नई दिल्ली : वर्तमान समय में यह सवाल बेहद ही आम हो जाता है कि अगर महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान न कराएं तो क्या होगा? पुराने समय से चली रही धारणाओं की माने तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए ही बेहद फायदेमंद है. आइए जानें कि इस पर गायनेकोलॉजिस्ट क्या कहती हैं? प्रत्येक वर्ष 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है. WHO के अनुसार मां का कोलेस्ट्रम युक्त पीला गाढ़ा दूध (डिलीवरी के बाद स्तनों में जो पहला दूध आता है, उसे कोलोस्ट्रम कहते हैं) नवजात के लिए संपूर्ण आहार होता है. ऐसा माना जाता है कि यह दूध जन्म के 1 घंटे के भीतर ही बच्चे को देना शुरू कर देना चाहिए.
बात करें मां के दूध की अवधि की तो ये हर एक महिला में अलग होती है. कई माताओं को बच्चे के जन्म से लेकर 5 वर्षों तक दूध आता है.वहीं कई माताओं में यह 5 वर्ष से कम समय तक रहता है. माना जाता है कि ये मां की डाइट पर निर्भर करता है. इसमें दूसरी तरफ यह भी कहा जाता है कि जब तक बच्चा मां का दूध पीता है तब तक ही स्तन में दूध आता है और अगर बच्चा दूध पीना छोड़ दे तो मां को दूध बनना बंद हो जाता है.
इमोशनल बॉन्डिंग से लेकर सेहत के लिए जरूरी
इस बात पर और अधिक प्रकाश डालने के लिए आईएएनएस ने मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में प्रसूति एवं स्त्री रोग में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अर्पणा हरितवाल से बात की. डॉ. अर्पणा ने बताया, "स्तनपान मां और बच्चे दोनों के लिए ही बेहद फायदेमंद है. इमोशनल बॉन्डिंग से लेकर सेहतमंद रहने के लिए ये जरूरी है".
वजन घटाने में मदद
महिलाओं के लिए स्तनपान के फायदे गिनाते हुए डॉ. अर्पणा ने बताया, "स्तनपान का सबसे पहला और अहम फायदा माताओें के लिए यह है कि जब वह पहली बार बच्चे को स्तनपान कराती है तो वह अपने और बच्चे के बीच एक अहम रिश्ता कायम कर सकती है. इससे दोनों में एक इमोशनल बॉन्डिंग बन जाती है. इससे एक फायदा यह होता है कि वह डिलीवरी के समय हुए सभी दुखों को भूल जाती है. सभी तरह सभी प्रकार के दर्द से उसका ध्यान हट जाता है." उन्होंने आगे बताया कि इससे महिलाओं को वजन घटाने में भी काफी मदद मिलती है. देखा जाता है कि जो माताएं बच्चों को स्तनपान कराती हैं वह डिलीवरी के समय अपने बढ़े हुए वजन को आसानी से कम कर पाती हैं.