हैदराबाद: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अमेरिका को अलग करने के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी अमेरिका को डब्ल्यूएचओ से बाहर निकालने का प्रयास किया था.
8 जुलाई 2020 को ट्रंप प्रशासन ने औपचारिक रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर निकलने की संयुक्त राष्ट्र को सूचना दी थी और संगठन पर कोविड-19 महामारी के प्रसार को छिपाने और गंभीर कुप्रबंधन का आरोप लगाया था. हालांकि, यूएन हेल्थ एजेंसी से अलग होने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई थी, क्योंकि 2021 में राष्ट्रपति पद संभालने के पहले ही दिन जो बाइडेन ने एजेंसी के साथ अमेरिका के संबंधों को फिर से बहाल कर दिया था.
WHO को अमेरिकी वित्तीय सहायता का इतिहास
- अमेरिका लंबे समय से WHO का सबसे बड़ा योगदानकर्ता रहा है. अमेरिका लंबे समय से WHO का सक्रिय सदस्य है. साथ ही वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने के साथ-साथ इसके शासन ढांचे में भी अहम भागीदार रहा है.
- अमेरिका WHO को सबसे ज्यादा फंड भी देता है. पिछले दशक में अमेरिका का योगदान सालाना 163 मिलियन डॉलर से 816 मिलियन डॉलर के बीच रहा है. 2022-23 के दौरान WHO को कुल वित्तपोषण में अमेरिका का योगदान 16 प्रतिशत था. अमेरिका WHO के कुल बजट का लगभग 5वां हिस्सा देता है.
- अमेरिकी सरकार द्वारा WHO का समर्थन करने के मुख्य तरीकों में इसका मूल्यांकन और वॉलंटरी योगदान है.
- 2020 में, ट्रंप प्रशासन ने अस्थायी रूप से WHO के लिए अमेरिकी फंडिंग को निलंबित कर दिया और अमेरिकी सदस्यता को खत्म करने की प्रक्रिया शुरू की. ट्रंप के इस फैसले को 2021 में बाइडेन प्रशासन ने उलट दिया.
डब्ल्यूएचओ को 2015-2024 तक अमेरिकी योगदान
डब्ल्यूएचओ को मुख्य रूप से दो तरीकों से धन मिलता है - इसके सभी सदस्य देशों से अनिवार्य रूप से निर्धारित योगदान और विभिन्न देशों तथा संगठनों से जुटाया गया वॉलंटरी योगदान.
वर्ष | 2015-2024 तक डब्ल्यूएचओ को योगदान (मिलियन में) |
2015 | 438 मिलियन डॉलर |
2016 | 341 मिलियन डॉलर |
2017 | 513 मिलियन डॉलर |
2018 | 389 मिलियन डॉलर |
2019 | 421 मिलियन डॉलर |
2020 | 163 मिलियन डॉलर |
2021 | 583 मिलियन डॉलर |
2022 | 816 मिलियन डॉलर |
2023 | 481 मिलियन डॉलर |
2024 | 119 मिलियन डॉलर (वर्ष 2024 के लिए वॉलंटरी योगदान उपलब्ध नहीं) |
2020-21 की अवधि में (जब ट्रंप प्रशासन ने कोविड-19 महामारी के दौरान कुछ अमेरिकी फंडिंग रोक दी थी), तभी तब अमेरिका अन्य दाताओं, विशेष रूप से जर्मनी और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा कोविड-19 की रोकथाम में अपने योगदान में वृद्धि के बाद भी तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता था. बाइडेन प्रशासन ने 2021 से फंडिंग बहाल की और 2022-23 की अवधि में अमेरिका एक बार फिर WHO का सबसे बड़ा योगदानकर्ता बन गया.
अमेरिका के WHO से अलग होने के संभावित वैश्विक प्रभाव