नई दिल्ली: आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा पहली सूची जारी करने के बाद नई दिल्ली विधानसभा सीट पर चुनावी जंग रोचक हो गई है. एक ओर जहां नई दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी प्रत्याशी के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चौथी बार चुनाव मैदान में है तो वहीं कांग्रेस ने भी पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित को प्रत्याशी घोषित कर रखा है.
अब आज भाजपा द्वारा जारी सूची में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री रहे साहिब सिंह वर्मा के पुत्र व पूर्व भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा को नई दिल्ली सीट से केजरीवाल के खिलाफ मैदान में उतारा गया है. इसके बाद से नई दिल्ली सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की चर्चाएं तेज हो गई हैं. अब इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे चुनावी समर में घेरेंगे. इस बार के विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है. संदीप दीक्षित के पास नई दिल्ली सीट से 15 साल तक विधायक रही, उनकी मां शीला दीक्षित की विरासत और उनके कराए गए कामों को लेकर जनता के बीच जाने का मौका है तो वही प्रवेश वर्मा के पास दो बार सांसद और एक बार विधायक रहने के अनुभव के साथ ही अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के द्वारा दिल्ली में कराए गए कामों को जनता के बीच लेकर जाने का मौका है.
क्षेत्र में शुरू हुई सरगर्मियां: बतादें कि प्रवेश वर्मा ने प्रत्याशी घोषित होने से एक महीने पहले ही नई दिल्ली विधानसभा सीट पर चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी. साथ ही लोगों के बीच में अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी. वहीं, करीब 15 दिन पहले कांग्रेस की दूसरी सूची में टिकट मिलने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी संदीप दीक्षित ने भी नई दिल्ली इलाके में जनसंपर्क शुरू कर दिया है. उल्लेखनीय है कि नई दिल्ली विधानसभा सीट पर अब तक हुए 7 चुनाव में सिर्फ पहले चुनाव में ही भाजपा को जीत मिली थी. उसके बाद से तीन बार से कांग्रेस और तीन बार से आम आदमी पार्टी का कब्जा रहा है. पिछले चुनाव में केजरीवाल ने भाजपा प्रत्याशी सुनील यादव को 21697 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई थी.
2013 में शीला दीक्षित को मिली थी करारी शिकस्त: 2013 के विधानसभा चुनाव में जब पहली बार केजरीवाल की आम आदमी पार्टी चुनावी मैदान में उतरी और खुद अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित के खिलाफ यहां से ताल ठोक दी थी. जब चुनाव परिणाम आया तो हर कोई हैरान था, क्योंकि केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से शीला दीक्षित को 25,864 वोटों के बड़े अंतर से शिकस्त दी थी. अरविंद केजरीवाल को जहां 44269 वोट मिले तो शीला दीक्षित को महज 18405 वोटों से संतोष करना पड़ा और तीसरे नंबर रहे बीजेपी उम्मीदवार विजेंद्र गुप्ता को तब 17952 वोट मिले थे. 2015 के चुनाव में केजरीवाल ने भाजपा प्रत्याशी नूपुर शर्मा को 31583 वोटों के बड़े अंतर से हराया जबकि कांग्रेस प्रत्याशी किरण वालिया की मात्र 4781 वोट पाकर जमानत जब्त हो गई थी.
1993 में दिल्ली में पहला विधानसभा चुनाव: सन 1993 में दिल्ली में पहला विधानसभा चुनाव हुआ था तब इस सीट को गोल मार्केट के नाम से जाना जाता था. भाजपा ने उस समय पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद को गोल मार्केट सीट से टिकट दिया था. कीर्ति आजाद चुनाव जीतकर विधायक बन गए थे. उसके बाद दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी थी. फिर वर्ष 1998 में कांग्रेस नेता शीला दीक्षित ने लगातार तीन बार 1998, 2003 और 2008 में इस सीट पर जीत दर्ज की. 2008 में हुए परिसीमन में गोल मार्केट सीट का नाम बदलकर नई दिल्ली सीट कर दिया गया.
बता दें कि 1956 से 1993 तक दिल्ली में न मुख्यमंत्री था और न विधानसभा. इस बीच 61 सदस्यीय मेट्रोपॉलिटन काउंसिल ने दिल्ली का प्रशासन संभाला था. 1993 में फिर से चुनाव हुए और दिल्ली को विधानसभा मिली.
केजरीवाल की जीत का आगाज: वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराकर जीत दर्ज की थी. 1998 के चुनाव के बाद से इस सीट के साथ यह तथ्य जुड़ गया कि जिस प्रत्याशी ने भी इस सीट से जीत दर्ज की, वह लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बना. पहले शीला दीक्षित और उनके बाद केजरीवाल भी लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
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