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विशेषज्ञों के अनुसार, महाकुंभ के कारण देश में फैल सकती हैं बीमारियां, लेकिन इन सावधानियों से हो सकता है बचाव - MAHA KUMBH 2025

स्वास्थ्य विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के मुताबिक, महाकुंभ 2025 के कारण देश में फैल सकती है कई तरह की बीमारियां- संक्रमण, लेकिन हो सकता है बचाव...

Mahakumbh 2025: Diseases can spread from more crowd, dust and pollution, learn from experts how to save
महाकुंभ 2025: अधिक भीड़, धूल और पॉल्यूशन से फैल सकती हैं बीमारियां, विशेषज्ञों से जानें कैसे करें बचाव (ETV Bharat)

By ETV Bharat Health Team

Published : Feb 11, 2025, 1:00 PM IST

Updated : Feb 11, 2025, 5:34 PM IST

महाकुंभ 2025 मेला विश्व का सबसे बड़ा समागम है, जिसमें लगभग 40 करोड़ से ज्यादा लोग हिस्सा ले सकते हैं. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है. बता दें, महाकुंभ के पहले ही दिन 13 जनवरी 2025 को शाही स्नान के मौके पर तकरीबन 1.5 करोड़ लोगों ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगायी थी. वहीं, 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर लगभग 3.5 करोड़ लोगों ने इसमें हिस्सा लिया था. मौनी अमावस्या पर तीसरे और चौथे शाही स्नान के लिए भी करोड़ों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. ऐसे में इस भव्य आयोजन में देश विदेश से करोड़ों लोगों के आने का सिलसिला जारी है.

इस बीच, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं को डर है कि 2025 का महाकुंभ मेला, जो मानवता का सबसे बड़ा समागम है, कई बीमारियों, संक्रमणों और बुखारों के फैलाव का करण बन सकता है. जिससे भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, भारत में मानव मेटान्यूमोवायरस (Human metapneumovirus) या एचएमपीवी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग चौकन्ना है. हालांकि यह वायरस चीन में नया नहीं है, फिर भी बच्चों में इन्फ्लूएंजा के मामले अधिक आम हैं. श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा करने वाले वायरस और इन्फ्लूएंजा के तेजी से फैलने से वैश्विक चिंताएं बढ़ गई हैं.

बच्चों में इन्फ्लूएंजा (फ्यू) के लक्षण ये हो सकते हैं.
बुखार, खांसी, गले में खराश, बहती या भरी हुई नाक, बॉडी पेन, सिरदर्द, ठंड लगना, थकान, पेट में समस्या, उल्टी या मतली का होना, बता दें कि फ्लू एक वायरल इंफेक्शन है. जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है और कुछ लोगों के लिए गंभीर हो सकता है. इन्फ्लूएंजा के लक्षणसामान्य सर्दी की तुलना में अधिक मांसपेशियों में दर्द, छींक आना, मतली, दस्त हो सकता है.

इन्फ्लूएंजा (फ्लू) से बचाव
इन्फ्लूएंजा (फ्लू) से बचने के लिए, फ्लू का वैक्सिन लगवाना सबसे अच्छा समासान है.

इसके अलावा आप यहां दिए गए उपाय भी अपनाए जा सकते हैं, जैसे कि...

  • अपनी नाक मुंह और आंखेंको छूने से बचें.
  • खांसते या छींकते समय नाक और मुंह को कपड़े या से टिश्यू ढकें.
  • यूज किया हुआ टिश्यू को ऐसी जगह फेंकें जहां उसे और कोई छू न सके.
  • अच्छी तरह से हाथ धोएं और सैनिटाइजर का उपयोग करें
  • बीमार लोगों से दूरी बनाए रखें और खूब आराम करें.
  • खूब पानी पिएं और संतुलित आहार लें
    अधिक जानकारी के लिए, अपने डॉक्टर से संपर्क करें.

वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)ने कहा कि कई देशों में इन दिनों खासकर सर्दी के मौसम में सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम तेजी से फैल जाती है. है. ऐसे में इस सर्दी के मौसम में इस तरह के सामूहिक समारोह आयोजित करने से स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है. कई विशेषज्ञों ने लोगों से देश में फैले एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और वायरस के फैलाव को कम करने के लिए भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचने का भी आग्रह किया है.

सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम के लक्षण
सांस लेने में कठिनाई आमतौर पर तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (ARDS) का पहला लक्षण है. अन्य लक्षण अंतर्निहित कारण की गंभीरता के आधार पर अलग हो सकते हैं. ARDS को विकसित होने में कई दिन लग सकते हैं, या यह तेजी से गंभीर हो सकता है. कॉम्प्लिकेशन में खून के थक्के, इन्फेक्शन, इसके अलावा फेफड़ों की समस्याएं या ऑर्गन फेलियर शामिल हो सकती है.

चेतावनी संकेत जो बताते हैं कि आपमें ARDS विकसित हो रहा है या आप इसके खतरे में हैं, उनमें ये शामिल हो सकते हैं..

