प्रसवोत्तर स्थिति यानी प्रसव के बाद का समय ऐसा दौर होता है, जिसमें नई मां को शारीरिक और मानसिक सहारे की जरूरत होती है. यह समय जच्चा के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इस अवधि में उसे कई शारीरिक बदलाव तथा शारीरिक व मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लेकिन सही देखभाल, सही फिटनेस रूटीन और परिवार के सहयोग के साथ इसे सुखद बनाया जा सकता है.
जरूरी है महिलाओं की पोस्टपार्टम केयर
मां बनना किसी भी महिला के लिए सबसे खास अनुभव होता है. लेकिन बच्चे के जन्म के बाद का कुछ समय कई महिलाओं के लिए काफी कठिन भी होता है. प्रसव चाहे वेजाइनल हो या सिज़ेरियन, उसके कारण शरीर में होने वाली समस्याएं, बच्चे के जन्म के चलते शरीर में होने वाले बदलाव और उस पर कमजोर शरीर के साथ नवजात की देखभाल, ऐसे बहुत से कारण हैं जो प्रसव के बाद महिलाओं के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं. चिकित्सकों का कहना है कि वैसे तो बच्चे के जन्म के बाद लंबे समय तक माता के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है लेकिन बच्चे के जन्म के बाद के कुछ दिन जिसे प्रसवोत्तर स्थिति या पोस्टपार्टम टाइम भी कहा जाता है , उस समय महिलाओं को विशेष देखभाल व मदद की जरूरत होती है.
पोस्टपार्टम प्रॉब्लम्स
महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. विजयलक्ष्मी बताती हैं कि बच्चे के जन्म के बाद का समय हर महिला के लिए अलग-अलग होता है. कुछ महिलाएं जल्दी रिकवर कर लेती हैं, तो कुछ को ज्यादा समय लगता है. प्रसव चाहे वेजाइनल हो या सिजेरियन, प्रसव के बाद की अवधि सामान्यतः महिलाओं के लिए काफी परेशानी भरी होती हैं. यदि प्रसव नॉर्मल तरीके से हुआ है यानी योनि से हुआ है तो प्रसव के बाद कुछ दिनों तक योनि में दर्द और सूजन रह सकती हैं. इसके अलावा महिलाओं को मूत्र व मल त्यागने से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं. यहीं नहीं कई बार यदि महिला को योनि से प्रसव के दौरान टांके लगे हों या एपिसियोटोमी हुई हो तो भी महिलाओं को आमतौर पर योनि, वल्वा और पेरिनियम में दर्द या सूजन रहती है. वहीं सिजेरियन प्रसव में भी कुछ अलग समस्याएं रहती हैं. प्रसव चाहे किसी भी प्रकार का हो प्रसव के बाद जच्चा को 15-20 दिन और कई बार उससे ज्यादा समय तक रक्तस्राव भी होता रहता हैं. इसलिए बच्चे के जन्म के बाद महिला को कुछ समय तक ज्यादा ध्यान रखने की सलाह दी जाती है.
वह बताती हैं कि प्रसव के दौरान और बाद में शरीर की काफी ऊर्जा लगती है. वहीं बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं में हार्मोन का स्तर अचानक गिरता है, जिससे कई बार उन्हे मूड स्विंग्स या कुछ अन्य तरह की समस्याएं भी महसूस हो सकती हैं. इसके अलावा नई जिम्मेदारियों जैसे बच्चे का ध्यान रखना, उसे दूध पिलाना, उसका असमय सोना, जागना, रोना मां को बहुत ज्यादा थका देता है और इसी के चलते वे जरूरी मात्रा में सो भी नहीं पाती हैं.