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31 जुलाई के बाद करेंगे ITR फाइल देना पड़ेगा जुर्माना, टैक्स रिजीम भी जाएगा बदल - ITR filing deadline

ITR filing deadline- आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करना एक महत्वपूर्ण काम है जो वित्तीय वर्ष में आपकी आय को दिखाता है. इस साल आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की लास्ट डेट 31 जुलाई है. अगर आपने अभी तक ITR फाइल नहीं किया तो जल्दी करें. वरना भारी जुमार्ना भरना पड़ सकता है. पढ़ें पूरी खबर...

ITR FILING DEADLINE
31 जुलाई के बाद करेंगे ITR फाइल देना पड़ेगा जुर्माना (Getty Images)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 29, 2024, 10:47 AM IST

नई दिल्ली:क्या आपने ITR फाइल कर दिया है? अगर नहीं किया तो जल्दी कर लिजिए, नहीं तो भारी जुमार्ना भरना पड़ सकता है. साथ ही अगर रिटर्न फाइल करने में चुके तो मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है. फाइन के साथ आपको ब्याज भी देना पड़ सकता है. इस साल आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है. जो लोग समय सीमा को पूरा करने में विफल रहते हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

अगर कोई व्यक्ति 31 जुलाई की समय सीमा से चूक जाते हैं, तो उनके पास 31 दिसंबर, 2024 तक विलंबित रिटर्न दाखिल करने का अवसर होगा. लेकिन समय सीमा तक अपना आयकर रिटर्न (आईटीआर) जमा करने में विफल रहने पर, नई टैक्स व्यवस्था में खुद ही ट्रांसफर हो जाएगा.

इसका मतलब यह है कि आपको संबंधित वित्तीय वर्ष के लिए पुरानी व्यवस्था चुनने का विकल्प छोड़ना होगा. क्योंकि आप खुद से नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत आ जाएंगे.

अगर ITR दाखिल करने से चूक जाते हैं तो क्या जुर्माना लगेगा?
अगर आप 31 जुलाई तक अपना ITR दाखिल करने में विफल रहते हैं, तो आपके पास देर से रिटर्न जमा करने का विकल्प है और आयकर अधिनियम की धारा 234F के अनुसार, 5000 रुपये का विलंब शुल्क लगाया जा सकता है. अगर आपकी आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो विलंब शुल्क 1,000 रुपये है. इसके अलावा, ड्यू डेट से बकाया कर राशि पर 1 फीसदी प्रति माह या महीने के हिस्से की दर से ब्याज लगाया जाएगा. लेकिन लगाया गया जुर्माना बकाया टैक्स की राशि से अधिक नहीं हो सकता है.

  • जो लोग अपना आयकर रिटर्न देर से दाखिल करना चुनते हैं, उन्हें अपने द्वारा झेले गए किसी भी पूंजीगत नुकसान को आगे ले जाने का अवसर भी छोड़ना होगा. इसका मतलब यह है कि ऐसे टैक्सपेयर भविष्य के लाभों की भरपाई के लिए इन नुकसानों का उपयोग करने में असमर्थ होंगे. इसके परिणामस्वरूप आने वाले वर्षों में उनकी कर लायबिलिटी अधिक हो जाएगी.

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