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बच्चों के लिए घातक है यह वायरस, संक्रमित 45 से 75 फीसदी की मौत, बिहार में क्या है तैयारी? - CHANDIPURA VIRUS HEALTH

How Dangerous Is Chandipura Virus?: महाराष्ट्र से फैला चांदीपुरा वायरस गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा में कहर बड़पा रहा है. गुजरात में 12 बच्चों की मौत हो गयी है. इसके बावजूद बिहार में अब तक एडवाइजरी जारी नहीं की गयी है. जानें इस खतरनाक वायरस को लेकर विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

बच्चों के लिए घातक है यह वायरस
बच्चों के लिए घातक है यह वायरस (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 24, 2024, 9:05 AM IST

पटनाः देश में चांदीपुरा वायरस का असर बच्चों में काफी देखने को मिल रहा है. गुजरात में अब तक 12 बच्चों की मौत हो चुकी हैं. सभी 14 वर्ष से कम आयु के हैं. महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा में भी इसके मामले हाल के दिनों में सामने आ चुके हैं. बिहार के लिए अच्छी खबर यह है कि अब तक इस वायरस के मामले सामने नहीं आए हैं. हालांकि बिहार सरकार की ओर से वाइरस को लेकर कोई एडवाइजरी नहीं आई है, लेकिन शिशु रोग विशेषज्ञ सतर्क हैं.

45% से 75% बच्चों की मौतः पटना के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ और मच के पेडियाट्रिक विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष डॉ निगम प्रकाश ने बताया कि चांदीपुरा वायरस एक प्रकार का आरएनए वायरस है. अभी किस समय देश के कुछ राज्यों में बच्चों के लिए यह बहुत घातक साबित हो रहा है. इस बीमारी से संक्रमित बच्चों में 45% से 75% की जान चली जा रही है.

महाराष्ट्र से फैला यह वायरसः डॉ निगम प्रकाश ने बताया कि इस वायरस को सबसे पहले महाराष्ट्र के चांदीपुर नाम के जगह पर देखा गया था. इसके बाद इसका नाम चांदीपुरा वायरस हो गया. एक प्रकार का एक्यूट एन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस है. इसमें सबसे बड़ी बात है कि इससे संक्रमित बच्चा मुश्किल से कुछ घंटे अथवा दो से तीन दिन में अपनी जान खो बैठता है.

"इस बीमारी में देखा गया है कि बच्चों को बहुत हाई फीवर होती है. तेज बुखार के साथ बच्चे को कन्वल्सन का दौरा आ सकते हैं, झटके आ सकते हैं. इसके बाद बच्चा बहुत ही जल्दी लेवल 4 के कोमा में चला जाता है और आखिरी स्टेज में जाने के बाद उसकी जान भी जा सकती है. यह बहुत ही घातक बीमारी है लेकिन सौभाग्य है कि यह अभी बिहार में नहीं है. लेकिन उड़ीसा जैसे राज्य में इसके मामले आ गए हैं तो यहां भी सतर्क रहने की जरूरत है."-डॉ निगम प्रकाश, शिशु रोग विशेषज्ञ

चांदीपुरा वायरस (ETV Bharat)

इससे पहले 2005 में आया था वायरसः डॉ निगम प्रकाश ने बताया कि बिहार में भले ही इसके मामले नहीं हैं लेकिन लोग एईएस के डायग्नोसिस में इसको रखे हुए हैं. ऐसे लक्षण बच्चे में आते हैं तो तुरंत इसे पकड़ लिया जाएगा. लेकिन इसके लिए जागरूक होने की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि 2005 में यह जब पहली बार सामने आया तो उसके बाद से अब तक तीन से चार बार देश के छोटे-छोटे पॉकेट में महामारी के रूप में सामने आया है.

ऐसे फैलता है वायरसःडॉ निगम प्रकाश ने बताया कि सैंडफ्लाई मक्खी के काटने से यह बीमारी होती है. इसी के काटने से कालाजार भी होता है. यह सैंडफ्लाई जर्जर मकानों में पाए जाते हैं. मकान के दीवारों में जो क्रैक्स होते हैं, उनमें यह पनपते हैं. बिहार में ऐसे जर्जर मकान और क्रैक्स वाले दीवारों की कमी नहीं है. ऐसे में बिहार इसको लेकर वल्नरेबल बन जाता है. लोगों को सावधान रहने की जरूरत है. साफ सफाई और कीड़े मकोड़े को भगाने के लिए छिड़काव करें.

कैसे करें बचाव? डॉ निगम प्रकाश ने बताया कि 4 से 14 वर्ष के बच्चे इसके हाई रिस्क जोन में हैं लेकिन 4 वर्ष से कम उम्र के बच्चे भी इसके रिस्क जोन में आते हैं. ऐसे में बच्चों को फुल स्लीव का कपड़ा पहनाएं और अपने घर के आस-पास पानी का जमाव नहीं होने दें. यह सैंडफ्लाई भी दिन के समय अधिक एक्टिव होते हैं लेकिन यह कभी भी काट सकते हैं. मकान पुराना है तो घर में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें.

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