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पातालकोट के जंगलों में मिला ब्रेन बूस्टर पेड़, खाते ही खुल जाएगी दिमाग की नस, इसके आगे कंप्यूटर भी फेल - Sona Patha Brain Booster Tree

सोनापाठा पेड़ का इसका इस्‍तेमाल आयुर्वेद में कई बीमार‍ियों को दूर करने में किया जाता है. इस पेड़ के फायदे इतने हैं कि इसकी छाल, पत्तियां तथा बीज के इस्तेमाल से याददाश्त मजबूत होती है.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 18, 2024, 9:42 AM IST

SONA PATHA TREE FOUND PATALKOT
सोनापाठा पेड़ के फायदे (ETV Bharat Graphics)

SONA PATHA TREE FOUND PATALKOT:आयुर्वेद में अगर 'सोने' का जिक्र होता है तो उसका मस्तिष्क या दिमाग से कोई ना कोई कनेक्शन जरूर होता है. इसलिए कहा भी जाता है कि दिमाग के विकास के लिए सोना यानी गोल्ड जरूरी है. ऐसा ही एक दुर्लभ पेड़ जो अधिकतर हिमालय की वादियों में पाया जाता है. अब उसे पातालकोट में भी देखा गया है इस लेख में जानिए कौनसा पेड़ है जो दिमागी शक्ति को करता है मजबूत.

सोनापाठा पेड़ के इस्तेमाल से तेज होता है दिमाग (ETV Bharat)

हिमालय के बाद पातालकोट में दिखा सोनापाठा का पेड़
सोनापाठा या श्योनाक बहुत कम संख्या में पाया जाने वाला दुर्लभ औषधीय पेड़ है. इसकी अधिक उपलब्धता हिमालय के आसपास ही है, किन्तु अत्यंत कम मात्रा में इसके पेड़ दूर दराज के क्षेत्रों में देखने को मिल जाते हैं. छिंदवाड़ा जिले के पातालकोट के औषधीय खजाने का यह भी एक बहुमूल्य रत्न है. वनस्पति शास्त्र विशेषज्ञ डॉक्टर विकास शर्मा ने बताया कि, ''पातालकोट के जंगलों में सोनापाठा के पौधे देखने को मिले हैं वे करीब 20 सालों से पातालकोट के जंगलों में शोध कर रहे हैं. सोनपाठा उन्हें इतनी मात्रा में पहली बार देखने को मिले हैं.''

कैसे करें सोनापाठा की पहचान
वनस्पति शास्त्र विशेषज्ञ डॉक्टर विकास शर्मा ने बताया कि, ''इसके पेड़ छोटे वृक्षों के रूप में दिखाई देते हैं, जिन्हें दूर से ही लटकती हुयी तलवार के समान बड़ी बड़ी फलियों के कारण पहचाना जा सकता है. इसकी जड़ की छाल, पत्तियां तथा बीज सभी औषधीय महत्व के माने गए हैं. वैद्य एवं जानकर इसे बहुमूल्य जीवन दायिनी औषधियों की श्रेणी में रखते हैं, जिसके लिए अक्सर रामवाण दवा नाम का जिक्र सुनने को मिलता है. इसमें Oroxylin-A सहित कई अन्य महत्वपूर्ण रसायन पाये जाते हैं, जिनका प्रभाव दिमाग की याददाश्त बढ़ाने के लिये उपयोगी होता है.''

सोनापाठा पेड़ के फल भी हैं फायदेमंद (ETV Bharat)

सोनपाठा के बर्तनों में पानी पीने से बीमारियां छूमंतर
गरम स्वभाव होने के कारण पेट तथा सांस संबंधी रोगों के लिये यह बेहतर दवाई मानी गयी है. बीजा के पेड़ के सामान ही सोनापाठा श्योनाक के बर्तन या गिलास बनाकर उमसें पानी पीने से बहुत सी बीमारियों में आराम मिलता है. लेकिन जहां बीजा से मधुमेह, रक्त चाप आदि में फायदा मिलता है तो वहीं इसमें मलेरिया बुखार से लेकर वात रोग और खांसी में फायदा होता है.

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दशमूलारिष्ट का एक मूल सोनपाठा भी है
डॉ. विकास शर्मा ने बताया कि, ''बाजारों में कई आयुर्वेदिक कंपनियां दशमूलारिष्ट नाम का काढ़ा बनाकर बेचती हैं, उन दस मूलों में से एक मूल इसकी भी है. दशमूलारिष्ट औषधी वात रोग, पित्त रोग सहित, मधुमेह, पुराने से पुराने रोग, तीक्ष्ण व बार बार लौटने वाला ज्वर सहित कई अन्य बीमारियों की कारगर औषधि है. इसकी जड़ों की छाल का पाउडर सौंठ और शहद के साथ मिलाकर चाटने से खांसी तुरंत बैठ जाती है. इसके अलावा बवासीर में भी यह उपयोगी है. स्वभाव से यह गर्म होता है. अतः पित्त, कफ और वात रोग में उपयोगी है. इसके पत्ते का रस कान का दर्द और मुंह के छाले ठीक करता है, जबकि बंद फोड़े पर इसके पत्ते को नमक और सरसों तेल में कुनकुना गर्म करके रखने पर मुंह खुल जाता है.

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