हैदराबाद : वैश्विक स्तर पर कैंसर के मामले में तेजी बढ़ोतरी हो रही है. यह सिर्फ व्यस्कों में ही नहीं बच्चों को भी अपने चपेट में ले रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के डेटा के अनुसार 4 लाख बच्चों में कैंसर के मामले सालान पाये जा रहे हैं. ये लोग 0-19 आयु वर्ग के बीच हैं. इनमें 10 में से 9 मामले निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले देशों के वासी हैं, जहां मानक के अनुरूप समुचित इलाज की सुविधा नहीं है. इसका असर होता है कि इन देशों में कैंसर पीड़ित 30 फीसदी से कम बच्चे ही जीवित रह पाते हैं. वहीं यह दर उच्च आय वाले राष्ट्रों में 80 फीसदी या इससे अधिक है. बच्चों में कैंसर के बढ़ते मामले को लेकर जागरूकता लाने के उद्देश्य से हर साल 15 जनवरी को इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे मनाया जाता है.
भारत में कैंसर पीड़ित बच्चों के सामने चुनौतियां
- प्रारंभिक समय में कैंसर कन्फर्म नहीं होना
- कैंसर का इलाज का अत्याधिक महंगा होना
- राज्य स्तर पर कैंसर उपचार के संस्थानों का अभाव
- बच्चों में कैंसर के लक्ष्ण के बारे में जानकारी का अभाव
- पीड़ित बच्चों के लिए स्थानीय स्तर पर समुचित जांच की सुविधा अभाव
- संसाधन के अनुपात में कैंसर संस्थानों पर मरीजों का अत्यधिक दबाव
बच्चों के कैंसर से जुड़े मामलों के देखभाल के लिए एम्स भुवनेश्वर में ऑन्कोलॉजी/हेमेटोलॉजी विभाग में डेडीकेटेड सेंटर बनाया गया गया. 30 सितंबर 2023 को एम्स भुवनेश्वर के कार्यकारी निदेशक डॉ. आशुतोष विश्वास ने बताया था कि विभाग में कैंसर से पीड़ित 1200 से अधिक बच्चों को पंजीकृत हैं और सालाना लगभग 250-300 नए रोगियों का उपचार किया जाता है. डॉ. आशुतोष ने बताया कि यहां सिर्फ उड़ीसा ही नहीं पड़ोसी पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और झारखंड सहित आसपास के कई जिले के बच्चे जांच व इलाज के लिए आते हैं.