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यूरिक एसिड बनने से होता है गठिया, जानिए कारण, लक्षण और नियंत्रण के लिए आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे - HEALTH TIPS

जानिए गठिया का कारण, लक्षण और नियंत्रण के लिए आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे.

गठिया का कारण, लक्षण और नियंत्रण के नुस्खे
गठिया का कारण, लक्षण और नियंत्रण के नुस्खे (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 15, 2025, 1:58 PM IST

अजमेर : आयुर्वेद में यूरिक एसिड को संधिवात कहा जाता है. मेडिकल भाषा में अर्थराइटिस (गठिया) रोग भी कहते हैं. यह रोग जानलेवा नहीं है, लेकिन इससे रोगी को काफी दर्द और परेशानी का सामना करना पड़ता है. लंबे समय तक अर्थराइटिस होने पर रोगी को दैनिक कार्यों को करने में भी काफी मुश्किल होती है. जानते हैं यूरिक एसिड के कारण लक्षण और उपचार से संबंधित आयुर्वेद पद्धति के अनुसार हेल्थ टिप्स.

अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेद चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा ने बताया कि पाचन की चय और अपचय क्रिया विकृत होने पर वायु की उग्रता के साथ कफ भी विकृत हो जाता है. इससे शरीर की छोटी संधियों में वायु और कफ के विकृतता के कारण सूजन और दर्द होने लगता है. पाचन क्रिया से बनने वाले ग्लूकोज और प्रोटीन (पाचक रस) विकृत होकर अम्लता (एसिड) में परिवर्तित हो जाते हैं. अम्लता का शरीर से निष्कारण नहीं होने से यह संधियों में जमा होने लगता है, जिससे संधियों में तरल चिकना द्रव्य को सुखाकर छोटे-छोटे क्रिस्टल बनाकर यह जमा हो जाता है. जिससे संधियों में तीव्र चुभन, सुजन और दर्द होने लगता है. आयुर्वेद में यह संधिवात कहलाता है.

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा (ETV Bharat AJmer)

पढे़ं. बादाम से भी ज्यादा गुणकारी है मूंगफली, रोजना ऐसे खाने से कम होता है कैंसर का खतरा

यह होती हैं छोटी संधिया : डॉ. मिश्रा ने बताया कि छोटी संधियों से तात्पर्य अंगुलियों, हाथ, पैर, कलाई, पंजे, गरदन, रीढ़ की हड्डी छोटी संधि होती है. यूरिक एसिड शरीर में बनने के बाद इन छोटी संधियों को ही ज्यादा प्रभावित करता है. शरीर में यूरिक एसिड बनने के कई कारण हैं, जिसमें पाचन क्रिया का विकृत होना मुख्य कारण है. पाचन क्रिया में विकृति, असंयमित और असंतुलित भोजन के कारण होती है. इसके अलावा पौष्टिक भोजन नहीं करने, जंक फूड, फास्ट फूड, तेज मसालेदार भोजन, मानसिक तनाव, अनियमित जीवन शैली, रात को देरी से भोजन करने की आदत, रात्रि के भोजन में दालों का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करने से यूरिक एसिड शरीर में बनने लगता है.

गठिया में ये न करें
गठिया में ये न करें (ETV Bharat GFX)

यह खाएं : उन्होंने बताया कि यूरिक एसिड से बचने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार लेना आवश्यक है. इसके अलावा अपने आहार में फलों और हरी सब्जियों को शामिल किया जाना चाहिए. रसेदार और गुद्देदार सब्जियों का सेवन काफी फायदेमंद है. चने, सूखे मेवे का सेवन और रात को सोने से पहले दूध पीना भी लाभदायक है. भोजन समय पर करें और खूब चबा-चबा कर खाएं.

यह न करें : देर रात्रि को भोजन न करें. तेज मसालेदार, कोल्ड ड्रिंक और शराब का सेवन न करें. लंबी सिटिंग भी यूरिक एसिड का कारण है. ऐसे में लंबे समय तक बैठे नहीं रहें.

पढ़ें. गले और सीने में जलन? इन आयुर्वेदिक नुस्खे से पाएं एसिडिटी से आराम - Health Tips

अपनाए यह घरेलू नुस्खे :

  1. यूरिक एसिड पर नियंत्रण पाने के लिए उत्तम औषधि और रसायन आंवला और ग्वारपाठा है. इनके नियमित सेवन से रोगी को काफी फायदा मिलता है.
  2. अलसी के बीज चबाकर चबाकर खाएं.
  3. शहद और अश्वगंधा को गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से भी रोग में लाभ मिलता है.
  4. काले तिल का तेल और जैतून के तेल से निर्मित खाद्य सामग्री का उपयोग करें. इन तेल की मालिश भी की जा सकती है.
  5. 5-6 लहसुन की कली सुबह और शाम निगलने से भी रोगी को फायदा मिलता है.
  6. आंवला, किशमिश का सेवन करने से शरीर में मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे यूरिक एसिड बाहर निकलने में सहायक होता है.
  7. रोगी को प्रतिदिन हल्का व्यायाम करने के साथ ही मॉर्निंग वॉक अवश्य करनी चाहिए. रात्रि भोजन के बाद कम से कम 1 हजार कदम अवश्य घूमना चाहिए. तैरना भी सबसे अच्छा योग है.

