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12th पास करने के बाद समझ नहीं आ रहा क्या करें? तो निशुल्क ट्रेनिंग लेकर बनें आईटी इंजीनियर और सॉफ्टवेयर डेवलपर - Free software development training

इंफोबींस फाउंडेशन फिक्की फ्लो के साथ मिलकर ऐसे बच्चों को निशुल्क ट्रेनिंग दे रही है जो आईटी सेक्टर में काम करने की इच्छा रखते हैं और उनके अंदर इस फील्ड में कुछ नया करने का जज्बा है. इसके लिए जरूरी है कि उन्होंने किसी भी विषय में बारहवीं तक की पढ़ाई की हो.

Free software development training is being given in Indore
इंदौर में निशुल्क दिया जा रहा है सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की ट्रेनिंग

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 20, 2024, 11:30 AM IST

इंदौर। हायर सेकेंडरी करने वाले अधिकांश छात्रों को यह नहीं पता होता कि उन्हें कौन सा सब्जेक्ट लेकर किस क्षेत्र में आगे बढ़ना है. वहीं समय पर उचित मार्गदर्शन नहीं मिलने के कारण कई छात्र पारंपरिक विषय और कोर्स की पढ़ाई करके ग्रेजुएशन के बाद भी रोजगार के लिए भटकते रहते हैं. इंदौर में ऐसे बच्चों को इंफोबींस फाउंडेशन और फिक्की फ्लो जैसी संस्थाएं सामाजिक निशुल्क सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ट्रेनिंग देकर उन्हें प्रतिष्ठित कंपनियों में ऑन डिमांड जॉब भी उपलब्ध करा रही हैं.

इंफोबींस फाउंडेशन देगी निशुल्क ट्रेनिंग

इंफोबींस फाउंडेशन के साथ आईआईटी इंदौर का एमओयू किया गया है. जिसके तहत सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के क्षेत्र में काम करने वाले बच्चों को ट्रेनिंग देने के साथ रोजगार उपलब्ध कराया जाता है. इंफोबींस फाउंडेशन, फिक्की फ्लो के साथ मिलकर बच्चों को निशुल्क सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट प्रोग्राम की ट्रेनिंग दे रही है. इसके लिए इंफोबींस फाउंडेशन स्कूल और कॉलेज में पहुंचकर ऐसे बच्चों का चयन करता है जो गरीब और जरूरतमंद होने के साथ सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के इच्छुक हैं और इसके हुनर रखते हैं.

ट्रेनिंग के बाद बड़ी कंपनियों में जॉब का मौका

इंदौर में 40 बच्चों के 5 बैच को सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की ट्रेनिंग दी जा रही है. इन्हें ट्रेनिंग दे रहीं मेघा सेठी कहती हैं, ' पिछले 4 सालों में बच्चों ने सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग की ट्रेनिंग लेकर टीसीएस, सेलस्फोर्स, इंफोबींस और कोडीन जैसी कंपनियों में सॉफ्टवेयर डेवलपर की जॉब पाई है. वहीं जिन बच्चों को वर्तमान में ट्रेनिंग दी जा रही है उनके लिए पहले ही विभिन्न कंपनियों से चर्चा की जाती है. इसके बाद कंपनी अपनी जरूरत और काम के हिसाब से इन बच्चों का सिलेक्शन कर लेती है. इससे उन्हें ट्रेनिंग के साथ सम्मानजनक रोजगार भी हासिल हो जाता है.'

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लड़कियों के लिए अलग बैच

फिक्की फ्लो इंदौर की चेयरपर्सन विभा जैन कहती हैं, ' वर्तमान शिक्षा प्रणाली में बच्चों को करियर आधारित गाइडेंस नहीं मिलने के कारण इंटेलीजेंट बच्चे भी आगे नहीं बढ़ पाते हैं. इसलिए अब इस तरह के सामाजिक प्रयासों के जरिए स्कूल और कॉलेज में सेमिनार लगाकर बच्चों का सिलेक्शन किया जा रहा हैं. 40 बच्चों का सिलेक्शन कर एक बैच तैयार किया जाता है.'

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