अजमेर: आयुर्वेद में आंवला को सर्वोत्तम औषधिय फल माना गया है. अधिकांशत आयुर्वेद औषधियों में आंवले का उपयोग होता है. इतना ही नहीं मां के दूध के बाद शरीर को आवश्यक तत्वों को देने में सबसे उत्तम आंवले को ही माना गया है. गुणकारी और औषधि प्रभाव होने के कारण सनातन धर्म में आंवले की पूजा भी की जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं आयुर्वेद चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बी एल मिश्रा से आंवले के औषधिय गुणों और विभिन्न रोगों के निदान में भूमिका.
आयुर्वेद में आंवले को दी अमृत की संज्ञा:डॉ बी एल मिश्रा बताते हैं कि 6 रस में से आंवले में नमक नहीं है. जबकि अन्य सभी रस आंवले में पाए जाते हैं. आवलें का उत्पादन शीत ऋतु में होता है, इसलिए यह शीत गुण युक्त होता है. यानी आंवले का सेवन हर मौसम में किया जा सकता है. आंवले को रसायन के रूप में केवल शीत ऋतु में ही उपयोग किया जाता है. नियमित रूप से आवलें का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. आंवले में आयरन, विटामिन सी, फाइबर की मात्रा भी काफी होती है जो शरीर के लिए आवश्यक तत्व हैं. आयुर्वेद में इसे अमृत की संज्ञा दी गई है. इसी कारण सनातन धर्म में इसकी पूजा होती आई है.
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शरीर को आंवले से होने वाले फायदे:
- आंवले के नियमित सेवन से शरीर में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं.
- त्वचा में ग्लो आता है और रक्त विकार दूर होते हैं.
- आंतों में अमलता, वायु दोष, कब्ज, पेट फूलना (आफरा), अपच को दूर करता है.
- नेत्र ज्योति को बढ़ाने में सहायक है. वहीं बालों को भी मजबूती देता है.
- अर्श (पाइल्स) की रोकथाम के लिए भी अत्यंत फायदेमंद है.
- आंवले के नियमित सेवन से कैंसर, त्वचा रोग, हृदय रोग, यकृत और गुर्दा रोग से बचा जा सकता है.
- आंवले के सेवन से हृदय की मांसपेशियां मजबूत होती हैं.
- आंवला यूरिन इंफेक्शन से बचाता है.
- मधुमेह को नियंत्रित करता है.
- भूख बढ़ाने में कारगर है.
- महिलाओं में पीसीओडी-पीआईडी (कष्टमय मासिक धर्म और अनियंत्रित स्राव एवं श्वेत प्रदर) की रोकथाम में भी सहायक है.
- आंखों में होने वाली रतौंधी (रात को नहीं दिखना) रोग में भी काफी फायदेमंद है.
- आंवले में फाइबर और रस होने से आंतों में स्निग्धता प्रदान करता है.