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कच्चातीवू पर आया श्रीलंका का जवाब, बोला- भारत को नहीं लौटाएंगे - KATCHATHEEVU ISLAND SRI LANKA - KATCHATHEEVU ISLAND SRI LANKA

SRI LANKAN MINISTER ON KATCHATHEEVU : प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस की हालिया टिप्पणियों पर पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया में, श्रीलंका के मंत्री ने कहा है कि श्रीलंका को कच्चातीवू पर बातचीत फिर से शुरू करने का कोई कारण नहीं दिखता है जिसे भारत ने 50 साल पहले छोड़ दिया था. पढ़ें पूरी खबर...

SRI LANKAN MINISTER ON KATCHATHEEVU
श्रीलंका के मत्स्यपालन मंत्री डगलस देवानंद. (IANS)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 5, 2024, 11:43 AM IST

कोलंबो : श्रीलंका के मत्स्यपालन मंत्री डगलस देवानंद के अनुसार, कच्चातीवू द्वीप को 'पुनः प्राप्त' करने के बारे में भारतीय राजनेताओं की ओर से दिए जा रहे बयानों का 'कोई आधार नहीं है'. उनकी टिप्पणी आगामी आम चुनावों से पहले भारत में चल रहे राजनीतिक विवाद की पृष्ठभूमि में आई है. सत्तारूढ़ भाजपा, जो लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने की कोशिश कर रही है, ने अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस पर कच्चातीवु को श्रीलंका को 'सौंपने' का आरोप लगाया है.

विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए श्रीलंका के मंत्री देवानंद ने भारत के लोकसभा चुनावों की ओर इशारा किया, जो 19 अप्रैल से शुरू होंगे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका के मत्स्यपालन मंत्री ने कहा कि वहां चुनाव का समय है. इसलिए, कच्चातीवू के बारे में दावों और प्रतिदावों का ऐसा शोर सुनना कोई असामान्य बात नहीं है.

श्रीलंका से कच्चातीवू को वापस लेने के बयानों का कोई आधार नहीं है. मंत्री ने कहा, नई दिल्ली इस जगह" (द्वीप) को सुरक्षित करना चाहती है ताकि श्रीलंका के मछुआरों पहुंच सकें. इसके साथ ही वह यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोलंबो उस संसाधनपूर्ण क्षेत्र में किसी भी अधिकार का दावा ना करे. उन्होंने 'वेस्ट बैंक' के बारे में भी बात की, जो 'कच्चतीवू से भी बड़ा' क्षेत्र है.

देवानंद ने कहा कि वेस्ट बैंक नामक एक जगह होने का दावा किया गया है, जो कन्याकुमारी के नीचे स्थित है. यह व्यापक समुद्री संसाधनों वाला एक बहुत बड़ा क्षेत्र है. यह कच्चातीवू से 80 गुना बड़ा है...भारत ने इसे 1976 के समीक्षा समझौते में हासिल किया था. कन्याकुमारी तमिलनाडु में है, जो दक्षिणी भारत का एक राज्य है.

तमिलनाडु में कांग्रेस की सहयोगी डीएमके का शासन है; बीजेपी ने द्रमुक पर भी कच्चातीवू को लेकर 'संवेदनहीन' होने का आरोप लगाया है. बदले में, दोनों दलों ने नरेंद्र मोदी सरकार पर लोगों को 'गुमराह' करने का आरोप लगाया और पूछा कि 10 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद वह इस मामले पर चुप क्यों है.

जबकि 1974 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की ओर से श्रीलंका के साथ हस्ताक्षरित समझौते में भारतीय मछुआरों को यात्रा दस्तावेजों के बिना कच्चातीवू तक पहुंचने की अनुमति दी गई थी, 1976 में हस्ताक्षरित एक अतिरिक्त समझौते ने यह अधिकार छीन लिया था, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह टिप्पणी की थी.

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