  • सांस लेने में कठिनाई
  • तेजी से सांस लेना, या बहुत सारी तेज, उथली सांसें लेना
  • खांसी के कारण कफ आना, तेज दिल की धड़कन
  • नीले नाखून या स्किन या होठों पर नीलापन
  • बहुत अधिक थकान, भ्रम
  • बुखार, लो ब्लड प्रेशर
  • फेफड़ों में चटचटाहट की आवाज
  • सीने में दर्द, खासकर जब गहरी सांस लेने की कोशिश की जाती है

ARDS से बचने के लिए ये है उपाय..

  • तंबाकू के धुएं और उसके सेवन से बचना जरूरी
  • बिलकुल भी नहीं या कम मात्रा में शराब का सेवन जरूरी
  • प्रदूषण से बचना बेहद जरूरी
  • अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोने की बनाए रखें आदत
  • अपनी आंखों और चेहरे को बार-बार छूने से बचना जरूर बचें
  • पौष्टिक भोजन खाएं, पर्याप्त नींद लें, और रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी से अपनी इम्यून सिस्टम को बढ़ाएं

इधर,ट्रैवल मेडिसिन एंड इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित एक लेख में कहा गया था कि आगामी महाकुंभ मेला 2025, जो दुनिया भर में सबसे बड़े धार्मिक समारोहों में से एक है. इसमें भारत और उसके बाहर से करोड़ों लोग भाग लेंगे, हालांकि यह आयोजन परंपरा और आध्यात्मिकता में गहराई से निहित है, लेकिन यह पब्लिक हेल्थ के लिए कई महत्वपूर्ण चुनौतियां भी पैदा कर सकता है.

मई 2024 में 'जर्नल ऑफ ट्रैवल मेडिसिन'में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कितीव्र श्वसन संक्रमण, बुखार, त्वचा विकार, दस्त और अन्य संक्रामक रोग जैसे इन्फ्लूएंजा, गैस्ट्रोएंटेराइटिस, चिकनपॉक्स, हेपेटाइटिस आदि कुंभ मेले के दौरान अधिक आसानी से फैल सकते हैं, क्योंकि यहां कई धार्मिक आयोजन होते हैं, रहने के लिए जगह कम होती है और आयोजन के दौरान ठोस और तरल वेस्ट मटेरियल उत्पन्न होता है. वहीं, अध्ययन में कई ऐसे फैक्टर्स को दर्शाया गया है जो कुंभ मेले जैसे सामूहिक समारोहों के दौरान संक्रामक रोगों के फैलने में योगदान करते हैं.

सावधानी बरतने से हो सकता है बचाव
दरअसल, यहां बताई गई बीमारियां काफी आम हैं, अधिक भीड़ और पानी के जरिए आसानी से फैल सकती हैं, लेकिन आप छोटी-छोटी सावधानियां बरतकर इन्हें रोक सकते हैं. अगर आप भी महाकुंभ में जाने की तैयारी कर रहे हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें और उनके द्वारा बताई गई सावधानियों का पालन करें.

फरवरी 2015 में साइंस डायरेक्ट में प्रकाशित "कुंभ मेले की व्यापक समीक्षा (पिछले कुंभ मेलों से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों की विस्तृत समीक्षा की गई)में कहा गया है कि पापुलेशन डेंसिटी में बढ़ोतरी, स्वच्छता की स्थिति में कमी और पर्यावरण प्रदूषण के संपर्क में आने से जर्म्स का ट्रांसमिशन आसान होता है. समीक्षा से पता चला कि स्वास्थ्य सेवा चाहने के दृष्टिकोण और धार्मिक विश्वासों में अंतर तथा भीड़ की हाई मोबिलिटी के कारण रोग के भार को सटीक रूप से मापना विशेष रूप से कठिन है.

इस 2015 की रिपोर्ट में गैर-संचारी फैक्टर्स (Non-communicable factors) पर प्रकाश डाला गया है, जिनमें भगदड़, गर्मी से संबंधित बीमारी, दुर्घटनाएं और आतंकवादी हमले शामिल हो सकते हैं. इस आयोजन में भीड़ नियंत्रण, स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन और सार्वजनिक सुरक्षा सहित जटिल सार्वजनिक चुनौतियां भी शामिल हैं.

अध्ययन में कहा गया है कि इसके अलावा, धार्मिक आयोजनों में की जाने वाली क्रियाएं, जैसे कि फर्श पर लोटना, या सुबह-सुबह नदी में नग्न अवस्था में स्नान करना, त्वचा, श्वसन, जठरांत्र और जननांग संबंधी संक्रमणों (Genital infections) के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. नदी में स्नान करने तथा लाखों लोगों के निकट रहने से वॉटर बोर्न संक्रमण और बीमारी का खतरा भी बढ़ सकता है.

ध्यान दें
महाकुंभ 2025 भारत की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन है, जो दुनिया भर से लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. हालांकि, बड़े पैमाने पर होने वाले आयोजनों से सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी गंभीर चिंताएं भी जुड़ी हैं. विशेषज्ञ स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने और सभी उपस्थित लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय उपाय, सख्त स्वास्थ्य निगरानी और जागरूकता अभियान चलाने का आग्रह करते हैं.

(डिस्क्लेमर: इस वेबसाइट पर आपको प्रदान की गई सभी स्वास्थ्य जानकारी, चिकित्सा सुझाव केवल आपकी जानकारी के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं, लेकिन बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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Last Updated : Feb 11, 2025, 5:34 PM IST

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