हम सभी जानते हैं कि हम जो खाते हैं, वह हमारे स्वास्थ्य पर असर डालता है. हमारा आहार , हमारी कोशिकाओं के निर्माण तथा उसे संचालित करने वाली कई प्रक्रियाओं को अलग-अलग प्रकार से प्रभावित करता है. डायबिटीज की बीमारी को शुगर भी कहा जाता है. ये बीमारी अनुवाशिंक भी होती है और खराब जीवनशैली के कारण भी होती है. डायबिटीज के मरीजों को अपने खाने-पीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए. क्योंकि मधुमेह के मरीज का ब्लड शुगर लेवल का ना तो सामान्य से अधिक होना ठीक रहता है और ना ही सामान्य से कम होना ठीक रहता है.
ऐसे में इसकी जांच कर लेवल का पता लगाते रहना चाहिए अगर मधुमेह का लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाए या फिर बहुत ज्यादा कम हो जाए, तो दोनों ही स्थिति में मरीज की सेहत पर खतरा मंडराता है, ये दोनों ही स्थितियां जानलेवा मानी जाती हैं.
डायबिटीज क्या है?
जब शरीर के पैन्क्रियाज में इन्सुलिन की कमी हो जाती है, मतलब कम मात्रा में इन्सुलिन पहुंचता है, तो खून में ग्लूकोज की मात्रा भी ज्यादा हो जाती है. इसी स्थिति को डायबिटीज कहते हैं. इन्सुलिन की बात करें, तो यह एक तरह का हार्मोन होता है. जो शरीर के भीतर पाचन ग्रंथि से बनता है. इसका काम भोजन को ऊर्जा में बदलना होता है. ऐसे में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि डायबिटीज के मरीज कब और क्या खा रहे हैं. इससे ब्लड शुगर का लेवल नियंत्रित रहता है. इसके लिए डॉक्टर दवाएं देते हैं और कई घरेलू नुस्खे भी हैं, जिनकी मदद से डायबिटीज को कंट्रोल में रखा जा सकता है.
रिसर्च के आधार पर इस खबर में जानिए कि दवाओं के अलावा कौन सा ऐसा पौधा जिसके सेवन से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल किया जा सकता है...
कोस्टस इग्नेस
कोस्टस इग्नेस, जिसे आम तौर पर इंसुलिन प्लांट के रूप में जाना जाता है, कोस्टस इग्नेस को पारंपरिक रूप से इसके एंटी डायबिटिक , एंटी-ऑक्सीडेंट, सूजनरोधी, एंटी-प्रोलिफेरेटिव, एंटी-यूरोलिथियासिस, हाइपोलिपिडेमिक, न्यूरोप्रोटेक्टिव और एंटी-माइक्रोबियल एक्टिविटी के लिए भी जाना जाता है. बता दें, कोस्टस इग्नेस मध्य और दक्षिण अमेरिका का एक हर्बल पौधा है जिसे आमतौर पर इंसुलिन प्लांट के नाम से जाना जाता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि यह मधुमेह से पीड़ित कुछ लोगों में ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद कर सकता है.
भारत में इसका उपयोग
यह भारत और अन्य क्षेत्रों में अपने औषधीय और सजावटी महत्व के लिए इस पौधा के काफी डिमांड है. महाराष्ट्र में भी कॉस्टस इग्नेस पौधे को इंसुलिन प्लांट के रूप में जाना जाता है. यह भारत में एक सजावटी झाड़ी के रूप में बगीचों में उगता है. केरल में इसे एक आकर्षक पौधे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इस पौधे के इस्तेमाल से ब्लड शुगर लेवल को कुछ इस तरह से कंट्रोल किया जा सकता है. इसके लिए रिसर्च के मुताबिक कम से कम एक महीने तक इस पौधे की पत्तियों का सेवन करना अनिवार्य है. पारंपरिक चिकित्सा में, इसका उपयोग लंबी आयु को बढ़ावा देने, चकत्ते का इलाज करने, बुखार को कम करने, अस्थमा का इलाज करने, ब्रोंकाइटिस का इलाज करने और आंतों के कीड़ों से छुटकारा पाने के लिए भी किया जाता है.
शोध और एलोपैथिक डॉक्टर भी करते हैं समर्थन
एलोपैथिक डॉक्टर भी इसका समर्थन करते हैं. मधुमेह के रोगियों को आयुर्वेदिक उपचार के हिस्से के रूप में एक महीने तक इंसुलिन के पौधे की पत्तियों को चबाने की सलाह दी जाती है. रोगी को एक सप्ताह तक प्रतिदिन सुबह और शाम दो पत्ते खाने होते हैं. पत्तियों को खाने से पहले अच्छी तरह से चबाना चाहिए. रोगी को 30 दिनों तक सुबह और शाम एक पत्ता लेना चाहिए, यह खुराक प्रतिदिन लेनी चाहिए. अपने मधुमेह विरोधी गुणों के कारण, यह पौधा लोकप्रिय रूप से बढ़ रहा है. वर्तमान अध्ययन का उद्देश्य कोस्टस इग्नियस पौधे के फाइटोकेमिकल विश्लेषण और उनकी प्रमुख चिकित्सीय गतिविधियों का अध्ययन करना था.
डॉ राजाराम त्रिपाठी ने ETV भारत को बताया था कि मधुमेह जैसी महामारी से बचने की दिशा में ये पौधा ब्रह्मास्त्र के रूप में काम आ सकता है. उन्होंने बताया कि, इस पौधे की पत्तियों को चबाकर खाया जा सकता है. साथ ही इसे सूखाकर पाउडर के तौर पर भी इसका सेवन किया जा सकता है
कैसे किया जाए सेवन
पत्तियों को चबाएं