सामाजिक संदेश देने वाली फिल्म है अन्नू कपूर की 'हमारे बारह'- बॉम्बे हाईकोर्ट - Hamare Baarah - HAMARE BAARAH
Hamare Baarah Controversy: अन्नू कपूर स्टारर 'हमारे बारह' को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट का बयान सामने आया है. कोर्ट ने फिल्म को महिला सशक्तिकरण का सामाजिक संदेश देने वाली फिल्म बताया है.
मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि फिल्म 'हमारे बारह' महिला सशक्तिकरण का सामाजिक संदेश देती है. यह मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाती है. कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि उन्होंने फिल्म देखी है. फिल्म में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि कुछ सीन्स को लेकर उनके कुछ सुझाव हैं.
अन्नू कपूर स्टारर फिल्म 'हमारे बारह' की रिलीज रोकने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. आरोप था कि फिल्म के ट्रेलर इस्लामी मान्यताओं का अपमान करता है. इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी थी. साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट को आदेश दिया था कि वह इस याचिका पर जल्द अपना फैसला ले.
इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (18 जून) को सुनवाई की और कहा, 'कोर्ट ने फिल्म देखी है. फिल्म से आपत्तिजनक डायलॉग और सीन्स हटा दिए गए हैं. याचिकाकर्ताओं के वकील फजरुल रहमान शेख ने इस मसले के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कोर्ट ने फिल्म को एक सोशल मैसेज देने वाली फिल्म बताया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट की सुनवाई पर वकील का बयान वकील ने बताया, 'कोर्ट ने कंट्रोवर्शियल डायलॉग के कारण फिल्म पर रोक लगाई गई थी. हाईकोर्ट के जजों ने फिल्म देखी, जिसके बाद उनका मानना है कि फिल्म एक अच्छा सामाजिक संदेश देती है और यह वैसा नहीं है जैसा इसे पेश किया गया है.' उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने पाया कि ट्रेलर बहुत आपत्तिजनक था.
फजरुल रहमान शेख ने कहा, 'कुछ डायलॉग को सेंसर करने के लिए कहा गया है. सभी टिप्पणियों को सर्वसम्मति में रखने के बाद कल आदेश पारित किया जाएगा. हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रेलर बहुत आपत्तिजनक था और इसे इस तरह से रिलीज नहीं किया जाना चाहिए था. ट्रेलर और फिल्म का मैसेज बहुत अलग हैं.' कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से यह भी कहा, 'फिल्म देखे बिना कोई कमेंट करना गलत है. आप पोस्टर देखकर कमेंट रहे हैं.'
फिल्म मेकर वीरेंद्र भगत का बयान फिल्म मेकर वीरेंद्र भगत के मुताबिक, फिल्म ट्रेलर हटा दिया गया है. वीरेंद्र भगत ने न्यूज एजेंसी को बताया, 'जो गलतफहमी पैदा करने की कोशिश की गई थी, वह अब खत्म हो गई है. जजों ने फिल्म देखी और कहा कि यह महिला सशक्तिकरण के बारे में है. कोर्ट का मानना था कि आप केवल इसके टीजर के आधार पर फिल्म को जज नहीं कर सकते, दोनों एक दूसरे से बहुत अलग हैं. आपत्तिजनक ट्रेलर हटा दिया गया है.'