पटनाः देश में चांदीपुरा वायरस का असर बच्चों में काफी देखने को मिल रहा है. गुजरात में अब तक 12 बच्चों की मौत हो चुकी हैं. सभी 14 वर्ष से कम आयु के हैं. महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा में भी इसके मामले हाल के दिनों में सामने आ चुके हैं. बिहार के लिए अच्छी खबर यह है कि अब तक इस वायरस के मामले सामने नहीं आए हैं. हालांकि बिहार सरकार की ओर से वाइरस को लेकर कोई एडवाइजरी नहीं आई है, लेकिन शिशु रोग विशेषज्ञ सतर्क हैं.
45% से 75% बच्चों की मौतः पटना के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ और मच के पेडियाट्रिक विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष डॉ निगम प्रकाश ने बताया कि चांदीपुरा वायरस एक प्रकार का आरएनए वायरस है. अभी किस समय देश के कुछ राज्यों में बच्चों के लिए यह बहुत घातक साबित हो रहा है. इस बीमारी से संक्रमित बच्चों में 45% से 75% की जान चली जा रही है.
महाराष्ट्र से फैला यह वायरसः डॉ निगम प्रकाश ने बताया कि इस वायरस को सबसे पहले महाराष्ट्र के चांदीपुर नाम के जगह पर देखा गया था. इसके बाद इसका नाम चांदीपुरा वायरस हो गया. एक प्रकार का एक्यूट एन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस है. इसमें सबसे बड़ी बात है कि इससे संक्रमित बच्चा मुश्किल से कुछ घंटे अथवा दो से तीन दिन में अपनी जान खो बैठता है.
"इस बीमारी में देखा गया है कि बच्चों को बहुत हाई फीवर होती है. तेज बुखार के साथ बच्चे को कन्वल्सन का दौरा आ सकते हैं, झटके आ सकते हैं. इसके बाद बच्चा बहुत ही जल्दी लेवल 4 के कोमा में चला जाता है और आखिरी स्टेज में जाने के बाद उसकी जान भी जा सकती है. यह बहुत ही घातक बीमारी है लेकिन सौभाग्य है कि यह अभी बिहार में नहीं है. लेकिन उड़ीसा जैसे राज्य में इसके मामले आ गए हैं तो यहां भी सतर्क रहने की जरूरत है."-डॉ निगम प्रकाश, शिशु रोग विशेषज्ञ