न्यूयॉर्क: इजराइल और लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष में कमी आने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं. इजराइली सेना (आईडीएफ) दक्षिणी लेबनान में ईरान समर्थित समूह हिजबुल्लाह के ठिकानों पर लगातार बमबारी कर रही है. 'द टाइम्स ऑफ इजराइल' की रिपोर्ट के मुताबिक, आईडीएफ ने गुरुवार दोपहर को लेबनान की राजधानी बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में हवाई हमले किए, जिसमें हिजबुल्लाह का एक वरिष्ठ नेता मारा गया.
रिपोर्ट के मुताबिक, आईडीएफ ने हिजबुल्लाह के गढ़ दहियाह में किए गए हमले में हिजबुल्लाह के हवाई बलों के प्रमुख को निशाना बनाया गया. इजराइली हमले में हिजबुल्लाह की ड्रोन इकाई के कमांडर मोहम्मद सरूर उर्फ अबू सालेह के मारे जाने की रिपोर्ट है. लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि हमले में दो लोग मारे गए.
पश्चिमी एशिया में संघर्ष के बीच यूएन की अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने कहा है कि वह अक्टूबर में ईरान की यात्रा कर सकते हैं. तेहरान में वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर बातचीत करेंगे. ग्रॉसी ने कहा कि न्यूयॉर्क में उनकी ईरानी अधिकारियों के साथ वार्ता हुई, जिसके बाद एजेंसी के साथ अधिक सार्थक तरीके से जुड़ने की अधिक इच्छा महसूस हुई है.
ग्रॉसी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के दौरान ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची से बातचीत की, जो 2015 के परमाणु समझौते के प्रमुख वास्तुकारों में से एक थे. ग्रॉसी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा, "मुझे लगता है कि हमारे साथ अधिक सार्थक तरीके से फिर से जुड़ने की इच्छा व्यक्त की गई है."
ग्रॉसी ने कहा कि वह ईरान के साथ उचित तकनीकी चर्चाओं को जल्दी से जल्दी बहाल करने में वास्तविक प्रगति लाना चाहते हैं और अक्टूबर में ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन से मिलने के लिए तेहरान की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमें ईरान के परमाणु कार्यक्रम की जांच करनी होगी. आईएईए बोर्ड के प्रस्तावों में ईरान को यूरेनियम अवशेषों की जांच में तत्काल सहयोग करने का आदेश दिया गया है.
उनका यह बयान संयुक्त राष्ट्र महासभा में ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान के पहले संबोधन के बाद दिया. पेजेश्कियान ने अपने संबोधन में इजराइल की निंदा करते हुए यहूदी देश पर पश्चिम एशिया में संघर्ष को और भड़काने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि ईरान पश्चिम देशों के साथ परमाणु समझौते को लेकर सभी अड़चनों को दूर करने के लिए तैयार है.
गौरतलब है कि वर्ष 2015 में ईरान और पश्चिम देशों के बीच परमाणु समझौता हुआ था, जिसके तहत ईरान को अपना यूरेनियम संवर्धन सीमित करना था, लेकिन इसके तीन साल बाद अमेरिका इससे अलग हो गया था, जिस कारण यह समझौता टूट गया था.
पश्चिम देशों के साथ संबंध ठीक करना चाहता है ईरान?
ईरानी राष्ट्रपति के इस बयान के बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि पश्चिम एशिया में संघर्ष के बीच ईरान अंतराराष्ट्रीय पटल पर नरम रुख कर क्या दिखाना चाहते हैं. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान पश्चिम देशों के साथ संबंध ठीक करना चाहता है. इसी संदेश के साथ पेजेश्कियान न्यूयॉर्क गए. ईरान की आर्थिक हालत ठीक नहीं है. वह इजराइल या किसी अन्य देश के साथ युद्ध में उलझना नहीं चाहता है. यही वजह है कि ईरान पश्चिम देशों के साथ परमाणु समझौता करना चाहता है. ईरानी राष्ट्रपति चाहते हैं कि इसके बदले ईरान पर लगे प्रतिबंध हटा लिए जाएं. लेकिन अमेरिका अन्य देश ईरान के आश्वासन को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं.
यह भी पढ़ें-'हिजबुल्लाह अकेले इजराइल का मुकाबला नहीं कर सकता', ईरानी राष्ट्रपति ने संघर्ष बढ़ने के खतरे से किया आगाह