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क्या होता है साइलेंट हार्ट अटैक? जानें क्यों है ये सबसे ज्यादा खतरनाक, इस बीमारी से कोटा में 16 वर्षीय JEE एस्पिरेंट की मौत

कोटा मामले के बाद जानें इस खबर में क्या होता है साइलेंट हार्ट अटैक, यह बीमारी युवाओं के अपने चपेट में क्यों ले रही है.

What is a silent heart attack?
क्या होता है साइलेंट हार्ट अटैक? जानें क्यों है ये सबसे ज्यादा खतरनाक (CANVA)

By ETV Bharat Health Team

Published : Nov 6, 2024, 2:47 PM IST

Updated : Nov 6, 2024, 3:06 PM IST

3 नवंबर 2024 को राजस्थान के कोटा जिले में एक 16 साल का JEE अभ्यर्थी की संदिग्ध साइलेंट हार्ट अटैक से मौत हो गई. इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहा छात्र मूल रूप से बिहार के पटना का निवासी है. छात्र पिछले डेढ़ साल से कोटा के एक संस्थान से इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की कोचिंग ले रहा था. वह शहर के तलवंडी इलाके में अपनी मां के साथ रहता था.

एक प्रइवेट अस्पताल में शव की जांच करने वाले डॉक्टरों ने दावा किया है कि लड़के की मौत "साइलेंट हार्ट अटैक" से हुई है. डॉक्टर के इस दावे से हममें से अधिकांश लोगों हैरान को हैरानी होगी कि इतने कम उम्र में हार्ट अटैक कैसे हो सकता है. आम धारणा है कि दिल का दौरा ज्यादा उम्र में या 50 के दशक के मध्य में पड़ता है, यह गलत साबित होता दिख रहा है. तीस की उम्र के आसपास के लोगों को भी दिल का दौरा पड़ रहा है.

हैरान करने वाली बात यह है कि दिल का दौरे पड़ने के कारण जिस लड़के की मौत हुई है वह अभी किशोर था. तो क्या हार्ट अटैक होने की कोई उम्र सीमा नहीं रह गई है ? भारत में दिल के दौरे के मामलों की बढ़ती संख्या के साथ, यह निश्चित रूप से चिंता का विषय बन जाता है कि युवा लोगों में दिल के दौरे और स्ट्रोक का कारण क्या है। और अब, साइलेंट अटैक ने भी चिकित्सा बिरादरी और हममें से अधिकांश लोगों को अपने समग्र स्वास्थ्य को नियंत्रित रखने के लिए परेशान कर दिया है. ऐसे में जानते है कि क्या होता है साइलेंट हार्ट अटैक...

साइलेंट हार्ट अटैक क्या है?
साइलेंट हार्ट अटैक एक ऐसा हार्ट अटैक है जिसके लक्षण बहुत कम या बिल्कुल भी नहीं होते या फिर ऐसे लक्षण होते हैं जिन्हें हार्ट अटैक नहीं माना जाता. साइलेंट हार्ट अटैक की वजह से सीने में दर्द या सांस फूलने जैसी समस्या नहीं होती, जो आमतौर पर हार्ट अटैक से जुड़ी होती है. जिन लोगों को साइलेंट हार्ट अटैक होता है, उन्हें शायद पता न हो. उन्हें लगता होगा कि उन्हें सीने में जलन, फ्लू या छाती की मांसपेशियों में खिंचाव है. लेकिन साइलेंट हार्ट अटैक, किसी भी अन्य हार्ट अटैक की तरह, हृदय में खून के प्रवाह में रुकावट और हृदय की मांसपेशियों को संभावित नुकसान पहुंचाता है.

साइलेंट हार्ट अटैक दिल में खून के प्रवाह की कमी है, जो अक्सर धमनियों के ब्लॉक होने के कारण होता है, यह हार्ट अटैक बिना दर्द के होता है. इसमें अन्य हार्ट अटैक की तरह कोई दर्द नहीं होता है.

साइलेंट हार्ट अटैक किस कारण से होता है?
कोरोनरी धमनी रोग (Coronary artery disease) आमतौर पर साइलेंट हार्ट अटैक का कारण बनता है. कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) तब होता है जब हृदय को रक्त पहुंचाने वाली कोरोनरी धमनियां संकरी हो जाती हैं. यह पतलापन हृदय में रक्त के प्रवाह को कम या रोक देती है. सीएडी को कोरोनरी हार्ट डिजीज या इस्केमिक हार्ट डिजीज भी कहते हैं

साफ शब्दों में समझे तो, कोलेस्ट्रॉल युक्त प्लाक आपकी कोरोनरी धमनियों में जमा हो जाता है, जिससे आपके हार्ट की मांसपेशियों तक पर्ययाप्त मात्रा में खून नहीं पहुंच पाता है. जिसके कारण प्लाक पर खून का थक्का बनने लगता है, जो ऑक्सीजन युक्त खून को हार्ट तक बिल्कुल भी जाने से रोक सकता है. ब्लड फ्लो को बहाल करने के लिए तुरंत इलाज के बिना, हार्ट की मांसपेशी मर सकती है.

