यरूशलम: इजराइल की वायु सेना (आईएएफ) ने सीरिया में 2024 में एक काफी मुश्किल ऑपरेशन को अंजाम दिया. इस ऑपरेशन में 120 इजराइल के कमांडो के अलावा 21 जेट फाइटर विमानों ने भाग लिया. इस ऑपरेशन के दौरान आईएएफ ने अंडरग्राउंड मिसाइल फैक्ट्री को नष्ट कर दिया था. इस अभियान के 'ऑपरेशन मेनी वेज' को 8 सितंबर 2024 को पूरा किया गया. इजराइल के इस हमले ने सीरिया के मिसाइल ऑपरेशन को हिलाकर रख दिया था.
ईरान को पहुंचाया भारी नुकसान
डीप लेयर के नाम से सीरिया की इस मिसाइल फैक्ट्री को जाना जाता था. यह फैक्ट्री यह पश्चिमी सीरिया के मसयाफ क्षेत्र के पास स्थित थी. इस इलाके को सीरिया वायु रक्षा का प्रमुख गढ़ माना गया है. वहीं इजराइल के अफसरों ने दावा किया कि यह साइट, ईरान के मिसाइल प्रोडक्शन कार्यक्रम की एक प्रमुख परियोजना है. इसका मकसद लेबनान में हिजबुल्लाह के अलावा सीरिया में असद शासन को मिसाइलें मुहैया करना था. अधिकारियों ने यह भी दावा किया कि इस ऑपरेशन में इजरायल की सेना को कुछ नुकसान नहीं हुआ.
मिसाइल की फैक्ट्री 100 फीट नीचे थी
आईएएफ का कहना है कि दक्षिणी सीरिया के जमराया में वैज्ञानिक अध्ययन और अनुसंधान केंद्र (CERS) में जमीन के ऊपर रॉकेट इंजन निर्माण स्थल पर पहले इजरायल के द्वारा किए गए हवाई हमले के बाद ईरान की इस मिसाइल फैक्ट्री को बनाने का काम 2017 के अंत में प्रारंभ हुआ था. इस हमले की वजह से ईरान को मिसाइल प्रोडक्शन क्षमताओं को भविष्य के हवाई हमलों से सुरक्षित रखने के मकसद से अपने ऑपरेशनों को अंडरग्राउंड करना पड़ा. इतना ही नहीं वर्ष 2021 तक पहाड़ में 70 से 130 मीटर नीचे फैक्ट्रियों का निर्माण शुरू किया गया जिसमें मिसाइलों को बनाने का काम होता था.
घोड़े की नाल के आकार का स्ट्रक्चर
इतना ही नहीं अंडरग्राउंड बनी मिसाइल फैक्ट्री घोड़े की नाल के आकार की तरह थी. इसके तीन एंट्री गेट थे. यहां पर एक से कच्चा माल लाया जाता था तो दूसरे से मिसाइलों को बाहर लाने के साथ तीसरे से रसद और ऑफिस तक पहुंचने का काम किया जाता था. यहां पर 16 कमरे थे, जिनमें रॉकेट ईंधन के लिए मिक्सर व अन्य सामान रखे गए थे. इस बारे में आईडीएफ के अनुमान के मुताबिक फैक्ट्री का सालाना उत्पादन 100 से 300 मिसाइलों के बीच हो सकता है. यह मिसाइलें 300 किलोमीटर दूर की रेंज की थीं.
मौसम देखकर तय की गई हमले की तारीख
इजरायल की सीमा से महज 200 किमी उत्तर में और सीरिया के पश्चिमी तट से 45 किमी दूर स्थित इस फैक्ट्री के द्वारा ईरान को हिजबुल्लाह के लिए इजराइल हमलों को रोकने का एक माध्यम प्रदान किया. वहीं अंडरग्राउंड साइट हिजबुल्लाह को सीरिया के बार्डर से सीधे मिसाइलें प्राप्त करने में सक्षम बनाती थी. इस वजह से इजराइल ने इसे तबाह करने का लक्ष्य रखा था. साथ ही हमले की तिथि अनुकूल मौसम को देखते तय की गई थी.
फैक्ट्री तबाह करने 660 पाउंड विस्फोटक का प्रयोग
ऑपरेशन चार सीएच-53 "यासुर" भारी परिवहन हेलीकॉप्टरों पर सवार 100 शालदाग कमांडो और 20 यूनिट 669 मेडिक्स के साथ शुरू हुआ था. इस दौरान एएच-64 लड़ाकू हेलीकॉप्टरों, 21 लड़ाकू विमानों, पांच ड्रोनों और 14 टोही विमानों के साथ दस्ता सीरिया के रडार से बचने के मद्देनजर भूमध्य सागर के ऊपर उड़ान भरते हुए इजराइल के लिए रवाना हुआ था. साथ ही सीरिया के हवाई क्षेत्र में हेलीकॉप्टरों ने दमिश्क के बाद असाधारण रूप से कम ऊंचाई पर उड़ान भरी. कमांडो के ऑपरेशन को छिपाने के लिए, आईएएफ के विमानों ने अन्य सीरियाई ठिकानों को दिग्भ्रमित करने वाले हमले शुरू कर दिए, जिससे उनका ध्यान हट गया. वहीं कमांडो के लिए लॉन्च किए गए एक निगरानी ड्रोन से क्षेत्र की निगरानी की गई. इसके अलावा 660 पाउंड विस्फोटक को लगाया गया. वहीं कमांडो ने मिशन को तीन घंटे से कम समय में ही पूरा कर लिया.आईडीएफ के इस ऑपरेशन के दौरान करीब 30 सीरियाई गार्डों और सैनिक मारे गए. जबकि सीरिया की मीडिया ने 14 लोगों की मौत होने के अलावा 43 के घायल होने का दावा किया था.
ये भी पढ़ें- अफगानिस्तान में सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर हथियार और गोला-बारूद किया जब्त