हैदराबाद: पिछले कुछ सालों में दुनिया भर में अलग-अलग प्रकार कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ी है. कैंसर हमारे शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है. विशेषकर महिलाओं में प्रचलित कैंसर की बात करें तो महिलाओं में सबसे अधिक होने वाले कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के बाद ओवेरी का कैंसर तीसरे नंबर पर आता है. Ovarian cancer को डिम्बग्रंथि का कैंसर या अंडाशय के कैंसर के नाम से भी जाना जाता है.
नेशनल ओवेरियन कैंसर कोएलिशन की एक रिपोर्ट की माने तो लक्षणों को लेकर अज्ञानता या उन्हे लेकर अनदेखी के चलते Ovarian cancer से पीड़ित लगभग 85% महिलाओं को इस बीमारी के बारे में बहुत देर से पता चल पाता है वहीं मात्र 15% महिलाओं को समय से इस रोग का निदान मिल पाता है. ऐसे में ज़्यादातर मामलों में जब तक महिला में इस रोग की पुष्टि होती है तक तक इस रोग की जटिलताएं और गंभीरता दोनों बढ़ जाती है. दुनिया भर में ओवेरी कैंसर के कारण, लक्षणों, उपचार व प्रबंधन को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 8 मई को World ovarian cancer day मनाया जाता है. इस वर्ष यह आयोजन पिछले वर्ष की भांति "नो वुमन लेफ्ट बिहाइंड" थीम पर मनाया जा रहा है.
क्या है ओवेरियन कैंसर : अंडाशय या ओवरी महिलाओं की प्रजनन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग है. महिलाओं के शरीर में दो Ovary होती हैं. ओवेरियन कैंसर या अंडाशय के कैंसर में इन में से एक या दोनों Ovary में छोटे-छोटे सिस्ट बनने लगते हैं. जिनमें कैंसर कोशिकाएं पनपने व बढ़ने लगती हैं. अवस्था व रोग के प्रभाव के आधार ओवरी के कैंसर के कई प्रकार माने गए हैं, जिनमें से कुछ घातक व जानलेवा हो सकते हैं , वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जिनमें समय से सही इलाज, थेरेपी मिलने पर रोग से छुटकारा पाना संभव है.
Ovary cancer में सामान्य तौर पर तो मासिक धर्म चक्र में अनियमितता, मेनोपॉज के बाद भी योनि से असामान्य ब्लीडिंग, श्रोणि क्षेत्र में दर्द या दबाव महसूस करना, पेट या पीठ में दर्द होना, पेट में सूजन, पेट फूलना, हमेशा पेट भरा हुआ महसूस होना तथा बार-बार पेशाब करने की इच्छा महसूस होना जैसे लक्षण नजर आते हैं. जो रोग की गंभीरता तथा कैंसर के चरण के आधार कम या ज्यादा हो सकते हैं. यहां यह जानना भी जरूरी है कि प्रजनन तंत्र या उनसे जुड़े अंगों में होने वाली कई प्रकार की समस्याओं में इस तरह से लक्षण आमतौर पर देखे जाते हैं. ऐसे में रोग के प्रकार की पुष्टि के लिए जरूरी है कि चिकित्सक से परामर्श के बाद जरूरी जांच करवाई जाए जिससे रोग के प्रकार के साथ उसके कारणों का भी पता चल सके.
क्यों है जागरूकता जरूरी
उत्तराखंड की महिलारोग विशेषज्ञ डॉ विजय लक्ष्मी बताती है कि आमतौर पर महिलाएं निचले पेट में कम या ज्यादा दर्द के साथ पीठ में दर्द या दबाव महसूस होने, निचले पेट में असहजता महसूस करना या महावारी के दौरान या कभी-कभी मेनोपॉज के बाद भी रक्तस्राव या उससे जुड़ी समस्याओं के नजर आने पर तथा इन से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या नजर आने पर तब तक चिकित्सक से परामर्श नहीं लेती हैं या उन्हे अनदेखा करती हैं जब जब समस्या बहुत ज्यादा बढ़ ना जाए. वह बताती हैं कि ऐसी प्रवत्ति सिर्फ कम पढ़ी लिखी या गांव देहात में रहने वाली महिलाओं में ही नजर नहीं आती हैं बल्कि शहरी, पढ़ी लिखी, कामकाजी और यहां तक की बड़े शहरों में रहने वाली महिलाओं में भी इस तरह की लापरवाही आमतौर पर देखी जाती है. यही कारण है कि प्रजनन तंत्र से जुड़ी गंभीर समस्याओं व रोगों में आमतौर पर महिलाओं को इलाज मिलने में देरी हो जाती है.
वह बताती हैं कि अंडाशय के कैंसर के कारणों की बात की जाए तो इसके लिए कई ज्ञात व अज्ञात कारणों को जिम्मेदार माना जाता है. इनमें ज्ञात कारणों में आनुवंशिकता, ज्यादा उम्र, मोटापा या जरूरत से ज्यादा वजन, पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम तथा हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी आदि शामिल हैं.