हैदराबाद: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में राष्ट्रपति पद पर वापसी की. पद संभालते ही उन्होंने अमेरिका में बर्थराइट सिटीजनशिप को समाप्त करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया. ट्रंप के इस आदेश के कुछ ही घंटों बाद, नागरिक अधिकार और आव्रजन समूहों के गठबंधन ने इसे चुनौती देते हुए मुकदमा दायर किया, जिसपर अमेरिका के फेडरल कोर्ट ने गुरुवार को रोक लगा दी.
कोर्ट ने ट्रंप के इस कदम को स्पष्ट रूप से असंवैधानिक बताया.बता दें कि अगर ट्रंप के आदेश को लागू होने दिया जाता है, तो हर साल 150,000 से ज्यादा नवजात बच्चों को नागरिकता से वंचित रह जाएंगे. इससे भारत भी काफी प्रभावित होगा.
दरअसल. भारत के अधिकतर लोग तकनीकी क्षेत्र में काम करने के लिए अमेरिका आते हैं. बर्थ राइट सिटीजनशिप के तहत उनके बच्चे अमेरिकी नागरिक बन जाते थे, जिससे उन्हें शिक्षा और रोजगार के मामले में फायदा होता था. इससे भारतीय प्रवासियों के लिए अमेरिका में एक स्थायी ठिकाना स्थापित करना आसान हो जाता था. यह आदेश के लागू होने से भारतीय नागरिकों के लिए एक संकंट बन सकता था.
कितने देश देते हैं बर्थराइट सिटीजनशिप?
बता दें कि बर्थराइट सिटीजनशिप एक सरकारी नीति है, जिसके तहत किसी देश की सीमाओं या क्षेत्र में पैदा होने वाले किसी भी बच्चे को उस देश में ऑटोमैटिकली ही नागरिकता प्रदान कर दी जाती है. भले ही उसके माता-पिता नागरिक न हों. अमेरिका दुनिया का एकलौता देश नहीं हो, जो अपने देश में पैदा होने वाले बच्चों को बर्थराइट सिटिजनशिप देता है. वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यूकी रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 30 से देश बर्थराइट सिटीजनशिप देते हैं.