इस्लामाबाद: पाकिस्तान की सरकार ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) से फिर से बातचीत की पेशकश की है. नेशनल असेंबली के अध्यक्ष सरदार अयाज सादिक ने जोर देकर कहा कि बातचीत का विकल्प कभी नहीं छोड़ा गया था.
पंजाब विधानसभा में शुक्रवार को संवाददाताओं को संबोधित करते हुए सादिक ने कहा कि सरकार हमेशा पीटीआई के साथ बातचीत के लिए तैयार रही है और इसीलिए उन्होंने इस उद्देश्य के लिए गठित समिति को भंग नहीं किया है. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार एक प्रश्न के उत्तर में नेशनल असेंबली के अध्यक्ष ने कहा, 'गेंद अब पीटीआई के पाले में है, क्योंकि उसे सरकार से बातचीत करने से पहले पार्टी के भीतर से मंजूरी लेनी होगी.'
सादिक ने जोर देकर कहा कि पीटीआई के साथ सरकार का संवाद बरकरार है और राजनीतिक मतभेदों के बावजूद यह कभी नहीं टूटा है. पिछले सप्ताह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पीटीआई के साथ वार्ता फिर से शुरू करने की सरकार की इच्छा व्यक्त की थी. पीटीआई वार्ता प्रक्रिया से पीछे हट गई थी और शिकायत की थी कि 9 मई, 2023 और 26 नवंबर, 2024 की घटनाओं की जांच के लिए न्यायिक आयोग की स्थापना के साथ-साथ 2024 के चुनावों की मांग को स्वीकार नहीं किया गया.
शहबाज शरीफ ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए संसदीय समिति गठित करने की पेशकश की. उन्होंने याद दिलाया कि पीटीआई ने कभी न्यायिक आयोग नहीं बनाया, बल्कि सत्ता में रहने के दौरान विपक्ष की मांग पर एक समिति बनाई थी.
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने इमरान खान द्वारा स्थापित पार्टी से बातचीत फिर से शुरू करने और प्रस्तावित समिति के गठन को स्वीकार करने का आह्वान किया. समिति 2018 और 2014 में हुए दो चुनावों की जांच करेगी. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के राजनीतिक सलाहकार राणा सनाउल्लाह ने भी पीटीआई से बातचीत करने की इच्छा जताई थी.
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार पीटीआई ने सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने और संसदीय समिति गठित करने के शहबाज शरीफ के प्रस्ताव को खारिज कर दिया. एक बयान में पीटीआई के शीर्ष नेता और नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता उमर अयूब ने कहा, 'हम प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बातचीत शुरू करने के प्रस्ताव को खारिज करते हैं.'
पीटीआई के 'राजनीतिक कैदियों' को रिहा करने की पार्टी की मांग को दोहराते हुए अयूब ने कहा, 'हमारी मांगें स्पष्ट थी. पाकिस्तान सरकार की वार्ता समिति के प्रवक्ता, सीनेटर इरफान सिद्दीकी ने कहा कि पीटीआई ने बातचीत समाप्त करके अपनी गैर-लोकतांत्रिक और गैर-राजनीतिक मानसिकता का प्रदर्शन किया है. उन्होंने आगे कहा, 'पीटीआई ने अपनी मांगों को पूरा करने का एक अच्छा अवसर खो दिया.'