Winter Viral Infection : मौसम में बदलाव आने लगा है, सुबह और रात को गुलाबी सर्दी का अहसास होने के साथ ही वायरल इंफेक्शन का प्रकोप भी शुरू हो गया है. अस्पतालों की OPD में 30 फीसदी मरीज वायरल इंफेक्शन के आ रहे है. सर्द और गर्म के वातावरण में वायरल इंफेक्शन तेजी से फैल रहा है. ज्यादातर लोग Viral Infection से ग्रसित होने के बाद बुखार, जुखाम और बदन दर्द को साधारण मानने की गलती के साथ ही दवा लेने में भी लापरवाही करते हैं. जानते हैं वायरल इंफेक्शन के कारण, लक्षण और बचाव के लिए जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रमाकांत दीक्षित से हेल्थ टिप्स.
गुलाबी ठंड शुरू हो चुकी है, मौसम में बदलाव के कारण लोग लापरवाही के चक्कर में वायरल इंफेक्शन का शिकार हो रहे हैं. वायरल इंफेक्शन घातक नही है. Viral Infection का असर सामान्यतः 5 दिन तक रहता है लेकिन 5 दिन बाद भी यदि असर खत्म नही होता तो यह गंभीर भी हो सकता है. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रमाकांत दीक्षित ने बताया कि मौसम में बदलाव से सुबह और रात का तापमान कम हो गया है. जबकि दिन में गर्मी रहती है. इस बदलते मौसम के साथ वायरल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. विशेषकर छोटे बच्चे, बुजुर्ग, अस्थमा, एलर्जी के रोगी, फेफड़े संबंधी पुराना रोग, डायबिटीज रोगी, हार्ट रोगी, गर्भवती महिलाओं में वायरल इंफेक्शन होने की संभावना अधिक रहती है. ऐसे में गंभीर बीमारियों से ग्रसित रोगियों और रोग प्रतिरोधक क्षमता जिनकी कम है उन्हें विशेष सावधानी रखने की जरूरत है.
वायरल इंफेक्शन के लक्षण :JNMC Assistant Professor Dr Ramakant Dixit ने बताया कि वायरल इनफेक्शन होने पर रोगी में गले मे खराश, सिर दर्द, उल्टी, दस्त, बुखार, जुखाम, बदन दर्द के लक्षण नजर आने लगते हैं. वायरल इन्फेक्शन में ज्यादा घबराने की बात नहीं है. 5 दिन में वायरल इन्फेक्शन का असर खत्म हो जाता है. लेकिन रोग प्रतिरोध क्षमता और गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों को Viral Infection होता है तो उन्हें तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेकर इलाज लेना चाहिए.
निमोनिया का खतरा: डॉ रमाकांत दीक्षित बताते है कि जिन लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है और जो लोग गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं, उनमें निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है. Dr Ramakant Dixit ने बताया कि सामान्य तौर पर 5 दिन में वायरल इन्फेक्शन का असर खत्म हो जाता है लेकिन यदि उसके बाद भी असर बरकरार रहता है तो चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें. संभावित रोगियों के खून की जांच, चेस्ट का एक्स-रे आदि जांच होती है जिससे निमोनिया का पता चलता है. Pneumonia ग्रस्त रोगी को एंटी बायोटिक दी जाती है.