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फाइटर रिव्यू: जबरदस्त एरियल एक्शन और डायलॉग्स से 'फाइटर' ने जीता फैंस का दिल, गजब की दिखी ऋतिक-दीपिका की कैमिस्ट्री

Fighter Review: ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण की स्टारर मोस्ट अवेटेड फिल्म 'फाइटर' आखिरकार रिलीज हो गई है. 25 जनवरी को रिलीज हुई 'फाइटर' पहले दिन काफी दर्शकों को थिएटर तक लाने में सफल रही. सिद्धार्थ आनंद के निर्देशन में बनी फिल्म कई सीन्स में दर्शकों की तालियां और सीटियां बटोरने में भी कामयाब रही. और हो भी क्यों ना देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत कहानियां हमेशा दर्शकों को अपनी ओर खींचने में सफल रही है. लेकिन सिनेमा के नजरिए से देखा जाए तो क्या यह फिल्म सभी पैमानों पर खरा उतरती है, आइए जानते हैं इस रिव्यू में…

Fighter review
फाइटर रिव्यू

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 26, 2024, 8:43 PM IST

मुंबई:75वें गणतंत्र दिवस के मौके पर पूरा देश देशभक्ति में डूबा हुआ दिखा. इस भावना को दोगुना किया सिद्धार्थ आनंद की रिपब्लिक डे पर रिलीज हुई फिल्म 'फाइटर' ने. ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म 'फाइटर' का फैंस को लंबे समय से इंतजार था और इसीलिए 'फाइटर' को देखने के लिए सिनेमाघरों में दर्शकों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली. इसके साथ ही फिल्म ने पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छा प्रदर्शन किया है.

क्या है फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी देश पर हुए एक आतंकवादी हमले से जुड़ी है जिसमें सेना के कई जवान शहीद हुए थे. जिसके जवाब में भारत की ओर से वायुसेना के द्वारा एयर स्ट्राइक की गई थी और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया गया था. फिल्म की स्टोरी 2019 में हुए पुलवामा अटैक की झलक दिखाती है हालांकि कई सारे फैक्ट्स अलग हैं जिन्हें सिनैमेटिक एंगल देने की कोशिश की गई है. वहीं यह कहानी फिल्म के लीड कैरेक्टर को भी हाइलाइट करती है जिसका नाम शमशेर पठानिया है जो इस मिशन में खास रोल निभाता है यह कैरेक्टर ऋतिक रोशन ने प्ले किया है.

फिल्म की कास्टिंग
फिल्म की बड़ी हाइलाइट्स में से एक इसकी कास्टिंग है. सिद्धार्थ आनंद बेहतरीन मल्टीस्टारर फिल्म को बड़े पर्दे पर लाने में सफल रहे हैं. पहली बार स्क्रीन पर ऋतिक और दीपिका की जोड़ी को लाया गया है, जो फिल्म की ताकत है क्योंकि ऋतिक और दीपिका की जबरदस्त कैमेस्ट्री दर्शकों को आखिरी छोर तक बांधने का काम करती है. इसके अलावा फिल्म की बाकी कास्टिंग भी फिल्म को मजबूती देने में कोई कसर नहीं छोड़ती. अनिल कपूर ने कमांडेंट ऑफिसर के रुप में जबरदस्त रोल निभाया है. वे सेना के अच्छे लीडर के रुप में सामने आते हैं. वहीं सपोर्टिंग रोल में करण सिंह ग्रोवर और अक्षय ओबेरॉय ने भी स्क्वाड्रन लीडर सरताज गिल और स्क्वाड्रन लीडर बशीर खान के रुप में दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे. बात करें विलेन की तो सिद्धार्थ आनंद इस बार ऋषभ साहनी के रुप में नया चेहरा लेकर आए. जो दर्शकों को खुद से नफरत करवाने में सफल रहते हैं. लेकिन फिर भी एक खतरनाक विलेन की छाप छोड़ने के लिए खुद पर काम करना अभी भी बाकी है. हालांकि इस फिल्म से उन्होंने डेब्यू किया है.

फिल्म की ताकत
ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण के अलावा 'फाइटर' की सबसे बड़ी ताकत है इसके हाई लेवल के एरियल शॉट जिनकी हॉलीवुड फिल्मों से तुलना की जा सकती है. फिल्म को थ्रीडी में दिखाने की एकमात्र वजह यही नजर आती है. हवा में जबदस्त करतब दिखाते लड़ाकू विमान और एक्शन सीन दर्शकों की सीटीयां और तालियां बटोरने में सफल साबित होते हैं. इसके अलावा ऋतिक रोशन के फैंस के लिए ये फिल्म एक बड़ा तोहफा है क्योंकि ऋतिक वायुसेना की यूनिफॉर्म में जंच भी रहे हैं और अपने किरदार से न्याय भी करते हैं. उनकी एक्टिंग और एक्शन दोनों फैंस का दिल जीतने में कामयाब रहे हैं.

फिल्म के डायलॉग्स
ऋतिक रोशन द्वारा बोली गई शायरी, 'दुनिया में मिलेंगे आशिक कई, पर वतन से हसीं सनम नहीं होता, हीरों में सिमटकर सोने में लिपटकर मरते हैं कई, पर तिरंगे से खूबसूरत कफन नहीं होता', और अनिल कपूर द्वारा बोला गया डायलॉग,'जंग में सिर्फ हार या जीत होती है, कोई मैन ऑ द मैच नहीं होता', देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हैं. जो दर्शकों को तालीयां बजाने पर मजबूर करते हैं. इसके अलावा ऋतिक-दीपिका के बीच हुई बातचीत के डायलॉग्स भी अच्छे लिखे गए हैं.

डायरेक्शन
फिल्म का डायरेक्शन सिद्धार्थ आनंद ने किया है जिन्होंने पिछले साल शाहरुख खान के साथ पठान बनाई. सिद्धार्थ दर्शकों की नब्ज अच्छे से जानते हैं उन्हें पता है कि दर्शक क्या देखना चाहते हैं. इसीलिए कास्टिंग से लेकर एरियल एक्शन और डायलॉग्स बेहतरीन है. अगर कहीं कमी है तो वो है एक यूनिक स्टोरी की. क्योंकि देशभक्ति फिल्में दर्शक देखना चाहते हैं लेकिन नए एंगल से.

कुछ कमियां
सिद्धार्थ आनंद निर्देशित फिल्म अपनी बेहतरीन कास्टिंग, हॉलीवुड फिल्मों को टक्कर देने वाले जबरदस्त एरियल एक्शन सीन्स, और देशभक्ति जैसे टॉपिक से दर्शकों को थियेटर तक लाने में सफल होती है. लेकिन देखा जाए तो स्टोरी लाइन कुछ खास नहीं है, भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ाई को लेकर हिंदी सिनेमा में कई फिल्में बन चुकी हैं. जो एक कॉमन टॉपिक है. फिल्म मेकर्स को समझना है कि वे इससे हटकर भी कुथ एक्सपेरिमेंट करें. अब दर्शक कुछ अलग और यूनिक देखना चाहते हैं. एक ऐसी स्टोरी जिससे लोग आने वाले पांच-दस सालों तक रिलेट कर पाएं.

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