में मैकगिल यूनिवर्सिटी से लिटरेचर में ग्रेजुएशन किया और 1998 में ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी से बेचलर ऑफ एजूकेशन की डिग्री हासिल की. ग्रेजुएट होने के बाद उन्होंने वैंकूवर में माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाया. 2002 में अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने के लिए मॉन्ट्रियल लौटने से पहले वे एक नाइट क्लब में बाउंसर और स्नोबोर्ड इंस्ट्रक्टर रहे.

राजनीति की शुरुआत
शुरू में उनकी राजनीति में आने की कोई योजना नहीं थी. हालांकि, बाद में अपने पिता की मृत्यु के बाद ट्रूडो राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गए. उन्होंने 2007 में पापिन्यू राइडिंग में लिबरल नॉमिनेशन जीता और 2008 में सांसद बने. इस शुरुआती दौर में भी उन्हें लिबरल पार्टी के लिए लीडरशिप मटैरियल के रूप में देखा जाता था. उन्हें 2011 में फिर से सांसद के रूप में चुना गया. इसके बाद ट्रूडो ने 2013 में लिबरल नेता के रूप में पदभार संभाला. उस समय पार्टी गहरे संकट में थी और पहली बार हाउस ऑफ कॉमन्स में तीसरे स्थान पर आ गई थी.

कनाडा के दूसरे सबसे युवा प्रधानमंत्री बने
2015 में संघीय चुनाव में उन्होंने पार्टी का नेतृत्व किया और मौजूदा कंजर्वेटिव पार्टी पर जीत हासिल की, जिससे संसदीय बहुमत हासिल हुआ. उस समय सिर्फ 43 साल के ट्रूडो 4 नवंबर, 2015 को पदभार ग्रहण करने के बाद कनाडा के इतिहास में दूसरे सबसे युवा प्रधानमंत्री बने.

नीतियां जिन्होंने उन्हें लोकप्रियता दिलाई
उनकी सरकार के कुछ प्रमुख शुरुआती नीतिगत फैसलों ने उन्हें बेहद लोकप्रिय बना दिया जैसे जेंडर बैलेंस कैबिनेट होना, कनाडा चाइल्ड बेनिफिट जैसे आर्थिक और पर्यावरणीय सुधार पेश करना, नेशनल कार्बन-प्राइसिंग योजना, 2018 में कनाडा-संयुक्त राज्य अमेरिका-मेक्सिको व्यापार समझौते पर बातचीत करना. ट्रूडो ने रेजिडेंशियल स्कूलों में देश के दुर्व्यवहार के इतिहास के लिए स्वदेशी कनाडाई लोगों से माफी भी मांगी और हजारों शरणार्थियों का स्वागत किया.

लोकप्रियता में गिरावट
ट्रूडो की प्रतिष्ठा को तब झटका लगा जब एक फेडरल एथिक्स कमीशन ने फैसला सुनाया कि ट्रूडो ने मॉन्ट्रियल स्थित एक बहुराष्ट्रीय इंजीनियरिंग और निर्माण फर्म एसएनसी-लवलीन के खिलाफ एक आपराधिक मामले के संबंध में अपने पूर्व न्याय मंत्री और अटॉर्नी जनरल को दरकिनार करने, कमजोर करने और बदनाम करने की कोशिश की थी. इस दौरान ऐसी तस्वीरें भी सामने आईं जिनमें ट्रूडो को 1990 के दशक में एक छात्र के रूप में और 2001 में एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक के रूप में ब्लैकफेस या ब्राउनफेस पहने हुए दिखाया गया था.

दूसरी बार कनाडा के प्रधानमंत्री बनना
ट्रूडो ने 2019 में लिबरल पार्टी को एक बार फिर चुनाव में करीबी जीत दिलाई. हालांकि, बाद उनका प्रशासन अल्पमत सरकार में चला गया और लिबरल पार्टी ने अपना बहुमत खो दिया.

महामारी से निपटने का उनका तरीका
उनकी सरकार ने संकट के दौरान कनाडाई लोगों का समर्थन करने के लिए कनाडा इमरजेंसी रेस्पांस बेनेफिट्स (CERB) और सैलरी सब्सिडी सहित व्यापक आर्थिक राहत उपायों को लागू किया. हालांकि, महामारी और प्रतिबंधों पर असंतोष ने बढ़ते आक्रोश को बढ़ावा दिया. 2021 में हुए चुनाव में उन्हें उम्मीद थी कि मतदाता उनकी सरकार को महामारी से निपटने के तरीके के लिए पुरस्कृत करेंगे, लेकिन ऐसा न हो सका और वह लगातार दूसरी बार अल्पमत में आ गए.

खालिस्तान समर्थक पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ गठबंधन
उन्होंने जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ गठबंधन बनाया. वह खालिस्तान के मुद्दे पर मुखर रहे हैं. भारत ने अक्सर कनाडा पर भारत विरोधी या खालिस्तान समर्थक भावनाओं वाले लोगों को शरण देने का आरोप लगाया है.

लोकप्रियता में गिरावट और इस्तीफा
खराब मतदान परिणामों, दिसंबर में उनकी उप प्रधान मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्तावित टैरिफ वृद्धि के बारे में चिंताओं के कारण ट्रूडो पर अपनी ही पार्टी के सदस्यों द्वारा इस्तीफा देने का दबाव आ गया है.

जुलाई 2023 में हुए सर्वों से पता चला कि 2023 की पहली छमाही में लिबरल कंजर्वेटिव से केवल थोड़ा पीछे रह गए हैं. हालांकि जुलाई में यह अंतर अचानक बढ़ गया और यह स्पष्ट हो गया कि 2025 में उनकी हार की संभावना है. जून 2024 में लिबरल की बढ़ती अलोकप्रियता के स्पष्ट संकेत में, पार्टी ने टोरंटो में एक विशेष चुनाव में अपनी सबसे सुरक्षित सीटों में से एक खो दी.

ट्रूडो ने स्पष्ट किया कि वह अपने भविष्य के बारे में नए सवालों के बीच पद पर बने रहेंगे. सितंबर 2024 - न्यू डेमोक्रेट्स, जिन्होंने सामाजिक खर्च में वृद्धि के बदले में ट्रूडो को सत्ता में रखा था. उन्होंने घोषणा की कि वे अपना समर्थन वापस ले लेंगे.

नवंबर 2024 में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि जनवरी में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद वे मेक्सिको और कनाडा से अमेरिका में आयात किए जाने वाले सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने वाले कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे, जो कनाडा की निर्यात-निर्भर अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है.

16 दिसंबर 2024 को ट्रूडो द्वारा वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड से कम पद लेने के लिए कहने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया, जिससे पिछले दशक में उनके सबसे वफादार सहयोगियों में से एक और वह व्यक्ति दूर हो गया जो पहले ट्रंप राष्ट्रपति पद के दौरान कनाडा का प्रमुख व्यापार वार्ताकार था.

फ्रीलैंड ने कहा कि खर्च और संभावित अमेरिकी टैरिफ को कैसे संभालना है, सहित मुद्दों पर उनका और ट्रूडो का टकराव हुआ था. 6 जनवरी 2025 को जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा की लिबरल पार्टी के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे कनाडा के प्रधानमंत्री के रूप में उनका नौ साल का कार्यकाल भी समाप्त हो गया.

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