हीमोफीलिया में जरूरी है नियमित मॉनिटरिंग तथा आजीवन स्वास्थ्य देखभाल - World Hemophilia Day
World Hemophilia Day : हीमोफीलिया एक गंभीर रक्त विकार है . जिसका स्थायी इलाज संभव नहीं है. ऐसे में बहुत जरूरी है की हीमोफीलिया पीड़ित लोग हमेशा अपने चिकित्सक के संपर्क में रहे, अपने स्वास्थ्य की नियमित मॉनिटरिंग रखें तथा इलाज, दवाओं व सावधानियों का अनुशासन के साथ पालन करें.
हीमोफीलिया एक दुर्लभ तथा गंभीर रक्त विकार है. जिसमें समय पर इलाज ना होने पर तथा सही प्रबंधन व देखभाल ना होने पर पीड़ित के लिए जान जाने का जोखिम बढ़ सकता है. एक विशेष जीन में गड़बड़ी के कारण होने वाले तथा ताउम्र प्रभावित करने वाले इस विकार का स्थाई इलाज अभी संभव नहीं है. इसलिए इस विकार से पीड़ित लोगों के लिए पूरी जिंदगी अपने स्वास्थ्य की ज्यादा देखभाल व नियमित मॉनिटरिंग की जरूरत होती है.
रेयर डिजीज की श्रेणी में आने वाले हीमोफीलिया के बारे आमजन में अभी भी जागरूकता की कमी देखने में आती हैं. इस रक्त विकार को लेकर जागरूकता बढ़ाने के साथ इसके इलाज व प्रबंधन को हर पीड़ित तक पहुंचाने के लिए प्रयासों को बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 17 अप्रैल को विश्व हिमोफीलिया दिवस भी मनाया जाता है.
क्या है हीमोफीलिया फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया (डब्ल्यू.एच.एफ) के अनुसार हीमोफीलिया एक दुर्लभ व गंभीर रोग है. जिसका स्थाई इलाज अभी तक नहीं मिला है. यह रोग महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक देखा जाता है. वहीं नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी की वेबसाइट पर उपलब्ध एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति 10,000 जन्मों (महिला व पुरुष) में 1 हेमोफिलिया से पीड़ित होता है.
पुरानी दिल्ली के सेवानिवृत फिजीशियन (इंटरनल मेडिसिन) डॉ आलोक कुमार के अनुसार अनुसार हीमोफीलिया एक रक्तस्राव विकार हैं. जिसमें पीड़ित के शरीर से चोट, सर्जरी या किसी अन्य कारण के चलते बहने वाला खून जल्दी रुक नही पाता है. वहीं इस समस्या में गंभीरता के बढ़ने पर शरीर में अलग-अलग अंगों में इंटनल ब्लीडिंग की समस्या भी होने लगती है. ऐसे व्यक्ति को यदि समय पर इलाज न मिले तो उसकी जान जाने का जोखिम बढ़ सकता है.
वह बताते हैं कि साधारण भाषा में कहा जाय तो इस रक्त विकार में रक्त में थक्के बनाने वाले जीन में गड़बड़ी होने के कारण रक्त में थक्के बनने कम हो जाते हैं या थक्के बनने की प्रक्रिया बहुत धीमी हो जाती है. दरअसल रक्त के थक्के शरीर में किसी भी कारण से अंदरूनी तथा बाह्य अंगों में रक्त के बहने को रोकते हैं तथा रक्त स्राव को नियंत्रित करते हैं.
कारण तथा लक्षण हीमोफीलिया के लिए ज्यादातर मामलों में आनुवंशिकता या माता पिता से मिलने वाले दोषपूर्ण जीन को जिम्मेदार माना जाता है. यानी हिमोफीलिया से पीड़ित लोग आमतौर पर इस रोग के साथ ही जन्म लेते हैं. लेकिन कुछ मामलों में यह रोग जन्म के बाद जीन में गड़बड़ी के कारण भी हो सकता है. इन अवस्थाओं को कारणों के आधार पर स्पोरेडिक हीमोफीलिया तथा एक्वायर्ड हीमोफीलिया कहा जाता है.
