पेरिस: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पहले दौरे के संसदीय चुनाव में हार गए हैं. वहीं, मरीन ले पेन की दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली (RN) ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है. लेकिन फ्रांस की राजनीतिक पार्टियां मरीन पेन को सत्ता में आने से रोकने के लिए संयुक्त मोर्चा बनाने में जुट गई हैं. आरएन और उसके सहयोगी दलों ने पहले दौर के चुनाव में 33 प्रतिशत वोट के साथ जीत हासिल की है, जबकि वामपंथी गुट को 28 प्रतिशत वोट मिले हैं. राष्ट्रपति मैक्रों के नेतृत्व वाली पार्टी को केवल 20 प्रतिशत वोट मिले.
राष्ट्रपति मैक्रों के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है. मैक्रों ने पिछले महीने यूरोपीय संसद चुनाव में उनके नेतृत्व वाले मध्यमार्गी गठबंधन की हार के बाद अचानक संसदीय चुनाव की घोषणा की थी, क्योंकि उनपर नैतिक दबाव था.
हालांकि, अप्रवासी विरोधी, यूरोसेप्टिक आरएन पार्टी सरकार बना पाएगी या नहीं, यह अब इस बात पर निर्भर करेगा कि फ्रांस में सैकड़ों निर्वाचन क्षेत्रों में प्रमुख प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों के लिए रैली करके अन्य पार्टियां पेन को विफल में कितनी सफल हो पाती हैं. वामपंथी पार्टी न्यू पॉपुलर फ्रंट और मैक्रों के नेतृत्व वाले गठबंधन के नेताओं ने संकेत दिए हैं कि वे उन जिलों में अपने उम्मीदवारों को वापस ले लेंगे, जहां अगले रविवार के होने वाले दूसरे दौर के चुनाव में आरएन को हराने के लिए कोई अन्य उम्मीदवार बेहतर स्थिति में है.
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि वे ऐसा समझौता कैसे लागू करेंगे, अगर वामपंथी उम्मीदवार न्यू पॉपुलर फ्रंट के प्रमुख सदस्यों में से एक जीन-ल्यूक मेलेनचॉन की फ्रांस अनबोड (एलएफआई) पार्टी से हो. उग्र वक्ता मेलेनचॉन फ्रांसीसी राजनीति में सबसे विभाजनकारी व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं, जो अपने बेलगाम टैक्स व खर्च प्रस्तावों और युद्ध की बयानबाजी से मतदाताओं को उत्साहित और भयभीत करते हैं.
मैक्रों की पार्टी के सहयोगी वित्त मंत्री ब्रूनो ले मायेर ने मतदाताओं से एलएफआई उम्मीदवार चुनने का आह्वान करने से इनकार किया. उन्होंने फ्रांस इंटर रेडियो से कहा कि एलएफआई राष्ट्र के लिए खतरा है. वामपंथी गठबंधन की वरिष्ठ सदस्य मरीन टोंडेलियर ने कुछ ही मिनटों बाद उसी रेडियो स्टेशन से कहा कि वह ब्रूनो ले मायेर के रुख से बिल्कुल हैरान हैं, उन्होंने इसे कायरतापूर्ण और विशेषाधिकार प्राप्त बताया.
फ्रांस में दो चरणों में होते हैं संसदीय चुनाव
फ्रांस में नेशनल असेंबली (संसद) की 577 सीटें हैं. देश में दो चरणों में संसदीय चुनाव होते हैं. दूसरे चरण का चुनाव सात जुलाई को होना है. अगर मध्यावधि चुनाव में राष्ट्रपति मैक्रों के नेतृत्व वाले गठबंधन की हार होती है और नेशनल रैली को बहुमत मिलता है तो मैक्रों को विरोधी दल के पीएम के साथ करना होगा. लेकिन संसदीय चुनाव का उनके कार्यकाल पर कोई असर नहीं पड़ेगा. राष्ट्रपति के तौर पर मैक्रों का कार्यकाल 2027 तक है. वर्तमान में फ्रांस के प्रधानमंत्री गैब्रियल अट्टल हैं. 577 सदस्यों वाली संसद में बहुमत का आंकड़ा 289 है. वहीं, पहले राउंड के चुनाव में 12.5 प्रतिशत से कम वोट पाने वाली पार्टियां दूसरे दौर से बाहर हो जाएंगी.
यह भी पढ़ें-फ्रांस के पहले दौर के चुनावों में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पिछड़े, धुर दक्षिणपंथी पार्टी की धमाकेदार जीत