हैदराबाद: आजकल चाय के बहुत से प्रकार चलन में हैं जैसे ग्रीन टी, लेमन टी, हर्ब्स टी, फ्लॉवर टी, डिटॉक्स टी, आदि, लेकिन दूध वाली पारंपरिक चाय के ज्यादातर मुरीदों के लिए दूध वाली चाय की जगह कोई और चाय नहीं ले पाती है. वैसे तो मौसम चाहे जो भी हो, चाय की चाह रखने वालों के लिए दूध वाली चाय हर मौसम-हर समय आनंद ही देती हैं लेकिन खासतौर पर बरसात के मौसम में चाय पीने का मजा अलग ही आता है. जिसके चलते बहुत से लोग दिन में कई कप चाय पी लेते हैं. लेकिन जानकार मानते हैं कि यह आदत या दूध वाली चाय का बहुत ज्यादा सेवन कभी-कभी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है.
बरसात में दूध वाली चाय का आकर्षण
बरसात के मौसम में ठंडक और नमी के कारण गर्म चाय पीना आरामदायक और सुखद लगता है. इस पर यदि दूध वाली चाय में अदरक, इलायची और तुलसी जैसी सामग्री डाली गई हो तो यह और भी स्वादिष्ट हो जाती है. लेकिन, किसी भी चीज का अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है और दूध वाली चाय भी इससे अछूती नहीं है. मुंबई की पोषण एवं आहार विशेषज्ञ रुशेल जॉर्ज बताती है कि दिन में कई बार बहुत ज्यादा मात्रा में दूध वाली ज्यादा चाय पत्ती वाली और सब कुछ एक साथ मिलाकर बहुत देर तक पकी हुई चाय पीने के शरीर पर कभी-कभी नुकसानदायक प्रभाव नजर आ सकते हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
पाचन समस्याएं:
अधिक मात्रा में दूध वाली चाय पीने से गैस, ब्लोटिंग और एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. विशेषतौर पर बरसात के मौसम में एक तो पहले से ही पाचन तंत्र काफी संवेदनशील होता है, ऐसे में यदि किसी भी कारण से बहुत ज्यादा बार चाय पी जाय तो यह व्यक्ति में पाचनतंत्र से जुड़ी कई समस्याओं का कारण बन सकता है.वैसे भी ज्यादातर चिकित्सक गैस-एसिडिटी के मरीजों को दूध वाली चाय के ज्यादा सेवन से परहेज की सलाह भी देते हैं.
हड्डियों पर प्रभाव:
दूध वाली चाय में टैनिन और कैफीन होते हैं जो शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को बाधित कर सकते हैं. इसका प्रभाव हड्डियों की सेहत पर पड़ सकता है. अधिक मात्रा में चाय पीने से हड्डियां कमजोर भी हो सकती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है.
नींद पर प्रभाव:
चाय में कैफीन होता है, जो तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है. अधिक मात्रा में कैफीन के सेवन से नींद में समस्या हो सकती है. रात में चाय पीने से नींद की गुणवत्ता खराब हो सकती है, जिससे अगली सुबह थकान महसूस हो सकती है.