दरअसल जन्म के बाद कभी-कभी ऑटोइम्यून डिसॉर्डर या स्व प्रतिरक्षित रोग, कैंसर, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, दवाओं के पार्श्व प्रभाव के कारण तथा कई बार गर्भावस्था में क्लॉटिंग फैक्टर प्रोटीन बनाने वाले जीन में गड़बड़ी होने लगती है. जो इस रोग का कारण बन सकता है. हालांकि ऐसे मामले बहुत कम संख्या में देखने में आते हैं. आंकड़ों की माने तो कुल पीड़ितों में से मात्र 30% लोग ऐसे होते हैं, जिनमें हिमोफीलिया अनुवांशिक कारणों से नहीं होता है.
कारणों के आधार पर वैसे तो हीमोफीलिया के कई अलग-अलग प्रकार माने गए हैं लेकिन उनमें से हीमोफीलिया टाइप ए तथा हीमोफीलिया टाइप बी के मामले ज्यादा देखने में आते हैं. इनके लक्षणों की बात करें तो फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया द्वारा बताए गए हिमोफीलिया के कुछ खास लक्षण इस प्रकार हैं .
किसी दुर्घटना या चोट के बाद घाव से लंबे समय तक लगातार रक्तस्राव होना
बार-बार नाक से खून बहना जिसे रोकना मुश्किल हो जाना
मसूड़ों से खून बहना तथा दांत निकले जाने या टूट जाने पर या किसी प्रकार की सर्जरी के बाद रक्तस्राव रुकने में देरी होना या ना रुक पाना
त्वचा के नीचे रक्तस्राव होना
टीकाकरण या इंजेक्शन लेने के बाद खून निकलना
पाचन प्रणाली में रक्तस्राव होने के कारण उल्टी, मल या पेशाब में खून दिखना
मांसपेशियों या जोड़ों में अंदरूनी या बाह्य रक्तस्राव होना
जांच तथा उपचार गौरतलब है कि हीमोफीलिया एक आजीवन प्रभावित करने वाला विकार है जिसका स्थाई उपचार अभी संभव नहीं हो पाया है, लेकिन दवाओं तथा कुछ थेरेपी की मदद से इसे नियंत्रित रखा जा सकता है. डॉ आलोक कुमार बताते हैं कि इस विकार के प्रभावों को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है, इसलिए पीड़ित को चाहिए की वह अपनी दवाइयों व थेरेपी का अनुशासन के साथ पालन करें. साथ ही बिना चिकित्सक के कहे दवा या थेरेपी को बंद ना करे. इसके अलावा हमेशा अपने स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग रखे तथा हल्की सी समस्या होने पर भी चिकित्सक से संपर्क करें. वहीं ऐसे मातापिता जिन्हे हीमोफीलिया या ऐसा कोई भी विकार हो जिसके लिए जीन या जीन में गड़बड़ी जिम्मेदार हो , उन्हे बच्चे की प्लानिंग करने से पहले चिकित्सक से परामर्श जरूर लेना चाहिए.
वह बताते हैं कि ऐसे लोग जो हीमोफीलिया से पीड़ित हो उनके लिए नियमित स्वास्थ्य जांच के साथ कुछ सावधानियों का पालन करना भी बेहद जरूरी है जिनमे से कुछ इस प्रकार है.
किसी भी प्रकार की दवा का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर लें तथा उनके लिए किस प्रकार की दवाएं लेना नुकसानदायक हो सकता है इसकी जानकारी हमेशा साथ रखें.
अपना पहचान पत्र तथा अपने ब्लड ग्रुप से जुड़ी सूचना हमेशा अपने साथ रखे.
किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि तथा यात्रा के दौरान विशेष सावधानियां बरते.
हेपेटाइटिस ए और बी का टीका जरूर लगवाएं.
किसी प्रकार के संक्रमण या रोग , विशेषकर रक्त से जुड़े संक्रमण से बचने के लिए विशेष सावधानी बरतें .