साइलेंट हार्ट अटैक का खतरा
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) के अनुसार, अनुमानित 805,000 वार्षिक हार्ट अटैक में से लगभग 170,000 साइलेंट हार्ट अटैक के होते हैं. 2018 के एक अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों को साइलेंट हार्ट अटैक हुआ है, उनका लंबे समय तक जीवित रहना सामान्य हार्ट अटैक वाले लोगों जितना ही है. लेखकों ने पाया कि साइलेंट हार्ट अटैक से बचे सभी लोगों में से लगभग आधे की मृत्यु घटना के 10 साल के भीतर हो गई, जो कि अन्य हार्ट अटैक से बचे लोगों के लिए समान दर है. हालांकि, जिन लोगों को साइलेंट हार्ट अटैक हुआ है, उन्हें हार्ट फेलियर और स्ट्रोक जैसी अन्य जटिलताओं का खतरा हो सकता है.

2018 के एक अन्य अध्ययन के अनुसार, साइलेंट हार्ट अटैक वाले व्यक्ति को हार्ट अटैक का इतिहास न रखने वाले व्यक्ति की तुलना में हार्ट फेलियर का अनुमानित 35 फीसदी अधिक जोखिम होता है. 50 वर्ष या उससे कम उम्र के लोगों में जोखिम और भी अधिक बढ़ जाता है. इसके अलावा, 2021 के एक अध्ययन से पता चलता है कि जिन लोगों को साइलेंट हार्ट अटैक हुआ है, उन्हें जीवन में बाद में स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है.

साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण

  • अपच
  • फ्लू जैसे लक्षण
  • ऐसा महसूस होना कि आपने छाती या पीठ के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियों में खिंचाव हो रहा है.
  • जबड़े, पीठ के ऊपरी हिस्से या बाहों में तकलीफ

साइलेंट हार्ट अटैक के कई रिस्क फैक्टर

अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आपको हार्ट अटैक के खतरे में डाल सकती हैं, इनमें शामिल हैं...

  • अधिक वजन होना (बीएमआई या बॉडी मास इंडेक्स 25 या उससे ज्यादा होना)
  • नियमित शारीरिक गतिविधि न करना.
  • हाई ब्लड प्रेशर होना.
  • हाई कोलेस्ट्रॉल होना.
  • बहुत सारे ऐसे खाद्य पदार्थ खाना जिनमें कोलेस्ट्रॉल, नमक और अनहेल्दी फैट हो.
  • हाई ब्लड शुगर होना.
  • तनाव महसूस करना.
  • तंबाकू उत्पादों का उपयोग करना.
  • गर्भावस्था के दौरान प्रीक्लेम्पसिया होना.
  • COVID-19 या कोई अन्य संक्रमण होना.

साइलेंट हार्ट अटैक को कैसे रोकें?

हृदय स्वास्थ्य बनाए रखने से आपको साइलेंट हार्ट अटैक से बचने में मदद मिल सकती है, इसे पूरा करने के लिए, डॉक्टर नीचे दिए गए चरणों का पालन करने की सलाह देते हैं...

  • संतुलित आहार खाना
  • नियमित जांच करवाना
  • तंबाकू उत्पाद या धूम्रपान से बचना
  • हृदय रोग की जांच करवाना
  • कोलेस्ट्रॉल के लेवल को नियंत्रित रखना
  • सामान्य ब्लड प्रेशर बनाए रखना

मुंबई के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अमित गावंडे का कहना है कि साइलेंट हार्ट अटैक बिना किसी लक्षण के होता है, इसलिए कई लोगों को एक महीने या कई साल बाद ही पता चलता है कि उन्हें यह हुआ है. हार्ट अटैक का पता कब चलता है, इस पर निर्भर करते हुए उपचार अलग-अलग होते हैं, यही वजह है कि नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाना और नियमित जांच करवाना जरूरी है. साइलेंट हार्ट अटैक का कारण बनने वाली स्थितियों के बारे में बात करते हुए, डॉ. गावंडे सुझाव देते हैं कि हार्ट अटैक के खतरों को बढ़ाने वाली स्वास्थ्य स्थितियों, जैसे उच्च रक्तचाप या कोलेस्ट्रॉल, को संबोधित करना भी साइलेंट अटैक को रोकने में मदद कर सकता है. हेल्दी डाइट अपनाना और एक्टिव रहना हार्ट हेल्थ का समर्थन करने और खतरे को कम करने के लिए एक सही कदम है.

(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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Last Updated : Nov 6, 2024, 3:06 PM IST

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