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हार्ट अटैक से पूर्व क्रिकेटर की हुई मौत, जानिए क्यों होती है नींद में मृत्यु? - KNOW WHY PEOPLE DIE IN SLEEP

बंगाल के पूर्व क्रिकेटर शुबोजीत बनर्जी का दिल का दौरा पड़ने से निधन, जानिए नींद में मृत्यु के क्या कारण हो सकते हैं...

Former Indian cricketer died of heart attack, know why people die in sleep?
हार्ट अटैक से पूर्व क्रिकेटर की हुई मौत, जानिए क्यों होती है नींद में मृत्यु? (Getty Images)

By ETV Bharat Health Team

Published : Dec 26, 2024, 2:49 PM IST

Updated : Dec 26, 2024, 3:44 PM IST

बंगाल क्रिकेटर की असामयिक मौत से भारतीय क्रिकेट जगत में मातम का माहौल है. दरअसल, बंगाल के पूर्व क्रिकेटर शुबोजीत बनर्जी का महज 39 साल में निधन हो गया. जानकारों के मुताबिक, क्रिकेटर नींद में बेहोश पाए गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

परिजनों के मुताबिक, शुबोजीत सोमवार की सुबह नाश्ता करने के बाद आराम करने चले गए थे, फिर उनकी नींद में ही मौत हो गई. जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. डॉक्टरों का कहना है कि क्रिकेटर की मृत्यु हार्ट अटैक के चलते हुई है. एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि उनकी अनियंत्रित लाइफस्टाइल ही क्रिकेटर के मृत्यु का कारण है. बता दें, सुभोजित ने 2014 में बंगाल के वर्तमान कोच लक्ष्मीरतन शुक्ला के नेतृत्व में बंगाल के लिए डेब्यू किया था. कल्याणी में खेले गए विजय हजारे ट्रॉफी के मैच में बंगाल ने जीत दर्ज की थी.

दरअसल, सर्दियों में लोगों को सेहत से जुड़ी कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन क्या आपको पता है कि ठंड के मौसम में हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है? अध्ययन के मुताबिक ठंड में हार्ट अटैक का खतरा 53 फीसदी तक बढ़ सकता है. यही कारण है कि ठंड के मौसम में आपको अपनी सेहत खासकर दिल के स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना चाहिए. इस खबर के माध्यम से जानते है कि नींद में मृत्यु का कारण क्या है और किन लोगों को सबसे अधिक इसका खतरा होता है...

नींद में मृत्यु का कारण क्या है
लोग कई कारणों से नींद में मर जाते हैं, जिनमें से अचानक हृदय गति रुकना सबसे आम कारणों में से एक है. अन्य कारणों में कंजेस्टिव हार्ट फेलियर, हार्ट स्ट्रोक या फेफड़ों की विफलता जैसी घातक बीमारियां भी शामिल हैं. बता दें, कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है. इमरजेंसी मेडिकल इलाज के बिना, कुछ ही मिनटों में अचानक हृदय की मृत्यु हो सकती है. सोते समय मृत्यु का खतरा अधिक होता है क्योंक आपातकालीन चिकित्सा प्रतिक्रिया आमतौर पर बहुत देर से होती है. सोते समय मृत्यु के सभी संभावित कारणों में से अचानक हार्ट अटैक सबसे आम है. रात को सोते समय आने वाले हार्ट अटैक को साइलेंट दिल का दौरा भी कहते हैं. हार्ट रिदम्स में प्रकाशित 2021 के एक अध्ययन के अनुसार, इनमें से लगभग 22 फीसदी रात 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे के बीच होते हैं.

साइलेंट हार्ट अटैक क्या है?
साइलेंट हार्ट अटैक एक ऐसा हार्ट अटैक है जिसके लक्षण बहुत कम या बिल्कुल भी नहीं होते या फिर ऐसे लक्षण होते हैं जिन्हें हार्ट अटैक नहीं माना जाता. साइलेंट हार्ट अटैक की वजह से सीने में दर्द या सांस फूलने जैसी समस्या नहीं होती, जो आमतौर पर हार्ट अटैक से जुड़ी होती है. जिन लोगों को साइलेंट हार्ट अटैक होता है, उन्हें शायद पता न हो. उन्हें लगता होगा कि उन्हें सीने में जलन, फ्लू या छाती की मांसपेशियों में खिंचाव है. लेकिन साइलेंट हार्ट अटैक, किसी भी अन्य हार्ट अटैक की तरह, हृदय में खून के प्रवाह में रुकावट और हृदय की मांसपेशियों को संभावित नुकसान पहुंचाता है.

साइलेंट हार्ट अटैक दिल में खून के प्रवाह की कमी है, जो अक्सर धमनियों के ब्लॉक होने के कारण होता है, यह हार्ट अटैक बिना दर्द के होता है. इसमें अन्य हार्ट अटैक की तरह कोई दर्द नहीं होता है.

साइलेंट हार्ट अटैक किस कारण से होता है?
कोरोनरी धमनी रोग (Coronary artery disease) आमतौर पर साइलेंट हार्ट अटैक का कारण बनता है. कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) तब होता है जब हृदय को रक्त पहुंचाने वाली कोरोनरी धमनियां संकरी हो जाती हैं. यह पतलापन हृदय में रक्त के प्रवाह को कम या रोक देती है. सीएडी को कोरोनरी हार्ट डिजीज या इस्केमिक हार्ट डिजीज भी कहते हैं

साफ शब्दों में समझे तो, कोलेस्ट्रॉल युक्त प्लाक आपकी कोरोनरी धमनियों में जमा हो जाता है, जिससे आपके हार्ट की मांसपेशियों तक पर्ययाप्त मात्रा में खून नहीं पहुंच पाता है. जिसके कारण प्लाक पर खून का थक्का बनने लगता है, जो ऑक्सीजन युक्त खून को हार्ट तक बिल्कुल भी जाने से रोक सकता है. ब्लड फ्लो को बहाल करने के लिए तुरंत इलाज के बिना, हार्ट की मांसपेशी मर सकती है.

डॉक्टर का क्या है कहना?

मुंबई के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अमित गावंडे का कहना है कि साइलेंट हार्ट अटैक बिना किसी लक्षण के होता है, इसलिए कई लोगों को एक महीने या कई साल बाद ही पता चलता है कि उन्हें यह हुआ है. हार्ट अटैक का पता कब चलता है, इस पर निर्भर करते हुए उपचार अलग-अलग होते हैं, यही वजह है कि नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाना और नियमित जांच करवाना जरूरी है. साइलेंट हार्ट अटैक का कारण बनने वाली स्थितियों के बारे में बात करते हुए, डॉ. गावंडे सुझाव देते हैं कि हार्ट अटैक के खतरों को बढ़ाने वाली स्वास्थ्य स्थितियों, जैसे उच्च रक्तचाप या कोलेस्ट्रॉल, को संबोधित करना भी साइलेंट अटैक को रोकने में मदद कर सकता है. हेल्दी डाइट अपनाना और एक्टिव रहना हार्ट हेल्थ का समर्थन करने और खतरे को कम करने के लिए एक सही कदम है.

(नोट: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सुझाव केवल आपके समझने के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. लेकिन, बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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Last Updated : Dec 26, 2024, 3:44 PM IST

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