हैदराबाद: बरसात का मौसम आते ही डेंगू की समस्या भी बढ़ जाती है. देश के कई हिस्सों में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. डॉक्टर डेंगू के मामलों में वृद्धि के साथ ही प्लाज्मा लीकेज के खतरों के बारे में चेतावनी दे रहे हैं. प्लाज्मा रिसाव (Plasma Leakage) को 'प्लेटलेट में कमी' से भी अधिक खतरनाक माना जाता है. अस्पतालों में डेंगू के रोगियों की बढ़ती आमद देखी जा रही है, जिससे प्लाज्मा लीकेज के गंभीर मुद्दे पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.
प्लाज्मा लीकेज को समझना : डेंगू वायरस एंडोथेलियम, रक्त वाहिकाओं (Blood vessels) की आंतरिक परत में सूजन पैदा कर सकता है. यह सूजन वाहिकाओं की दीवारों में अंतराल बनाती है, जिससे आसपास के ऊतकों में प्लाज्मा लीकेज हो जाता है. कुछ मरीजों के लिए डेंगू संक्रमण की गंभीरता में प्लाज्मा लीकेज एक महत्वपूर्ण कारक है. जिन लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए उनमें आंखों व पैरों के आसपास सूजन, हेमटोक्रिट के स्तर में वृद्धि (रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं- RBC के अनुपात का एक माप), नाड़ी और ब्लड प्रेशर में गिरावट, उल्टी और पेट में तेज दर्द, हाथ-पैरों में ठंड लगना शामिल हैं. ये संकेत प्लाज्मा लीकेज की शुरुआत का संकेत देते हैं और समय पर डॉक्टर की सलाह व इलाज महत्वपूर्ण हो जाता है. अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह स्थिति रक्तस्रावी शॉक सिंड्रोम (Hemorrhagic shock syndrome) में बदल सकती है, जोकि जानलेवा भी हो सकती है.
डॉक्टर की सलाह :वरिष्ठ चिकित्सक सतर्कता के महत्व पर जोर देते हैं. डॉ. राजा राव कहते हैं "डेंगू होने पर घबराने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन लापरवाही जानलेवा हो सकती है. हालांकि डेंगू के लिए कोई विशेष दवा नहीं है, लेकिन बुखार को नियंत्रित करने के के लिए पैरासिटामोल के साथ ही तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाना जरूरी है. डेंगू के लगभग 10 प्रतिशत रोगियों में प्लाज्मा रिसाव का खतरा होता है". Dr. Raja Rao कहते हैं "प्लाज्मा रिसाव के कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लेना जरूरी है."