अजमेर : आयुर्वेद में यूरिक एसिड को संधिवात कहा जाता है. मेडिकल भाषा में अर्थराइटिस (गठिया) रोग भी कहते हैं. यह रोग जानलेवा नहीं है, लेकिन इससे रोगी को काफी दर्द और परेशानी का सामना करना पड़ता है. लंबे समय तक अर्थराइटिस होने पर रोगी को दैनिक कार्यों को करने में भी काफी मुश्किल होती है. जानते हैं यूरिक एसिड के कारण लक्षण और उपचार से संबंधित आयुर्वेद पद्धति के अनुसार हेल्थ टिप्स.

अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेद चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा ने बताया कि पाचन की चय और अपचय क्रिया विकृत होने पर वायु की उग्रता के साथ कफ भी विकृत हो जाता है. इससे शरीर की छोटी संधियों में वायु और कफ के विकृतता के कारण सूजन और दर्द होने लगता है. पाचन क्रिया से बनने वाले ग्लूकोज और प्रोटीन (पाचक रस) विकृत होकर अम्लता (एसिड) में परिवर्तित हो जाते हैं. अम्लता का शरीर से निष्कारण नहीं होने से यह संधियों में जमा होने लगता है, जिससे संधियों में तरल चिकना द्रव्य को सुखाकर छोटे-छोटे क्रिस्टल बनाकर यह जमा हो जाता है. जिससे संधियों में तीव्र चुभन, सुजन और दर्द होने लगता है. आयुर्वेद में यह संधिवात कहलाता है.

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा (ETV Bharat AJmer)

पढे़ं. बादाम से भी ज्यादा गुणकारी है मूंगफली, रोजना ऐसे खाने से कम होता है कैंसर का खतरा

यह होती हैं छोटी संधिया : डॉ. मिश्रा ने बताया कि छोटी संधियों से तात्पर्य अंगुलियों, हाथ, पैर, कलाई, पंजे, गरदन, रीढ़ की हड्डी छोटी संधि होती है. यूरिक एसिड शरीर में बनने के बाद इन छोटी संधियों को ही ज्यादा प्रभावित करता है. शरीर में यूरिक एसिड बनने के कई कारण हैं, जिसमें पाचन क्रिया का विकृत होना मुख्य कारण है. पाचन क्रिया में विकृति, असंयमित और असंतुलित भोजन के कारण होती है. इसके अलावा पौष्टिक भोजन नहीं करने, जंक फूड, फास्ट फूड, तेज मसालेदार भोजन, मानसिक तनाव, अनियमित जीवन शैली, रात को देरी से भोजन करने की आदत, रात्रि के भोजन में दालों का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करने से यूरिक एसिड शरीर में बनने लगता है.

गठिया में ये न करें
गठिया में ये न करें (ETV Bharat GFX)

यह खाएं : उन्होंने बताया कि यूरिक एसिड से बचने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार लेना आवश्यक है. इसके अलावा अपने आहार में फलों और हरी सब्जियों को शामिल किया जाना चाहिए. रसेदार और गुद्देदार सब्जियों का सेवन काफी फायदेमंद है. चने, सूखे मेवे का सेवन और रात को सोने से पहले दूध पीना भी लाभदायक है. भोजन समय पर करें और खूब चबा-चबा कर खाएं.

यह न करें : देर रात्रि को भोजन न करें. तेज मसालेदार, कोल्ड ड्रिंक और शराब का सेवन न करें. लंबी सिटिंग भी यूरिक एसिड का कारण है. ऐसे में लंबे समय तक बैठे नहीं रहें.

पढ़ें. गले और सीने में जलन? इन आयुर्वेदिक नुस्खे से पाएं एसिडिटी से आराम - Health Tips

अपनाए यह घरेलू नुस्खे :

  1. यूरिक एसिड पर नियंत्रण पाने के लिए उत्तम औषधि और रसायन आंवला और ग्वारपाठा है. इनके नियमित सेवन से रोगी को काफी फायदा मिलता है.
  2. अलसी के बीज चबाकर चबाकर खाएं.
  3. शहद और अश्वगंधा को गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से भी रोग में लाभ मिलता है.
  4. काले तिल का तेल और जैतून के तेल से निर्मित खाद्य सामग्री का उपयोग करें. इन तेल की मालिश भी की जा सकती है.
  5. 5-6 लहसुन की कली सुबह और शाम निगलने से भी रोगी को फायदा मिलता है.
  6. आंवला, किशमिश का सेवन करने से शरीर में मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे यूरिक एसिड बाहर निकलने में सहायक होता है.
  7. रोगी को प्रतिदिन हल्का व्यायाम करने के साथ ही मॉर्निंग वॉक अवश्य करनी चाहिए. रात्रि भोजन के बाद कम से कम 1 हजार कदम अवश्य घूमना चाहिए. तैरना भी सबसे अच्छा योग है.
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